जीएसटी क्षतिपूर्ति को लेकर केंद्र के विकल्पों को राज्यों ने ठुकराया, कहा- सरकार ख़ुद उधार ले

पिछले हफ्ते जीएसटी परिषद की बैठक के दो दिन बाद केंद्र सरकार ने 2.3 लाख करोड़ रुपये के मुआवज़े की कमी उधार लेकर पूरा करने के लिए राज्यों को दो विकल्प दिए थे. आठ ग़ैर- भाजपा शासित राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने केंद्र के इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया है. इस संबंध में पांच मुख्यमंत्रियों ने प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री को पत्र लिखा है.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण. (फोटो साभार: पीआईबी)

पिछले हफ्ते जीएसटी परिषद की बैठक के दो दिन बाद केंद्र सरकार ने 2.3 लाख करोड़ रुपये के मुआवज़े की कमी उधार लेकर पूरा करने के लिए राज्यों को दो विकल्प दिए थे. आठ ग़ैर- भाजपा शासित राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने केंद्र के इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया है. इस संबंध में पांच मुख्यमंत्रियों ने प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री को पत्र लिखा है.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण. (फोटो साभार: पीआईबी)
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण. (फोटो साभार: पीआईबी)

नई दिल्लीः केंद्र सरकार के राज्यों को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था के तहत क्षतिपूर्ति घाटे को पूरा करने के लिए उधार लेने के प्रस्ताव को ठुकराते हुए गैर भाजपा शासित राज्यों के चार मुख्यमंत्रियों का कहना है कि इसके बजाय केंद्र सरकार को उधार लेना चाहिए.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री पलानीस्वामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है, जबकि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखा है.

इनके अलावा बुधवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस संबंध में प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है.

पिछले हफ्ते जीएसटी परिषद की बैठक के दो दिन बाद केंद्र सरकार ने 2.3 लाख करोड़ रुपये के मुआवज़े की कमी उधार लेकर पूरा करने के लिए राज्यों को दो विकल्प दिए थे.

केरल के वित्त मंत्री थॉमस इसाक ने कहा कि राज्य न सिर्फ केंद्र सरकार का प्रस्ताव ठुकरा रहे हैं, बल्कि तीसरा विकल्प भी दे रहे हैं और यह तीसरा विकल्प यह है कि केंद्र सरकार पूरा मुआवजा खुद उधार ले और राज्यों को यह राशि उपलब्ध कराएं.

उन्होंने कहा, ‘केंद्र सरकार का उधार लेना आसान है. वह सीधे बाजार से उधार ले सकती है लेकिन अगर उसे डर है कि ब्याद दरें बढ़ेंगी तो कर्ज का मुद्रीकरण कर दें. सभी देश ऐसा ही कर रहे हैं.’

इन दोनों विकल्पों को चुनौती देने को लेकर कानूनी प्रक्रिया पर विचार-विमर्श पर हो रहा है. हालांकि कई राज्यों के वित्त मंत्रियों का कहना है कि यह आखिरी उपाय होगा.

इस मामले पर जीएसटी परिषद की अगली बैठक में वोटिंग होगी. यह बैठक 19 सितंबर को होने जा रही है.

आठ गैर भाजपा शासित राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों- पंजाब, पश्चिम बंगाल, केरल, दिल्ली, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, राजस्थान और पुदुचेरी ने 31 अगस्त को बैठक में केंद्र सरकार के इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया था.

तेलंगाना के मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव ने प्रधानमंत्री मोदी को लिखे पत्र में कहा है कि कोरोना की वजह से राज्यों का खर्च बढ़ गया है और जीएसटी के लागू होने के बाद से उसके राजस्व में कमी आई है.

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के पास अभी भी आयकर, कॉरपोरेट टैक्स और सीमा शुल्क जैसे कर जुटाने के कई स्रोत हैं.

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पत्र में कहा है कि केंद्र सरकार ने जो विकल्प दिए हैं, जिनमें राज्यों को कर्ज लेने और फिर पुनर्भुगतान करने के लिए कहा गया है. इससे राज्यों पर भारी बोझ पड़ेगा.

उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से कानूनी रूप से व्यवहार्य विकल्प पर विचार करने की अपील करते हुए कहा कि जीएसटी परिषद को केंद्र को अपनी ओर से कर्ज लेने के लिए अधिकृत करने के मामले में विचार करना चाहिए और 2022 से आगे उपकर (सेस) संग्रह की अवधि बढ़ानी चाहिए.

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री पलानीस्वामी ने प्रधानमंत्री मोदी को लिखे अपने पत्र में कहा, ‘केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित दोनों विकल्पों में राज्यों को उधार लेना है, जो प्रशासनिक रूप से क्रियान्वित करना मुश्किल है और अधिक महंगा है. चाहे भारत सरकार उधार ले या फिर राज्य सरकारें, रेटिंग एजेंसियां या फिर अर्थव्यवस्था पर नजर रखने वाली अन्य एजेसियों के लिए सरकारी घाटा ही प्रासंगिक है.’

ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा है, ‘मैं जीएसटी संबंध जटिलताओं को लेकर परेशान हूं, जो राज्य के प्रति भारत सरकार के विश्वास और नैतिक जिम्मेदारी के साथ विश्वासघात करने के बराबर है और जो संघवाद के नियमों की अवहेलना करता है.’

ममता बनर्जी ने कहा, ‘आश्वासन देने के बजाय राज्यों को दो एकतरफा विकल्पों से झटका दिया जा रहा है, जिसमें राज्यों को ही लाखों-करोड़ों रुपये उधार लेने की जरूरत है, वह भी तब जब वे अपने कर्मचारियों को वेतन देने में भी असमर्थ हैं.’

बता दें कि पिछले हफ्ते जीएसटी परिषद की बैठक के दो दिन बाद केंद्र सरकार ने 2.35 लाख करोड़ रुपये के मुआवजे की कमी को पूरा करने के लिए राज्यों को प्रस्तावित दो विकल्प दिए थे लेकिन गैर-भाजपा शासित राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों- पंजाब, पश्चिम बंगाल, केरल, दिल्ली, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, राजस्थान, पुदुचेरी ने सोमवार को हुई एक बैठक में केंद्र सरकार के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था.

मालूम हो कि केंद्र सरकार ने राज्यों को जो दो विकल्प दिए गए हैं, उनमें पहला विकल्प है कि राज्यों को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से 97,000 करोड़ का विशेष कर्ज मिलेगा, जिस पर ब्याज काफी कम लगेगा.

दूसरा विकल्प है कि राज्‍य विशेष विंडो की मदद से 235,000 करोड़ रुपये के जीएसटी क्षतिपूर्ति गैप को आरबीआई के साथ विचार-विमर्श कर भरें.