गोरक्षा के नाम पर हत्याओं में संघ परिवार के लोग शामिल हैं: विपक्ष

गोरक्षा के नाम पर पीट-पीटकर कर हो रही हत्याओं के मुद्दे पर संसद में घिरी सरकार, विपक्ष ने किया ज़बरदस्त हमला, सरकार बोली- सहिष्णुता इस देश का डीएनए है.

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New Delhi : A view of Parliament House in New Delhi on Wednesday. PTI Photo by Atul Yadav (PTI12_19_2012_000056A)

 

गोरक्षा के नाम पर पीट-पीटकर कर हो रही हत्याओं के मुद्दे पर संसद में घिरी सरकार, विपक्ष ने किया ज़बरदस्त हमला, सरकार बोली- सहिष्णुता इस देश का डीएनए है.

New Delhi : A view of Parliament House in New Delhi on Wednesday. PTI Photo by Atul Yadav (PTI12_19_2012_000056A)
भारतीय संसद भवन (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: देश के विभिन्न हिस्सों में पिछले दिनों कथित गौरक्षा के नाम पर लोगों की पीट-पीट कर हत्या किए जाने की कई घटनाओं को लेकर विपक्ष ने बुधवार को राज्यसभा में केंद्र सरकार तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर तीखा हमला बोला और ऐसी घटनाओं में संघ परिवार के लोगों के संलिप्त होने का आरोप लगाया.

उच्च सदन में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने भाजपा और संघ पर निशाना साधते हुए कहा कि पहले भी ऐसी घटनाएं होती थीं लेकिन उनमें निजी स्तर पर लोग शामिल होते थे. उन्होंने आरोप लगाया कि अभी जो ऐसी घटनाएं हो रही हैं, उनमें संघ परिवार के लोग शामिल हैं.

आजाद ने आरोप लगाया कि भाजपा ने देश में भय का माहौल बना दिया है. उन्होंने कहा कि कश्मीर से कन्याकुमारी तक ऐसी घटनाएं हो रही हैं और जम्मू कश्मीर में भी वे लोग हालात बिगाड़ रहे हैं.

ऐसे लोगों का संरक्षण मिला हुआ है

उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि हजारों लोगों के सामने पीट पीट कर हत्या कर दी जाती है और एक भी व्यक्ति उनकी रक्षा के लिए आगे नहीं आता. उन्होंने इस क्रम में अमेरिका की एक घटना का भी जिक्र किया जिसमें दो मुस्लिम महिलाओं की रक्षा के लिए दो अमेरिकी नागरिकों ने अपनी जान दे दी.

उन्होंने आरोप लगाया कि ऐसे लोगों को संरक्षण मिला हुआ है. उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाओं पर प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के बयान आए हैं. उन्होंने कहा कि ऐसा संदेह प्रतीत होता है कि आपसी समझ बनी हुई है, नहीं तो ऐसे मामलों को लेकर कई लोग जेल के अंदर होते.

ऐसी घटनाएं मध्य युग में होती थीं

देश भर में अल्पसंख्यकों और दलितों की पीट पीट कर हत्या तथा उन पर अत्याचार की घटनाओं में वृद्धि से उत्पन्न स्थिति पर उच्च सदन में अल्पकालिक चर्चा की शुरुआत करते हुए आजाद ने कहा कि यह शर्मनाक स्थिति है जब आजादी के 70 साल बाद भी देश में ऐसी घटनाएं हो रही हैं जो बेहद चिंता का विषय है.

आजाद ने विभिन्न राज्यों में हुई कई घटनाओं का जिक्र किया और आरोप लगाया कि झारखंड ऐसी घटनाओं का अखाड़ा बन गया है. उन्होंने कहा कि जिस प्रकार की ये घटनाएं हो रही हैं, वैसी मध्य युग में होती थीं. उन्होंने कहा कि हमने भी हुकूमत की है लेकिन इस प्रकार का माहौल कभी नहीं रहा.

आजाद ने कहा कि जम्मू कश्मीर में आतंकवाद के दौर में भी मानवाधिकार का इतना उल्लंघन नहीं हुआ था जबकि उस समय वहां निर्वाचित सरकार भी नहीं थी. उन्होंने आरोप लगाया कि राष्ट्रीय स्तर पर दलितों और अल्पसंख्यकों को बैंकों से ऋण नहीं मिलता है.

भाजपा के लोग खुद ही खराब कर रहे माहौल

व्हाट्सएप पर भेजे जाने वाले संदेशों का जिक्र करते हुए आजाद ने कहा कि ऐसे मामलों में सबसे ज्यादा भाजपा और संघ परिवार के लोग ही जेल जाएंगे.

उन्होंने श्रीनगर में एक पुलिस अधिकारी की भीड़ द्वारा पीट पीट कर हत्या किए जाने की घटना का भी जिक्र किया और इसे शर्मनाक बताया. उन्होंने मीडिया के एक तबके को धन्यवाद दिया जो इस प्रकार की घटनाओं को सामने ला रहे हैं और सच तथा झूठ का अंतर जानते हैं.

आजाद ने कहा कि सत्ता में होने के कारण कानून व्यवस्था को लेकर भाजपा की जिम्मेदारी ज्यादा बनती है. लेकिन वे खुद ही माहौल खराब बना रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह कोई धर्म या जाति की लड़ाई नहीं है बल्कि इंसानियत की लड़ाई है. ऐसी घटनाओं से अपना ही घर कमजोर होता है. भाजपा वोट की राजनीति छोड़े और इस प्रकार की घटनाओं पर काबू पाने के लिए कदम उठाए.

हिंदू राष्ट्रवाद बना देशभक्ति का पैमाना

माकपा के सीताराम येचुरी ने कहा कि आज बीफ धर्म की पहचान करने का जरिया हो गया है. उन्होंने कहा कि गोरक्षा के नाम पर बने और दलों को केंद्रीय आदेश के द्वारा प्रतिबंधित किया जाना चाहिए. इस तरह की घटनाएं संविधान में प्रदान समानता के अधिकार के विरोधाभासी है.

उन्होंने कहा कि आज देशभक्ति को हिंदू राष्ट्रवाद के रूप में पेश किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार का यह कहना कि ऐसी घटनाओं को कुछ छिटपुट असामाजिक तत्व अंजाम दे रहे हैं, सही नहीं है बल्कि उसके पीछे एक वैचारिक सोच है. गोरक्षकों और एंटी रोमियो जैसे दलों को कानूनी तौर पर प्रतिबंधित किया जाना चाहिए.

तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि गोभक्ति के नाम पर हत्या को किसी भी तरह से स्वीकार नहीं किया जा सकता है. उन्होंने सत्ता पक्ष पर आरोप लगाया कि वह सोशल मीडिया का दुरुपयोग कर लोगों में भ्रामक धारणा फैलाती है और देश में तरक्की होने को बात को प्रचारित करने के लिए आंकड़ों के साथ हेरफेर कर रही है.

सहिष्णुता इस देश का डीएनए है

अल्पसंख्यक राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि गोरक्षा के नाम पर जो हमले की घटनाएं हो रही हैं वह शुद्ध रूप से अपराध है और इसे सांप्रदायिकता का रंग नहीं दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि ऐसा करने से उन अपराधियों को मदद मिलती है.

उन्होंने कहा कि सहिष्णुता इस देश का डीएनए है और इस देश का संस्कार सद्भाव है. जहां कहीं भी ऐसी घटनाएं हो रही हैं वहां की राज्य सरकारों को इसे सख्ती से निपटना चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार विकास के एजेंडे में बाधा डालने वाले किसी एजेंडे को सामने नहीं आने देगी.

नरेश अग्रवाल की टिप्पणी पर हंगामा

सपा के नरेश अग्रवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री के बयान के बाद उनकी पार्टी के गोवा के मुख्यमंत्री का बयान विरोधाभासी है. उन्होंने कहा कि इस देश में कुछ लोग हिंदुत्व के ठेकेदार बन गए हैं. उनके एक बयान पर सत्तापक्ष के लोगों ने गंभीर आपत्ति जताई और उनसे माफी की मांग करने लगे जिसके कारण सदन की कार्यवाही को तीन बजकर 10 मिनट पर 10 मिनट के लिए स्थगित करना पड़ा.

तीन बजकर 20 मिनट पर सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू होने पर विवाद जारी रहा और नरेश अग्रवाल के खेद प्रकट करने पर कार्यवाही दोबारा शुरू हुई.

मवेशी बाजार बंद हुए

नरेश अग्रवाल ने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहा कि भीड़ द्वारा पीट पीट कर की जाने वाली हत्या का एक असर यह हुआ कि जो पहले मवेशी बाजार लगते थे वो लगना बंद हो गये हैं. इन बाजारों में गरीब लोग अपने मवेशी खरीदा और बेचा करते थे. उन्होंने कहा कि आज भाजपा की सरकार में उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था संभल नहीं रही है.

उन्होंने कहा कि पीट पीट कर की जाने वाली हत्या पर एक सख्त कानून बनना चाहिए और सरकार घोषणा करे कि इस देश में ऐसी किसी घटना को अंजाम देने नहीं दिया जाएगा.

गोरक्षा के नाम पर हत्याएं मानवीय विभीषिका

अन्नाद्रमुक की विजला सत्यनाथ ने कहा कि दलितों पर देश में हो रहे हमले एक लोकतांत्रिक समाज के लिए पीड़ाजनक हैं. यह हिंसक हमले सोशल मीडिया के जरिये भी होते हैं. ऐसी घटनाओं के विरोध में प्रधानमंत्री के बयान के बावजूद घटनाएं रुक नहीं रही हैं.

उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाएं मानवीय विभीषिका हैं और इन्हें रोकने के लिए संसद को कानून पारित करना चाहिए. उन्होंने इन घटनाओं की जांच के लिए कार्य बल बनाये जाने की मांग की.

आतंक फैला रहे हैं कुछ संगठन

बसपा के सतीश चंद्र मिश्रा ने विजला के कार्यबल के सुझाव का समर्थन किया. उन्होंने कहा कि देश भर में दलितों, कमजोरों और अल्पसंख्यकों के खिलाफ उत्पीड़न की घटनाएं हो रही हैं. उन्होंने कहा कि गोरक्षा के नाम पर कुछ संगठनों के लोग आतंक फैलाना चाहते हैं.

उन्होंने कहा कि मंगलवार को बसपा प्रमुख मायावती जब सदन में दलितों के उत्पीड़न से जुड़े मुद्दे को उठा रही थीं तो सत्ता पक्ष के सदस्यों एवं मंत्रियों द्वारा उनकी आवाज को दबा दिया गया है. दंभ में आई केंद्र की भाजपा सरकार यह भूल गई है कि उसे विकास के लिए जनादेश मिला है न कि विनाश के लिए.

मायावती इस्तीफे पर पुनर्विचार करें

मायावती से जुड़े घटनाक्रम को सतीश चंद्र मिश्रा द्वारा उठाए जाने पर उपसभापति पीजे कुरियन ने स्पष्टीकरण दिया कि उन्होंने बसपा प्रमुख को तीन मिनट बोलने का अवसर दिया था. वह पूरे सदन की ओर से मायावती से अनुरोध करते हैं कि वह अपने इस्तीफे के फैसले पर पुनर्वचिार करें. नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद, माकपा के तपन कुमार सेन ने इसका समर्थन किया. चर्चा में राकांपा के माजिद मेनन और मनोनीत स्वप्न दासगुप्ता ने भी भाग लिया. चर्चा अधूरी रही.

मौजूदा कानून में बदलाव की जरूरत नहीं

गोरक्षा के नाम पर हिंसा के मुद्दे को लेकर सरकार के जवाब से असंतोष जताते हुए सपा ने राज्यसभा में हंगामा किया. वहीं सरकार ने कहा कि ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए राज्यों के पास अधिकार हैं तथा मौजूदा कानून में बदलाव की कोई जरूरत नहीं है.

गृह राज्य मंत्री हंसराज गंगाराम अहीर ने प्रश्नकाल में पूरक सवालों के जवाब में कहा कि ऐसी घटनाओं में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई के लिए राज्यों के पास अधिकार हैं तथा मौजूदा कानून में बदलाव की कोई जरूरत नहीं है. इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि इस तरह की घटनाओं को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

मंत्री के जवाब से असंतोष जताते हुए सपा के सदस्य आसन के समक्ष आ गए और सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने लगे. हंगामा होने के कारण सदन कार्यवाही स्थगित भी हुई.

देश के 24 राज्यों में गोवध पाबंदी कानून

गृह राज्य मंत्री अहीर ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पहले ही राज्यों को परामर्श जारी किया है और उनसे ऐसी घटनाओं में तुरंत प्राथमिकी दर्ज करने तथा कार्वाई करने को कहा है. उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि मुझे नहीं लगता है कि कानून में बदलाव की जरूरत है.

अहीर ने कहा कि देश के 24 राज्यों में गोवध पाबंदी कानून है. संविधान के अनुसार पुलिस और कानून व्यवस्था राज्य के विषय हैं. कानून व्यवस्था कायम करने तथा जानमाल की सुरक्षा का उारदायित्व संबंधित राज्य सरकारों का होता है.

अहीर ने कहा कि राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो गोरक्षा के नाम पर हत्याएं से जुड़े आंकड़े नहीं रखता. 2014 से ब्यूरो ने पीट पीट कर हत्या जैसी घटनाओं का आंकड़ा रखना शुरू किया है. गैर भाजपा शासित प्रदेशों में भी ऐसी घटनाएं हुई हैं. यह कहना सही नहीं है कि भाजपा के लोग इस प्रकार की घटनाओं में शामिल हैं.

(समाचार एजेंसी पीटीआई से इनपुट के साथ)

 

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