मैं कभी मणिपुर वापस नहीं लौटना चाहती: इरोम शर्मिला

इरोम ने कहा, ‘मैंने 16 सालों तक मणिपुर में आफ्सपा के ख़िलाफ़ लड़ाई लड़ी पर लोगों ने मुझे नकार दिया.’

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इरोम ने कहा, ‘मैंने 16 सालों तक मणिपुर में आफ्सपा के ख़िलाफ़ लड़ाई लड़ी पर लोगों ने मुझे नकार दिया.’

Irom by Akhil
(फाइल फोटो: अखिल कुमार)

मणिपुर से आफ्सपा हटाने के लिए 16 साल तक भूख हड़ताल पर रही सामाजिक कार्यकर्ता इरोम शर्मिला अब कभी वापस मणिपुर नहीं लौटना चाहतीं.

टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए इरोम ने कहा, ‘मैंने 16 सालों तक आफ्सपा के ख़िलाफ़ लड़ाई लड़ी पर लोगों ने चुनाव में मुझे नकार दिया. यही वजह है कि मैं मणिपुर नहीं लौटना चाहती. ये एक निजी फैसला है, जो मैंने विधानसभा चुनाव में हार के बाद लिया था.’

ज्ञात हो कि इरोम ने पिछले साल 9 अगस्त को आफ्सपा के ख़िलाफ़ अपना 16 साल पुराना अनशन तोड़ते हुए विधानसभा चुनाव लड़कर राज्य से आफ्सपा हटाने का निर्णय लिया था. फरवरी 2016 में हुए विधानसभा चुनाव में इरोम पीपुल्स रिसर्जेंस एंड जस्टिस अलाएंस  नाम की पार्टी बनाकर चुनाव मैदान में उतरी थीं. लेकिन इरोम को महज 90 वोट मिले. जनता ने उनसे ज़्यादा वोट ‘नोटा’ को दिए.

चुनाव परिणाम के बाद मानसिक शांति के लिए इरोम तमिलनाडु के कोडईकनाल चली गई थीं, तबसे वे वहीं रह रही हैं.

इस अख़बार से बात करते हुए शर्मिला ने कहा, ‘मैं राजनीति से पूरी तरह परेशान हो चुकी हूं. हालांकि मैं आफ्सपा के ख़िलाफ़ अपना संघर्ष किसी और मंच के ज़रिये जारी रखूंगी. मैं अभी ग्रीन अलाएंस से जुड़ी हूं, जो विभिन उद्देश्यों पर काम करने वाली एक सामाजिक संस्था है. हम इसके माध्यम से इस दमनकारी सैनिक नियम को हटाने के लिए कैंपेन चलाने की योजना बनाएंगे.

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उन्होंने बीते दिनों शादी के लिए आवेदन किया है. इस बारे में उन्होंने बताया कि रजिस्ट्रार ऑफिस से विवाह प्रमाण-पत्र अगस्त में मिलेगा, जिसके बाद पेरुमलाई (कोडईकनाल) की ही चर्च में समारोह होगा. लेकिन उनका परिवार इसका हिस्सा नहीं बनेगा. इरोम ने बताया, ‘इस समारोह में परिवार, रिश्तेदारों और दोस्तों को बुलाने की भी कोई योजना नहीं है. कुछ स्थानीय शुभचिंतक शायद इसमें शामिल हों.’

12 जुलाई को विवाह के लिए आवेदन करने के बाद उन्होंने कहा कि वे एक साधारण महिला की तरह आम ज़िंदगी बिताना चाहती हैं.

वहीं कोडईकनाल के एक सामाजिक कार्यकर्ता वी महेंद्रन ने शर्मिला की उनके दोस्त डेसमंड कुटान्हो से प्रस्तावित शादी के ख़िलाफ़ याचिका दाखिल की है. याचिकाकर्ता का कहना है कि अगर दंपति को विवाह की अनुमति दी जाती है तो वे कोडईकनाल में स्थायी रूप से बस जाएंगे और यह स्थानीय लोगों के हितों और इस जगह की सुरक्षा के लिहाज़ से ठीक नहीं है.

महेंद्रन का कहना है कि कुटान्हो विश्व गतिविधियों से संबंधित एक वेबसाइट के प्रभारी है और उन लोगों के यहां रहने से पहाड़ी इलाके की शांति भंग होगी.

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

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