लॉकडाउन: नवंबर 2018 के बाद जुलाई में राष्ट्रीय महिला आयोग को मिलीं सर्वाधिक शिकायतें

देश में महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध के सबसे अधिक मामले उत्तर प्रदेश में दर्ज किए गए. राष्ट्रीय महिला आयोग को मिलने वाली 2,914 शिकायतों में से उत्तर प्रदेश में आधे से अधिक यानी कि 1,461 मामले दर्ज किए गए. इसके बाद दिल्ली में 338 मामले दर्ज हुए.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

देश में महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध के सबसे अधिक मामले उत्तर प्रदेश में दर्ज किए गए. राष्ट्रीय महिला आयोग को मिलने वाली 2,914 शिकायतों में से उत्तर प्रदेश में आधे से अधिक यानी कि 1,461 मामले दर्ज किए गए. इसके बाद दिल्ली में 338 मामले दर्ज हुए.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)
(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) को इस साल जुलाई में महिलाओं के खिलाफ अपराध की 2,914 शिकायतें मिलीं.

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, एनसीडब्ल्यू में महिलाओं के खिलाफ अपराध की शिकायतों की यह संख्या नवंबर 2018 के बाद सबसे अधिक है, जब मी टू अभियान अपने चरम पर था.

आंकड़ों के अनुसार, अकेले जुलाई महीने में एनसीडब्ल्यू को घरेलू हिंसा की 660 शिकायतें मिलीं.

महिलाओं के खिलाफ अपराध की 2,914 शिकायतों में से सबसे अधिक 774 शिकायतें गरिमा के साथ जीने के अधिकार प्रावधान के तहत मिलीं. गरिमा के साथ जीने का अधिकार महिलाओं के भावनात्मक शोषण से जुड़ा है.

मी टू अभियान के चरम पर रहने के दौरान नवंबर 2018 में आयोग को कुल 3,339 शिकायतें मिली थीं. उसके बाद अब जुलाई 2020 में सबसे अधिक 2,914 शिकायतें मिली हैं.

एनसीडब्ल्यू अध्यक्ष रेखा शर्मा ने शिकायतों में बढ़ोतरी के लिए आयोग की सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बढ़ती गतिविधि को जिम्मेदार बताया.

उन्होंने कहा, शिकायतें बढ़ी हैं क्योंकि हम अब सोशल मीडिया पर बहुत सक्रिय हैं. हम ट्विटर और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्मों से भी मामले दर्ज कर रहे हैं. हमारे पास मामलों की रिपोर्टिंग के लिए एक वॉट्सऐप नंबर है जो पहले नहीं था.

वहीं, देश में सबसे अधिक मामले दर्ज करने वाले राज्यों में उत्तर प्रदेश शीर्ष पर है. उत्तर प्रदेश में आधे से अधिक यानी कि 1,461 शिकायतें मिलीं. इसके बाद दिल्ली में 338 मामले दर्ज हुए.

आंकड़ों के अनुसार, गरिमा के साथ जीने अधिकार के बाद दूसरे नंबर पर घरेलू हिंसा के तहत 660 शिकायतें दर्ज की गईं. विवाहित महिलाओं की प्रताड़ना और दहेज उत्पीड़न की 493 शिकायतें दर्ज हुईं.

आंकड़ों के अनुसार, महिलाओं के प्रति पुलिस की उदासीनता की 146 शिकायतें और साइबर अपराध की 110 शिकायतें आयोग को मिलीं.

आंकड़े दिखाते हैं कि इस साल जुलाई में बलात्कार और बलात्कार के प्रयास की 148 शिकायतें प्राप्त हुईं जबकि यौन उत्पीड़न की 50 शिकायतें आयोग को मिलीं.

पिछले महीने आयोग को महिलाओं के खिलाफ अपराध की 2,043 शिकायतें मिली थीं.

बता दें कि अप्रैल की शुरुआत में राष्ट्रीय महिला आयोग ने लॉकडाउन के चलते बढ़ीं घरेलू हिंसा की घटनाओं पर चिंता जताई थी. मार्च के पहले सप्ताह में एनसीडब्ल्यू को देशभर में महिलाओं के खिलाफ अपराध की 116 शिकायतें मिली थीं. लेकिन लॉकडाउन के दौरान 23 से 31 मार्च के दौरान घरेलू हिंसा की शिकायतें बढ़कर 257 हो गई थीं.

इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र ने भी दुनिया भर में लॉकडाउन के दौरान बढ़े घरेलू हिंसा के मामलों पर चिंता व्यक्त की थी. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने इन हालात में महिलाओं व लड़कियों के प्रति घरेलू हिंसा के मामलों में ‘भयावह बढ़ोत्तरी’ दर्ज किए जाने पर चिंता जताते हुए सरकारों से ठोस कार्रवाई का आह्वान किया था.

हालांकि, जून में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने कोरोना वायरस के मद्देनजर लगाए गए लॉकडाउन के दौरान देश में महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा के मामलों में बढ़ोतरी के दावे को खारिज किया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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