कैंपस में अनुशासन को लेकर जेएनयू, जामिया, एएमयू और बीएचयू जैसे विश्वविद्यालयों ने चर्चा की

जामिया मिलिया इस्लामिया द्वारा आयोजित वेबिनार ‘विश्वविद्यालयों में अनुशासन’ में जामिया, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और जामिया हमदर्द शामिल थे. चर्चा में कैंपस के उपद्रवी तत्वों को अलग-थलग करने से लेकर पुलिस के साथ संपर्क पर चर्चा की गई.

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(फाइल फोटो: पीटीआई)

जामिया मिलिया इस्लामिया द्वारा आयोजित वेबिनार ‘विश्वविद्यालयों में अनुशासन’ में जामिया, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और जामिया हमदर्द शामिल थे. चर्चा में कैंपस के उपद्रवी तत्वों को अलग-थलग करने से लेकर पुलिस के साथ संपर्क पर चर्चा की गई.

जामिया मिलिया इस्लामिया. (फोटो साभार: duupdates.in)
जामिया मिलिया इस्लामिया. (फोटो साभार: duupdates.in)

नई दिल्ली: पिछले कुछ समय में अपने कैंपसों में विरोध प्रदर्शनों और पुलिस कार्रवाइयां देखने वाले शीर्ष केंद्रीय विश्वविद्यालयों ने मंगलवार को अनुशासन लागू करने के तरीकों पर चर्चा की और अलग मानसिकता व निहित स्वार्थों के आधार पर शैक्षणिक गतिविधियों में रुचि रखने वाले छात्रों और उपद्रवी तत्वों में अंतर करने की बात की.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, जामिया मिलिया इस्लामिया द्वारा आयोजित वेबिनार ‘विश्वविद्यालयों में अनुशासन’ में जामिया, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू), बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू), अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) और जामिया हमदर्द शामिल थे.

पिछले साल दिसंबर में कैंपस में पुलिस कार्रवाई की आलोचना करने वाली जामिया की कुलपति नजमा अख्तर कार्यक्रम की मुख्य अतिथि थीं और उन्होंने मंगलवार को पुलिस की प्रशंसा की.

उन्होंने कहा कि पारंपरिक तौर पर कैंपस में शांति बनाए रखने की जिम्मेदारी विश्वविद्यालय प्रशासन की थी, लेकिन अब पुलिस भी इसमें शामिल है.

अख्तर ने कहा, ‘हाल के वर्षों में पुलिस की भूमिका में काफी बदलाव आया है, यह देखकर खुशी होती है. समस्या के पहले या बाद में वे छात्रों के दोस्त हैं. वे जानते हैं कि कैसे (समस्या) को अधिक मानवीय तरीके से संभालना है. इसलिए उन्हें अब छात्रों से कोई डर नहीं है.’

उन्होंने कहा कि पुलिस सभी स्तरों पर मित्रता और संबंध स्थापित करती है और पहले की तुलना में नरम है.

जामिया के छात्रों को नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) विरोधी प्रदर्शनों के दौरान पिछले दिसंबर में दो बार पुलिस कार्रवाई का सामना करना पड़ा था.

पहली बार 13 दिसंबर को पुलिस ने एक प्रदर्शन के दौरान लाठीचार्ज और आंसू गैस का इस्तेमाल किया, जिसमें लगभग 25 छात्र घायल हो गए थे.

इसके दो दिन बाद पुलिस परिसर के पुस्तकालय में घुस गई थी. पुलिस का दावा था कि वह दंगाइयों का पीछा करते हुए अंदर गई थी, जबकि छात्रों का कहना था कि उन्हें कैंपस के अंदर पीटा गया. इस दौरान 100 से अधिक छात्र घायल हुए थे जबकि 2.66 करोड़ रुपये की संपत्ति नष्ट हो गई थी.

अख्तर ने आगे कहा, ‘अनुशासन से विश्वविद्यालयों का मतलब कभी भी अतार्किक कठोरता, तर्कहीन और बेजान नियमों को लागू करना नहीं होना चाहिए. हमें अपने कैंपसों में भय के बजाय प्यार और सम्मान का माहौल बनाना होगा.’

हालांकि, जामिया के चीफ प्रॉक्टर वसीम अहमद खान ने कहा कि जो छात्र अनुशासनहीनता दिखाते हैं, उनकी अलग मानसिकता है और उनका पढ़ाई से कोई लेना-देना नहीं है और उनके कुटिल व्यवहार को रोकने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए.

जामिया के रजिस्ट्रार एपी सिद्दीकी ने कहा, ‘समस्या पैदा करने वाले बहुत कम थे. हमें हर किसी को सजा नहीं देनी चाहिए लेकिन उन्हें निशाना बनाना चाहिए जो अलग तरीके से प्रेरित हैं. कुछ छात्र (हिंसा के समय) कैंपस के बाहर से सिखाकर भेजे गए थे.’

हॉस्टल कर्फ्यू पर असंतोष को लेकर सिद्दीकी ने कहा कि लड़कियों और लड़कों के साथ एक जैसा व्यवहार किया जाना चाहिए.

जेएनयू चीफ प्रॉक्टर धनंजय सिंह ने कहा कि एक गंभीर चुनौती थी कि कैसे जेएनयू राजनीतिक एजेंडा शुरू करने की जगह बनता जा रहा था. सिंह ने छात्रों और पुलिस के बीच मजबूत संबंधों की वकालत की.

उन्होंने कहा, ‘कोई भी विश्वविद्यालय परिसर यह नहीं चाहेगा कि पुलिस हस्तक्षेप करे और उसे अपने कब्जे में ले ले, लेकिन शिक्षक और प्रशासक के रूप में हम गंभीर कानून और व्यवस्था की स्थितियों से निपटने में सक्षम नहीं हैं, इसलिए पुलिस के साथ अधिक संपर्क रखना महत्वपूर्ण है.’

एएमयू के चीफ प्रॉक्टर मोहम्मद वसीम अली ने कुछ छात्रों के अलगाव की वकालत की.

उन्होंने कहा, ‘अपराधियों, उपद्रवी तत्वों का विश्वविद्यालयों या कॉलेजों में कोई स्थान नहीं होना चाहिए. उनकी एक अलग मानसिकता है और पढ़ाई में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं है. यह सुनिश्चित करना विश्वविद्यालय प्रशासन का प्रमुख कर्तव्य है कि वे किसी भी कीमत पर अलग-थलग और परिसर से बाहर रहें.’

हालांकि, अली ने चिंता जताई कि विश्वविद्यालय के दोबारा खुलने पर एएमयू में दोबारा अशांति देखने को मिल सकती है, क्योंकि कभी कोई गलत काम न करने वाले कई छात्रों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई है और उनका नाम सीएए विरोधी प्रदर्शन से संबंधित एफआईआर में है.

बीएचयू चीफ प्रॉक्टर ओपी राय ने कहा कि नए युवाओं को कम डांटा और मारा जाता है, इसलिए उन्हें कैसे संभालना है इसमें समस्या पैदा होती है.

उन्होंने कहा कि कैंपस प्रशासन को उन लोगों की पहचान करनी चाहिए जो नियम तोड़ रहे हैं, उन्हें अलग-थलग करें और कड़ी कार्रवाई करें ताकि यह दूसरों को हतोत्साहित हों. उन्होंने कहा कि छात्रों को से नरमी से निपटा जाना चाहिए.

बता दें कि नेशनल इंस्टीट्यूट रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) की विश्वविद्यालय रैंकिंग 2020 में जेएनयू, बीएचयू, जामिया और एएमयू क्रमश: दो, तीन, 10 और 17वें स्थान पर आए थे.