केंद्र सरकार ने कहा है कि घरेलू बाज़ार में प्याज की उपलब्धता बढ़ाने और कीमत पर लगाम लगाने के उद्देश्य से ये फैसला लिया है. हालांकि किसानों का कहना है कि निर्यात पर प्रतिबंध लगाने से कीमतों में गिरावट आ रही है, जिससे उन्हें घाटा होगा.
नई दिल्ली: सरकार ने प्याज की सभी किस्मों के निर्यात पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगा दिया है. इसका उद्देश्य घरेलू बाजार में प्याज की उपलब्धता बढ़ाना और कीमतों पर नियंत्रण रखना है.
विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने इस संबंध में बीते सोमवार को अधिसूचना जारी की. अधिसूचना के मुताबिक, ‘प्याज की सभी किस्मों के निर्यात को तत्काल प्रभाव से प्रतिबंधित किया जाता है.’
डीजीएफटी, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के तहत कार्य करता है. यह आयात और निर्यात से जुड़े मुद्दों को देखने वाली इकाई है.
संक्रमणकालीन (कोरोना वायरस) व्यवस्था के तहत आने वाले प्रबंधों के प्रावधान इस अधिसूचना के दायरे में नहीं आएंगे. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में प्याज के दाम करीब 40 रुपये प्रति किलोग्राम के दायरे में हैं.
अगस्त माह में प्याज की थोक मूल्य मुद्रास्फीति 34.48 की गिरावट दर्ज की गई. महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, बिहार और गुजरात प्रमुख प्याज उत्पादक राज्य हैं.
मालूम हो कि देश की प्याज की कुल फसल का 40 फीसदी उत्पादन खरीफ मौसम में और बाकी रबी मौसम के दौरान होता है. हालांकि खरीफ की फसल को संग्रहीत नहीं किया जा सकता है.
प्याज के निर्यात पर रोक लगाने के सरकार के फैसले का विभिन्न स्तरों पर विरोध हो रहा है.
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार ने बीते मंगलवार को केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल से मुलाकात कर कहा कि प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के अचानक लिए गए निर्णय पर केंद्र को पुनर्विचार करना चाहिए.
पवार ने ट्वीट किया कि गोयल ने उन्हें आश्वासन दिया है कि इस मुद्दे पर वाणिज्य, वित्त और उपभोक्ता मामलों के मंत्रालयों के बीच यदि सहमति बनती है तो सरकार निर्णय पर पुनर्विचार करेगी.
To address this issue, I met Union Minister of Commerce and Industry Shri. Piyush Goyal (@PiyushGoyal) today and apprised him of the plight of onion growers. I pointed out to him that these onion growers are mainly small land holders and Jirait farmers.@PMOIndia #onionexportban
— Sharad Pawar (@PawarSpeaks) September 15, 2020
एनसीपी अध्यक्ष ने मंत्री से कहा कि निर्यात पर प्रतिबंध लगाने से अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्याज के ‘भरोसेमंद’ आपूर्तिकर्ता की भारत की छवि को नुकसान पहुंचेगा.
हालांकि केंद्र सरकार का कहना है कि उन्होंने घरेलू बाजार में प्याज की उपलब्धता बढ़ाने और कीमत पर लगाम लगाने के उद्देश्य से ये फैसला लिया है. पूर्व केंद्रीय मंत्री पवार ने गोयल से कहा कि इस निर्णय से महाराष्ट्र के प्याज उत्पादक काफी नाराज हैं.
पवार ने ट्वीट किया, ‘भारत से निर्यात होने वाले प्याज की अंतरराष्ट्रीय बाजार में अच्छी मांग है और हम हमेशा से प्याज निर्यात करते रहे हैं, लेकिन केंद्र के अचानक लिए गए निर्णय से अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत की छवि को नुकसान होगा.’
प्याज के निर्यात पर पाबंदी के खिलाफ नासिक में किसानों का विरोध प्रदर्शन
महाराष्ट्र के नासिक जिले के लासलगांव और इसके आसपास के कुछ इलाकों में किसानों ने प्याज के निर्यात पर पाबंदी लगाए जाने के खिलाफ बीते मंगलवार को प्रदर्शन किया.
नासिक को दुनिया की सबसे बड़ी प्याज मंडियों में शुमार किया जाता है.
अधिकारियों ने बताया कि किसानों ने जिले के मुंगसे, पिंपलगांव, नामपुर और उमराने बाजारों में प्रदर्शन किया. इस दौरान किसानों ने लगभग 10 हजार क्विंटल प्याज के लिए लगाई जा रही बोली रोक दी.
साथ ही उन्होंने मुंबई-आगरा हाईवे समेत कई मार्गों पर यातायात रोकने का भी प्रयास किया.
एशिया की सबसे बड़ी प्याज मंडी लासलगांव की कृषि उत्पाद विपणन समिति (एपीएमसी) में मंगलवार सुबह 2,220 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से प्याज की बोली लगनी शुरू हुई, जिससे किसान नाराज हो गए.
उन्होंने दावा किया कि प्याज के निर्यात पर पाबंदी लगने से घरेलू बाजार में इसके दाम गिर गए हैं, जिससे उन्हें घाटा होगा.
प्रदर्शनकारी किसानों ने कहा कि बीते सोमवार को प्याज के न्यूनतम दाम 1,100 रुपये, अधिकतम 3,209 रुपये और औसत 2,950 रुपये प्रति क्विंटल थे, जो निर्यात पर पाबंदी का फैसला लेने के कुछ ही घंटे बाद गिरकर 2,700 रह गए.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)