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कॉरपोरेट मंत्रालय के दस्तावेज़ दर्शाते हैं कि पीएम केयर्स फंड आरटीआई के दायरे में होना चाहिए

आरटीआई के तहत प्राप्त किए गए दस्तावेज़ों से पता चलता है कि कॉरपोरेट मंत्रालय ने अपनी फाइलों में ये लिखा है कि पीएम केयर्स फंड का गठन केंद्र सरकार द्वारा किया गया है. केंद्र सरकार द्वारा गठित कोई भी विभाग आरटीआई एक्ट के दायरे में आता है.

द वायर स्टाफ
23/08/2020
भारत/विशेष
(फोटो साभार: ट्विटर)
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आरटीआई के तहत प्राप्त किए गए दस्तावेज़ों से पता चलता है कि कॉरपोरेट मंत्रालय ने अपनी फाइलों में ये लिखा है कि पीएम केयर्स फंड का गठन केंद्र सरकार द्वारा किया गया है. केंद्र सरकार द्वारा गठित कोई भी विभाग आरटीआई एक्ट के दायरे में आता है.

(फोटो साभार: www.pmcares.gov.in)
(फोटो साभार: www.pmcares.gov.in)

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) लगातार पीएम केयर्स के संबंध में सूचनाएं देने से इनकार करता आ रहा है.

पीएमओ ने कहा है कि पीएम केयर्स फंड आरटीआई एक्ट, 2005 के तहत ‘पब्लिक अथॉरिटी’ नहीं है, क्योंकि इसका गठन केंद्र सरकार या किसी सरकारी आदेश के जरिये नहीं हुआ है.

हालांकि पारदर्शिता कार्यकर्ता अंजलि भारद्वाज द्वारा कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय से आरटीआई के तहत प्राप्त दस्तावेजों (फाइल नोटिंग्स) से पता चलता है कि मंत्रालय ने अपनी फाइलों में ये घोषित किया है कि इस फंड का गठन केंद्र सरकार के द्वारा किया गया है.

इस आधार पर पीएम केयर्स फंड को आरटीआई के दायरे में आना चाहिए और इससे संबंधित जानकारियां सार्वजनिक की जानी चाहिए.

मालूम हो कि कोरोना वायरस से लड़ने के नाम पर जनता से आर्थिक मदद प्राप्त करने के लिए 27 मार्च 2020 को पीएम केयर्स का गठन किया गया था.

इसी दिन कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय में ‘कंपनी अधिनियम, 2013 की अनुसूची VII के आइटम नंबर (viii) के तहत पात्र सीएसआर गतिविधि के रूप में पीएम केयर्स फंड में अनुदान पर स्पष्टीकरण’ के नाम से तैयार की गई एक फाइल में कहा गया है कि इस फंड में भारतीय कंपनियों द्वारा किए गए सभी अनुदान को कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) गतिविधि माना जाएगा, क्योंकि केंद्र सरकार द्वारा पीएम केयर्स की स्थापना की गई है.

मंत्रालय के नोट में कहा गया है:

कंपनी अधिनियम, 2013 की अनुसूची VII के आइटम नंबर (viii), जो कंपनियों द्वारा उनके सीएसआर दायित्वों के निर्वहन में की जाने वाली गतिविधियों का उल्लेख करता है, के तहत राहत एवं सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए केंद्र सरकार द्वारा स्थापित किसी भी कोष में अनुदान को सीएसआर खर्च माना जाता है.

किसी भी प्रकार की आपातकालीन या संकट की स्थिति से प्रभावित लोगों को राहत प्रदान करने के लिए पीएम केयर्स फंड की स्थापना की गई है. तदनुसार, यह स्पष्ट किया जाता है कि पीएम केयर्स फंड में किया गया कोई भी अनुदान को कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत सीएसआर व्यय माना जाएगा. सक्षम प्राधिकारी की अनुमति के साथ इसे मंजूरी दी गई है.

कंपनी अधिनियम 2013 के तहत पहले ‘प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष या केंद्र सरकार या राज्य सरकार द्वारा सामाजिक-आर्थिक विकास एवं राहत के लिए स्थापित फंड’ में अनुदान को सीएसआर गतिविधि या खर्च माना जाता था.

हालांकि पीएम केयर्स फंड के गठन के दो महीने बाद 26 मई को केंद्र सरकार ने कंपनी अधिनियम में ही संशोधन कर दिया और उसमें पीएम केयर्स फंड भी जोड़ दिया गया. इसका मतलब ये हुआ कि पीएम केयर्स फंड का गठन केंद्र द्वारा किया गया हो या नहीं, कंपनियों द्वारा किए गए इसमें अनुदान को सीएसआर खर्च माना जाएगा.

केंद्र द्वारा इस तरह का संशोधन किए जाने की वजह से अब ये दलील भी कमजोर पड़ जाती है कि चूंकि कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने अपनी फाइलों में ये कहा है कि ‘पीएम केयर्स का गठन केंद्र सरकार द्वारा किया गया है’ इसलिए इसे आरटीआई एक्ट के तहत पब्लिक अथॉरिटी माना जाना चाहिए.

आरटीआई कार्यकर्ता भारद्वाज ने द हिंदू को बताया, ‘यदि कॉरपोरेट मंत्रालय ये मान रहा था कि पीएम केयर्स फंड का गठन केंद्र सरकार ने किया है तो क्यों पीएमओ आरटीआई के तहत इससे जुड़ी जानकारियों को साझा करने से मना करता आ रहा है.’

उन्होंने सरकार द्वारा 28 मार्च को जल्दबाजी में जारी किए गए सर्कुलर (सीएसआर के संबंध में) पर सवाल उठाया और ये अंदेशा जताया कि चूंकि वित्त वर्ष 2019-20 को खत्म होने में सिर्फ तीन दिन ही बचे थे, इसलिए सरकार ने आनन-फानन में पीएम केयर्स फंड में सीएसआर राशि प्राप्त करने की मंजूरी दी, ताकि बड़ी कंपनियों की इस्तेमाल न की गई सीएसआर राशि को पीएम केयर्स में प्राप्त किया जा सके.

लंबे समय के बाद पीएम केयर्स ने सिर्फ ये जानकारी दी है कि इस फंड को बनने के पांच दिन के भीतर यानी कि 27 मार्च से 31 मार्च 2020 के बीच में कुल 3076.62 करोड़ रुपये का डोनेशन प्राप्त हुआ है. इसमें से करीब 40 लाख रुपये विदेशी चंदा है.

वहीं महारत्न से लेकर नवरत्न तक देश भर के कुल 38 सार्वजनिक उपक्रमों यानी कि पीएसयू या सरकारी कंपनियों ने पीएम केयर्स फंड में 2,105 करोड़ रुपये से ज्यादा की सीएसआर राशि दान की है.

ओएनजीसी ने सबसे ज्यादा 300 करोड़ रुपये, एनटीपीसी ने 250 करोड़ रुपये, इंडियन ऑयल ने 225 करोड़ रुपये सीएसआर राशि पीएम केयर्स फंड में डोनेट की है.

नियम के मुताबिक, सीएसआर राशि को उन कार्यों में खर्च करना होता है, जिससे लोगों के सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक, नैतिक और स्वास्थ्य आदि में सुधार हो तथा आधारभूत संरचना, पर्यावरण और सांस्कृतिक विषयों को बढ़ाने में मदद मिल सके.

भारद्वाज कहती हैं कि पीएम केयर्स फंड पर पीएमओ लगातार जनता को गुमराह करता आ रहा है. उन्होंने कहा, ‘मैंने उनसे ये जानकारी मांगी थी कि पीएम केयर्स फंड के संबंध में जो दस्तावेज पीएमओ के पास है, उसकी प्रति दी जाए. हालांकि पीएमओ ने ये कहते हुए आवेदन खारिज कर दिया कि पीएम केयर्स फंड पब्लिक अथॉरिटी नहीं है.’

कार्यकर्ता ने कहा, ‘ये जवाब बिल्कुल गलत है. चूंकि पीएमओ एक पब्लिक अथॉरिटी है, इसलिए उसके पास जो भी दस्तावेज हैं, उसे आरटीआई एक्ट के तहत देने पड़ेंगे. यहां इस बात का कोई मतलब नहीं रह जाता कि पीएम केयर्स फंड पब्लिक अथॉरिटी है या नहीं, क्योंकि मांगी गई जानकारी पीएमओ के रिकॉर्ड से संबंधित थी.’

अंजलि भारद्वाज ने अब अपने विभिन्न आरटीआई आवेदनों पर पीएमओ द्वारा दिए गए जवाब के खिलाफ अपील दायर कर दिया है.

पीएम केयर्स फंड के अध्यक्ष प्रधानमंत्री हैं और सरकार के सर्वोच्च पदों पद बैठे गृह मंत्री, रक्षा मंत्री, वित्त मंत्री जैसे व्यक्ति इसके सदस्य हैं.

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