बीते साल अगस्त में जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा ख़त्म कर इसे दो भागों में बांटने के बाद से ही यहां 4जी इंटरनेट सेवाएं बंद हैं. बीत हफ्ते उपराज्यपाल जीसी मुर्मू ने कहा था कि घाटी में 4जी इंटरनेट सेवा बहाल की जा सकती हैं.
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने बीते मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि वह जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल जीसी मुर्मू और भाजपा नेता राम माधव के उन बयानों की सत्यता का पता लगाएगा, जिसके अनुसार घाटी में 4जी इंटरनेट सेवा बहाल की जा सकती है.
केंद्र ने इसके साथ ही गैर सरकारी संगठन की याचिका पर जवाब दाखिल करने के लिए कुछ समय देने का अनुरोध किया.
जस्टिस एनवी रमण, जस्टिस आर. सुभाष रेड्डी और जस्टिस बीआर गवई की पीठ ने गैर सरकारी संगठन फाउंडेशन फॉर प्रोफेशनल्स की अवमानना याचिका पर सुनवाई सात अगस्त के लिए स्थगित कर दी.
जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने संबंधी संविधान के अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधान खत्म करने और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित करने बाद से राज्य में 4जी इंटरनेट सेवाएं निलंबित हैं.
शीर्ष अदालत में बीते मंगलवार को सुनवाई शुरू होते ही जम्मू कश्मीर प्रशासन की ओर से पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उन्हें केंद्र के जवाब पर याचिकाकर्ता का लंबा-चौड़ा प्रत्युत्तर मिला है, जिसके अनुसार 4जी इंटरनेट सेवा पर पाबंदियों की विशेष समिति ने समीक्षा की है.
उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता के हलफनामे का जवाब देने के लिए उन्हें कुछ वक्त दिया जाए.
गैर सरकारी संगठन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हुजेफा अहमदी ने मेहता के अनुरोध का विरोध नहीं किया और कहा कि उन्हें सोमवार की शाम को ही जवाबी हलफनामे की प्रति दी गई थी.
उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल ने हाल ही में बयान दिया था कि घाटी में 4जी इंटरनेट सेवा बहाल की जा सकती है. इसी तरह का बयान भाजपा नेता और कश्मीर मामले में वार्ताकार राम माधव ने भी दिया था.
मालूम हो कि पिछले हफ्ते जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल जीसी मुर्मू ने कहा था, ‘4जी समस्या नहीं बनेगा. मैं इस बात से भयभीत नहीं हैं कि लोग इसका कैसे इस्तेमाल करेंगे. पाकिस्तान अपना प्रोपगेंडा करेगा चाहे 2जी हो या 4जी.’
अहमदी ने कहा कि इन बयानों पर गौर किया जाना चाहिए. केंद्र की ओर से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने पीठ से कहा कि इन बयानों का सत्यापन करने की आवश्यकता है.
इस पर पीठ ने कहा कि वह अवमानना याचिका पांच अगस्त के लिए सूचीबद्ध कर रही है. लेकिन मेहता ने कहा कि पांच अगस्त के बजाय किसी और दिन सुनवाई की जाए क्योंकि पांच अगस्त को ही इंटरनेट पर पाबंदी लगाई गई थी.
पीठ ने इस अनुरोध को स्वीकार करते हुये अवमानना याचिका सात अगस्त के लिए सूचीबद्ध कर दी.
केंद्र सरकार और जम्मू कश्मीर प्रशासन ने 16 जुलाई को न्यायालय को सूचित कियाा था कि इस केंद्रशासित प्रदेश में 4जी इंटरनेट सेवा बहाल करने के मुद्दे पर शीर्ष अदालत के निर्देश के अनुसार एक विशेष समिति का गठन किया जा चुका है.
अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने जम्मू कश्मीर में आतंकवादी घटनाएं बढ़ने का दावा करते हुये कहा था कि प्रशासन के अधिकारियों के विरुद्ध कोई अवमानना का मामला नहीं बनता क्योंकि उन्होंने शीर्ष अदालत के 11 मई के निर्देशों का पालन किया है.
न्यायालय ने 11 मई को जम्मू कश्मीर में 4जी इंटरनेट सेवाओं को बहाल करने की याचिकाओं पर विचार करने के लिए केंद्रीय गृह सचिव की अध्यक्षता में ‘विशेष समिति’ के गठन का आदेश दिया था.
शीर्ष अदालत केंद्रीय गृह सचिव अैर जम्मू कश्मीर प्रशासन के मुख्य सचिव के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करने के लिए गैर सरकारी संगठन की याचिका पर सुनवाई कर रही है.
इन पर केंद्रशासित प्रदेश में 4जी इंटरनेट सेवाएं बहाल करने के बारे में विचार करने के लिए विशेष समिति बनाने के न्यायालय के 11 मई के आदेश की जानबूझकर अवज्ञा करने का आरोप लगाते हुए फाउंडेशन फॉर मीडिया प्रोफेशनल्स ने यह याचिका दायर की है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)