असम: एनआईए अदालत ने अखिल गोगोई की ज़मानत याचिका ख़ारिज की

सीएए विरोधी प्रदर्शनों के मामले में दिसंबर 2019 में गिरफ़्तार कृषक मुक्ति संग्राम समिति के नेता अखिल गोगोई गुवाहाटी जेल में कोरोना संक्रमित पाए जाने के बाद से अस्पताल में हैं. गोगोई के वकील ने कहा है कि वे ज़मानत के लिए हाईकोर्ट का रुख करेंगे.

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असम के सिवसागर से विधायक और किसान नेता अखिल गोगोई. (फोटो: द वायर)

सीएए विरोधी प्रदर्शनों के मामले में दिसंबर 2019 में गिरफ़्तार कृषक मुक्ति संग्राम समिति के नेता अखिल गोगोई गुवाहाटी जेल में कोरोना संक्रमित पाए जाने के बाद से अस्पताल में हैं. गोगोई के वकील ने कहा है कि वे ज़मानत के लिए हाईकोर्ट का रुख करेंगे.

किसान नेता अखिल गोगोई. (फोटो: द वायर)
किसान नेता अखिल गोगोई. (फोटो: द वायर)

गुवाहाटी: असम में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन के मामले में गिरफ्तार किसान नेता अखिल गोगोई की जमानत याचिका एनआईए की विशेष अदालत ने शुक्रवार को खारिज कर दी.

गोगोई के वकील संतनु बोर्थाकुर से कहा कि अदालत ने जमानत याचिका खारिज कर दी है. उन्होंने कहा कि अभी हमने विस्तृत फैसले का अध्ययन नहीं किया है और उसे देखने के बाद याचिका खारिज किए जाने के कारण का पता लगेगा. हम अगले सात दिन में हाईकोर्ट का रुख करेंगे.

कृषक मुक्ति संग्राम समिति के प्रमुख को कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया है.

रिपोर्ट के अनुसार, दिसंबर में चांदमारी और छाबुआ पुलिस स्टेशन में गोगोई के खिलाफ दो मामले दर्ज किए गए थे. मामले की जांच अपने हाथ में लेने के बाद एनआईए ने गैरकानूनी गतिविधि (निवारक) अधिनियम (यूएपीए) के तहत आरोप दर्ज किए गए थे.

छाबुआ में दर्ज मामले के संबंध में गोगोई की यह जमानत याचिका खारिज की गई है. वहीं, चांदमारी में दर्ज मामले को रद्द करवाने के लिए एनआईए की विशेष अदालत में गोगोई ने शुक्रवार को एक आपराधिक याचिका दाखिल की है.

हालांकि, बीते 16 जुलाई को ऊपरी असम के डिब्रूगढ़ जिले में सीएए विरोधी प्रदर्शनों शामिल होने के कारण छाबुआ पुलिस स्टेशन में दर्ज तीन मामलों में गुवाहाटी हाईकोर्ट ने गोगोई को जमानत दे दी थी.

राज्य के अलग-अलग हिस्सों में गोगोई के समर्थक पिछले 15 से अधिक दिनों से उनकी रिहाई की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं जिसके कारण ऐसी उम्मीद थी कि शुक्रवार को वे रिहा हो सकते हैं.

बता दें कि सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों के दौरान पिछले साल 12 दिसंबर को अखिल गोगोई को जोरहाट से गिरफ्तार किया गया था. इसके अगले दिन उनके तीन साथियों को हिरासत में लिया गया था.

13 दिसंबर को असम पुलिस ने उन पर राष्ट्रद्रोह का मामला दर्ज किया और 14 दिसंबर को मामला एनआईए के पास पहुंचा था. तब एजेंसी ने आरोप लगाया था कि ‘गोगोई और अन्यों ने प्रकट रूप से सरकार के खिलाफ नफरत और असहमति भड़काई है.’

उन पर भारतीय दंड संहिता और अवैध (गतिविधियां) रोकथाम कानून की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था.

एनआईए ने एफआईआर में उन्हें ‘आतंकी गतिविधियों’ में लिप्त बताते हुए आरोप लगाया गया था कि ‘गोगोई और अन्यों ने संसद में पेश हुए नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएबी) के एक पैराग्राफ का इस्तेमाल विभिन्न समूहों को धर्म, जन्मस्थान, भाषा, निवास आदि के आधार पर भड़काने के लिए किया है, जो राष्ट्र की सुरक्षा और अखंडता को लेकर खतरा पैदा करता है.’

गोगोई को मार्च में जमानत मिली थी, लेकिन उन्हें रिहा नहीं किया गया. बाद में गौहाटी हाईकोर्ट द्वारा इस पर स्टे लगा दिया गया था.

हालांकि गोगोई के तीन सहयोगियों- बिट्टू सोनोवाल, धैय्जा कोंवर और मानश कोंवर को अब एनआईए के मामले में जमानत मिलने के बाद रिहा कर दिया गया है.

असम पुलिस ने गोगोई के खिलाफ 12 मामले दायर किए हैं, जिसमें से उन्हें अब तक तीन में जमानत मिली है. गोगोई के खिलाफ माओवादियों से कथित संबंध रखने के आरोप में भी केस दर्ज किए गए हैं.

उनके वकील के अनुसार अखिल गोगोई के खिलाफ आईपीसी की धारा 144, 143, 148, 153, 153 (ए), 153 (बी) के साथ-साथ सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान की रोकथाम (पीडीपीपीए) की धारा 3 और 4 के तहत आरोप लगाए गए हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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