तमिलनाडु: हाईकोर्ट का वेदांता समूह के स्टरलाइट कॉपर प्लांट को खोलने की मंज़ूरी देने से इनकार

प्रदूषण संबंधी चिंताओं पर हिंसक विरोध प्रदर्शन के बाद तमिलनाडु सरकार ने मई, 2018 में तूतीकोरिन स्थित वेदांता समूह के स्टरलाइट कॉपर प्लांट को बंद करने का निर्देश दिया था. वेदांता समूह ने आदेश को अवैध और असंवैधानिक बताते हुए मद्रास हाईकोर्ट में इसे चुनौती दी थी.

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(फोटो: रॉयटर्स)

प्रदूषण संबंधी चिंताओं पर हिंसक विरोध प्रदर्शन के बाद तमिलनाडु सरकार ने मई, 2018 में तूतीकोरिन स्थित वेदांता समूह के स्टरलाइट कॉपर प्लांट को बंद करने का निर्देश दिया था. वेदांता समूह ने आदेश को अवैध और असंवैधानिक बताते हुए मद्रास हाईकोर्ट में इसे चुनौती दी थी.

(फोटो: रॉयटर्स)
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चेन्नई: मद्रास हाईकोर्ट ने मंगलवार को तमिलनाडु के तूतीकोरिन में स्थित वेदांता समूह के स्टरलाइट कॉपर प्लांट को फिर से खोलने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है. प्रदूषण की चिंताओं को लेकर संयंत्र को 2018 में बंद कर दिया गया था.

राज्य सरकार ने तूतीकोरिन में स्टरलाइट के खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर यूनिट को स्थायी तौर पर बंद करने का आदेश दिया था. मई 2018 में इस प्रदर्शन के कारण पुलिस की गोलीबारी में 13 लोगों की मौत हो गई थी.

तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (टीएनपीसीबी) ने 23 मई, 2018 को स्टरलाइट कॉपर प्लांट को सील करने और स्थायी तौर पर बंद करने का निर्देश दिया था.

वेदांता समूह ने आदेशों को पूरी तरह से अवैध और असंवैधानिक बताते हुए चुनौती दी थी.

द हिंदू के अनुसार, मद्रास हाईकोर्ट के फैसले पर आश्चर्य जताते हुए स्टरलाइट कॉपर के सीईओ पंकज कुमार ने कहा, ‘यह फैसला स्टरलाइट कॉपर के कर्मचारियों और हजारों छोटे व्यवसायों, उद्यमियों और समुदाय के सदस्यों के लिए चौंकाने वाला है, जो हमारे सतत संचालन पर निर्भर करते हैं.’

उन्होंने आगे कहा, ‘यह देखना भी निराशाजनक है कि ऐसे समय में जब हमारा देश तांबे के आयात के लिए शत्रु पड़ोसियों पर निर्भर होने के लिए मजबूर है, कुछ ताकतें हमारे देश के एक स्वतंत्र तांबा निर्माता की क्षमता को बेकार करने की साजिश कर रही हैं. हम आने वाले दिनों में न्याय की खोज में सभी उपलब्ध कानूनी उपायों का अपनाएंगे.’

हाईकोर्ट में दायर अपनी याचिका में कंपनी ने आरोप लगाया था कि टीएनपीसीबी ने आंख बंद करके और स्वतंत्र तौर पर कोई विचार किए बिना क्षेत्र में चल रही राजनीतिक स्थिति को देखकर और राज्य सरकार के आदेश पर प्लांट को बंद करने का आदेश पारित कर दिया.

उसने दावा किया कि यह पूरी तरह से अवैध एवं असंवैधानिक होने के साथ वायु एवं जल अधिनियम का उल्लंघन है.

बता दें कि राज्य सरकार ने इस प्लांट को बंद करने का फैसला बीते 22 मई को हुए हिंसक प्रदर्शन के बाद दिया था. स्थानीय लोग प्रदूषण फैलाने के चलते कारखाने को बंद करने की मांग को लेकर 99 दिन से प्रदर्शन कर रहे थे.

आंदोलन के 100वें दिन प्रदर्शनकारी हिंसक हो गए और पुलिस की गोलीबारी में 13 लोग मारे गए.

पिछले साल दिसंबर में एनजीटी अध्यक्ष जस्टिस एके गोयल की अगुवाई वाली पीठ ने स्टरलाइट कॉपर प्लांट को स्थायी तौर पर बंद करने के तमिलनाडु सरकार के फैसले को रद्द कर दिया था. एनजीटी ने कहा था कि राज्य सरकार का फैसला बेदम और अनुचित है.

तमिलनाडु सरकार ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को प्लांट को सील करने और हमेशा के लिए बंद करने का आदेश दिया था.

हालांकि, तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एनजीटी के फैसले के खिलाफ अपील दायर कर दी थी. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने एनजीटी के फैसले को खारिज कर दिया था.

पर्यावरणविदों और स्थानीय कार्यकर्ताओं का दावा है कि तांबा गलाने के प्लांट से क्षेत्र में भूजल प्रदूषित हो रहा है, जिससे कई गंभीर बीमारियां हो रही हैं.

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