दिल्ली: आधा शैक्षणिक सत्र बीतने पर भी नॉर्थ एमसीडी के 714 स्कूलों के छात्रों को नहीं मिलीं किताबें

उत्तरी दिल्ली नगर निगम के स्कूलों में पहली से पांचवीं क्लास के 3.5 लाख बच्चे पढ़ाई करते हैं, जिनमें अधिकतर आर्थिक रूप से कमज़ोर परिवारों से हैं. किताबें न मिलने के साथ ही कई बच्चों की पढ़ाई इसलिए भी प्रभावित है क्योंकि घर में स्मार्टफोन न होने के चलते वे ऑनलाइन क्लास में हिस्सा नहीं ले पा रहे हैं.

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(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

उत्तरी दिल्ली नगर निगम के स्कूलों में पहली से पांचवीं क्लास के 3.5 लाख बच्चे पढ़ाई करते हैं, जिनमें अधिकतर आर्थिक रूप से कमज़ोर परिवारों से हैं. किताबें न मिलने के साथ ही कई बच्चों की पढ़ाई इसलिए भी प्रभावित है क्योंकि घर में स्मार्टफोन न होने के चलते वे ऑनलाइन क्लास में हिस्सा नहीं ले पा रहे हैं.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)
(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्लीः मौजूदा शैक्षणिक सत्र के पांच महीने बीतने के बाद भी उत्तरी दिल्ली नगर निगम (नॉर्थ एमसीडी) के 714 स्कूलों के छात्रों को अभी तक किताबें नहीं मिली हैं.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, किताबें न मिलने के साथ-साथ कई बच्चों की पढ़ाई इसलिए भी प्रभावित हो रही है क्योंकि उनके मां-बाप के पास स्मार्टफोन नहीं है और वे ऑनलाइन क्लास में हिस्सा नहीं ले पा रहे हैं.

नॉर्थ एमसीडी के विद्यालयों में पहली से पांचवीं तक के 3.5 लाख बच्चे पढ़ाई करते हैं जिसमें से अधिकतर गरीब परिवार से आते हैं.

नॉर्थ एमसीडी की प्रेस एवं सूचना विभाग निदेशक इरा सिंघल ने कहा कि यद्यपि किताबों को खरीदने की प्रक्रिया मार्च में पूरी हो गई थी लेकिन बाद में बताया गया कि किताबों के दाम बढ़ गए हैं और एक बार फिर से बजट मंजूर कराने की जरूरत थी. इस बीच लॉकडाउन के कारण फाइल अटक गई.

उन्होंने कहा, ‘अब हमने प्रक्रिया शुरू कर दी है और छात्रों को किताबें जल्द मिल जाएंगी.’

नॉर्थ एमसीडी में विपक्ष के नेता आम आदमी पार्टी (आप) के विकास गोयल ने दावा किया कि स्थायी समिति की बैठक में एजेंडा पास नहीं किया गया और न ही काम का आदेश दिया गया.

उन्होंने कहा, ‘इस हिसाब से तो छात्रों को किताबें मिलने में दो-तीन महीने लग जाएंगे.’

हालांकि, सिंघल ने कहा कि अग्रिम मंजूरी के लिए फाइल भेज दी गई है. मंजूरी मिलते ही हम किताबें लाने और उन्हें पहुंचाने का काम शुरू कर देंगे.

इस दौरान साउथ और ईस्ट एमसीडी किताबें खरीद चुकी हैं और या उन्हें बांटने का काम पूरा कर चुकी हैं या फिर प्रक्रिया में  हैं.

साउथ एमसीडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि स्कूलों ने मार्च-अप्रैल में किताबें खरीद ली थी और जब छात्र व शिक्षक उन्हें लेने आए तब उन्हें बांट दिया गया.

अधिकारी ने कहा, ‘हालांकि, कई मां-बाप शहर से चले गए हैं या लॉकडाउन के कारण किताबें नहीं ले पाए हैं. लेकिन प्रक्रिया एक बार फिर शुरू कर दी गई है.’

ईस्ट एमसीडी प्रवक्ता अरुण कुमार ने कहा कि किताबें खरीद ली गई थीं और लॉकडाउन हटने के बाद आने वाले मां-बाप और बच्चों को बांट दी गई थीं.

बता दें कि ईस्ट एमसीडी के 365 स्कूलों में करीब 1.75 लाख बच्चे हैं जबकि साउथ एमसीडी के 581 स्कूलों में करीब 2.5 लाख बच्चे हैं.

बता दें कि नॉर्थ एमसीडी में पहले से चली आ रही फंडिंग की कमी लॉकडाउन के दौरान और बड़ी समस्या बन गई है.

लॉकडाउन के दौरान तीन से चार महीने का वेतन न मिलने से नाराज डॉक्टरों ने जून महीने में हड़ताल के साथ सामूहिक इस्तीफे और स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) की धमकी दी थी जिसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश पर छह अस्पतालों के डॉक्टरों का वेतन जारी किया गया था.

हालांकि, इसके बाद भी नॉर्थ एमसीडी के डॉक्टरों की समस्याएं खत्म नहीं हुईं. दो महीने का वेतन मिलने के बाद फिर वेतन जारी नहीं हुआ जिसके कारण अब कोविड अस्पताल बन चुके हिंदू राव अस्पताल के डॉक्टरों ने एक बार फिर से वेतन की मांग को लेकर पिछले महीने उपराज्यपाल को पत्र लिखा था.

बता दें कि नॉर्थ एमसीडी के तहत हिंदू राव और कस्तूरबा अस्पताल के अलावा महर्षि वाल्मीकि संक्रामक रोग अस्पताल, गिरधारी लाल मैटरनिटी अस्पताल और राजन बाबू इंस्टीट्यूट ऑफ पल्मोनरी मेडिसिन और तपेदिक आते हैं. इसके साथ ही 21 डिस्पेंसरी, 63 मैटर्निटी एंड चाइल्ड वेलफेयर सेंटर, 17 पॉलीक्लिनिक और 7 मैटर्निटी होम हैं. नॉर्थ एमसीडी में 1000 वरिष्ठ डॉक्टर, 500 रेजिडेंट डॉक्टर और 1500 नर्सिंग स्टाफ काम करते हैं.

वहीं, दिल्ली हाईकोर्ट ने मार्च महीने से उत्तरी दिल्ली नगर निगम के स्कूलों के लगभग 9,000 शिक्षकों को वेतन नहीं देने के लिए  नगर निगम को फटकार लगाई थी.