अप्रैल से लेकर अब तक 83 लाख से अधिक नए मनरेगा कार्ड जारी, सात सालों में सर्वाधिक बढ़ोतरी: रिपोर्ट

वित्त वर्ष 2020-21 में एक अप्रैल से तीन सितंबर तक 83.02 लाख नए मनरेगा कार्ड जारी किए गए हैं, जो वित्त वर्ष 2019-20 की तुलना में 28.32 फीसदी अधिक है. 2019-20 में सिर्फ़ 64.70 लाख नए मनरेगा कार्ड जारी किए गए थे.

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(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

वित्त वर्ष 2020-21 में एक अप्रैल से तीन सितंबर तक 83.02 लाख नए मनरेगा कार्ड जारी किए गए हैं, जो वित्त वर्ष 2019-20 की तुलना में 28.32 फीसदी अधिक है. 2019-20 में सिर्फ़ 64.70 लाख नए मनरेगा कार्ड जारी किए गए थे.

(फोटो: पीटीआई)
(फोटो: पीटीआई)

नई दिल्लीः मौजूदा वित्त वर्ष 2020-21 के शुरुआती पांच महीनों (अप्रैल से सितंबर) के दौरान 83 लाख से अधिक नए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) कार्ड जारी किए गए हैं.

एक अप्रैल से तीन सितंबर तक की यह संख्या (83.02 लाख नए कार्ड) बीते सात सालों में हुई वार्षिक बढ़ोतरी से अधिक है, जिसके आंकड़े मनरेगा पोर्टल पर उपलब्ध है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2014-15 में कुल 2,834,600 नए कार्ड बने थे. वित्त वर्ष 2015-16 में कुल 5,446,399 नए कार्ड, वित्त वर्ष 2016-17 में कुल 7,732,317 नए कार्ड, वित्त वर्ष 2017-18 में कुल 7,702,983 नए कार्ड, वित्त वर्ष 2018-19 में कुल 6,237,626 नए कार्ड, वित्त वर्ष 2019-20 में कुल 6,470,402 नए कार्ड, वित्त वर्ष 2020-21 में तीन सितंबर तक कुल 8,302,834 नए कार्ड जारी किए जा चुके हैं.

वित्त वर्ष 2019-20 में 64.70 लाख रोजगार कार्ड जारी किए गए हैं, जिसकी तुलना में 28.32 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है.

रोजगार कार्ड में यह तेज वृद्धि ऐसे समय में हुई है, जब कोरोना वायरस के मद्देनजर बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर अपने गांव लौट आए हैं.

रिपोर्ट के अनुसार, इन 83.02 लाख नए रोजगार कार्डों में से सबसे अधिक 21.09 लाख कार्ड उत्तर प्रदेश में जारी किए गए हैं. इसके बाद बिहार में 11.22 लाख, पश्चिम बंगाल में 6.82 लाख, राजस्थान में 6.58 लाख और मध्य प्रदेश में 5.56 लाख कार्ड जारी किए गए हैं. इन्हीं राज्यों में सबसे अधिक संख्या में प्रवासी मजदूर लौटे हैं.

प्रतिशत के लिहाज से देखें तो उत्तर प्रदेश में नए रोजगार कार्ड में सबसे अधिक 172 फीसदी की वृद्धि हुई है. पिछले साल 7.72 लाख की तुलना में इस बार 21.09 लाख नए कार्ड जारी किए गए हैं. इसके बाद आंध्र प्रदेश में 154 फीसदी और राजस्थान में 69 फीसदी की वृद्धि हुई है.

इससे पहले हाल ही में जारी एक रिपोर्ट से पता चला था कि कोरोना महामारी के बीच मनरेगा योजना में महिलाओं की भागीदारी आठ साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई.

आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, इस वित्त वर्ष के शुरुआती पांच महीनों के दौरान मनरेगा में महिलाओं की भागीदारी 52.46 फीसदी तक रह गई.

मनरेगा योजना के तहत प्रत्येक लाभार्थी ग्रामीण परिवार को एक जॉब कार्ड दिया जाता है, जिसमें घर के सभी सदस्यों के नाम और फोटो होते हैं, जो काम कर सकते हैं.

मनरेगा नियमों के अनुसार, अगर कोई परिवार स्थायी तौर पर शहरी इलाके में बस गया है या किसी और ग्राम पंचायत में चला गया है या फिर उनका कार्ड डुप्लीकेट पाया जाता है तो ऐसी स्थिति में जॉब कार्ड को रद्द किया जा सकता है.

आंकड़ों से पता चला है कि इस वित्त वर्ष में अब तक 10.39 लाख मनरेगा जॉब कार्ड रद्द किए गए हैं. 2019-2020 में 13.97 लाख कार्ड रद्द किए गए थे.

मालूम हो कि तीन सितंबर 2020 तक कुल जॉब कार्डों की संख्या 14.36 करोड़ है.

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