राजस्थान: विधानसभा स्पीकर ने हाईकोर्ट के आदेश के ख़िलाफ़ दायर याचिका वापस ली

राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि अध्यक्ष को बागी विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने की कार्यवाही स्थगित करने के आदेश संबंधी हाईकोर्ट के 21 जुलाई के आदेश पर शीर्ष अदालत ने रोक नहीं लगाई, जिसके कारण इस याचिका का अब कोई औचित्य नहीं है.

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राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी. (फोटो: ट्विटर)

राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि अध्यक्ष को बागी विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने की कार्यवाही स्थगित करने के आदेश संबंधी हाईकोर्ट के 21 जुलाई के आदेश पर शीर्ष अदालत ने रोक नहीं लगाई, जिसके कारण इस याचिका का अब कोई औचित्य नहीं है.

राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी. (फोटो: ट्विटर)
राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी. (फोटो: ट्विटर)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष को हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ दायर याचिका वापस लेने की सोमवार को अनुमति दी, जिसमें उपमुख्यमंत्री पद से बर्खास्त किए जा चुके सचिन पायलट और कांग्रेस के 18 बागी विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने की कार्यवाही 24 जुलाई तक स्थगित करने के लिए कहा गया था.

विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने जस्टिस अरुण मिश्रा की अगुवाई वाली पीठ को बताया कि राजस्थान हाईकोर्ट ने 24 जुलाई को नया आदेश दिया और वे कानूनी विकल्पों पर विचार कर रहे हैं.

सिब्बल ने याचिका वापस लेते हुए पीठ से कहा कि अध्यक्ष को बागी विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने की कार्यवाही स्थगित करने के लिए कहने संबंधी हाईकोर्ट के 21 जुलाई के आदेश पर शीर्ष अदालत ने रोक नहीं लगाई, जिसके कारण इस याचिका का अब कोई औचित्य नहीं है.

जोशी का प्रतिनिधित्व कर रहे एक अन्य वकील सुनील फर्नांडीस ने कहा, ‘नई विशेष अनुमति याचिका दायर करने की स्वतंत्रता और सभी विकल्पों को खुला रखते हुए याचिका वापस ली गई है.’

राजस्थान हाईकोर्ट ने गत 24 जुलाई को सचिन पायलट समेत 19 बागी विधायकों को विधानसभा अध्यक्ष द्वारा भेजे गए अयोग्यता के नोटिसों पर यथास्थिति बरकरार रखने का शुक्रवार को आदेश दिया था.

विधानसभा अध्यक्ष ने कांग्रेस पार्टी द्वारा शिकायत दिए जाने के बाद इन विधायकों को 14 जुलाई को नोटिस जारी किया था. कांग्रेस ने शिकायत में कहा था कि विधायकों ने कांग्रेस विधायक दल की बैठक के लिए जारी ह्विप का उल्लंघन किया है.

कांग्रेस ने पायलट और अन्य असंतुष्ट विधायकों के खिलाफ संविधान की 10वीं अनुसूची के पैराग्राफ 2 (1) (ए) के तहत कार्रवाई की मांग की थी.

विधायक सदन में जिस पार्टी का प्रतिनिधित्व करता है, यदि वह उसकी सदस्यता ‘स्वेच्छा’ से त्याग देता है तो यह प्रावधान उक्त विधायक को अयोग्य करार देता है.

पायलट खेमे ने इन नोटिसों के खिलाफ 17 जुलाई को हाईकोर्ट का रुख किया था, जिनके तहत उन्हें राज्य विधानसभा से अयोग्य करार दिया जा सकता है.

हाईकोर्ट ने कहा था कि उनका कोई भी आदेश सुप्रीम कोर्ट में विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी द्वारा दायर याचिका पर निर्णय के अधीन होगा. हालांकि, अब जोशी ने सुप्रीम कोर्ट से अपनी याचिका वापस ले ली है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)