छह महीने में भारत-चीन सीमा पर कोई घुसपैठ न होने के सरकार के दावे में कितनी सच्चाई है?

केंद्र सरकार ने बुधवार को राज्यसभा में कहा कि पिछले छह महीने में भारत-चीन सीमा पर घुसपैठ का कोई मामला सामने नहीं आया है. सरकार की आलोचना करते हुए कांग्रेस ने कहा कि यह गलवान घाटी में शहीद हुए भारतीय जवानों की शहादत का अपमान है. चीन से लगी सीमा पर गतिरोध को लेकर सरकार स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए.

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Kullu: Army trucks move along the Manali-Leh highway, amid border tension between India and China, in Kullu district, Wednesday, Sept. 2, 2020. (PTI Photo)(PTI02-09-2020 000063B)

केंद्र सरकार ने बुधवार को राज्यसभा में कहा कि पिछले छह महीने में भारत-चीन सीमा पर घुसपैठ का कोई मामला सामने नहीं आया है. सरकार की आलोचना करते हुए कांग्रेस ने कहा कि यह गलवान घाटी में शहीद हुए भारतीय जवानों की शहादत का अपमान है. चीन से लगी सीमा पर गतिरोध को लेकर सरकार स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए.

(फोटो: पीटीआई)
(फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने बुधवार को कहा कि पिछले छह महीने में भारत-चीन सीमा पर कोई घुसपैठ नहीं हुई.

राज्यसभा में बुधवार को एक प्रश्न के लिखित उत्तर में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा, ‘पिछले छह महीने में भारत-चीन सीमा पर घुसपैठ का कोई मामला सामने नहीं आया है.’

हालांकि मंगलवार को लोकसभा में चीन के साथ सीमा पर तनाव को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था, ‘अभी की स्थिति के अनुसार, चीनी पक्ष ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) और अंदरूनी क्षेत्रों में बड़ी संख्या में सैनिक टुकड़ियों और गोला-बारूद जमा किया हुआ है.’

उन्होंने यह भी कहा था कि मैं इस सदन के साथ यह साझा करने में संकोच नहीं करूंगा कि हम लद्दाख में चुनौती का सामना कर रहे हैं.

हालांकि, उन्होंने यह साफ नहीं किया था कि अंदरूनी क्षेत्रों का मतलब एलएसी का भारतीय पक्ष है या नहीं.

लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने इस संबंध में कोई सवाल पूछने भी नहीं दिया था, जिसके विरोध में कांग्रेस ने सदन का बहिष्कार कर दिया था.

बता दें कि भारतीय सैनिकों द्वारा वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सामान्य गश्त के बिंदु से परे चीनी घुसपैठ का पता लगाए जाने के बाद पूर्वी लद्दाख में मई की शुरुआत से ही भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच कई झड़पें हो चुकी हैं.

हाल में चल रही तनातनी के दौरान पहला संघर्ष गलवान घाटी में 5-6 मई की रात हुआ था. इसके बाद ‘फिंगर्स 4’ के पास 10-11 मई को पैंगोंगे त्सो झील के उत्तरी किनारे पर संघर्ष हुआ था.

चीन ने ‘फिंगर 4 तक एक पक्की सड़क और रक्षात्मक पोस्टों का निर्माण किया था. भारतीय सैनिक पहले नियमित तौर पर ‘फिंगर 8’ तक गश्त करते थे, लेकिन अब इलाके चीन द्वारा किए गए ताजा अतिक्रमण के बाद भारतीय सैनिकों की गश्ती ‘फिंगर 4’ तक सीमित हो गई है.

भारत दावा करता है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा ‘फिंगर 8’ से होकर गुजरती है, जबकि चीन की दावा है कि यह ‘फिंगर 2’ पर स्थित है.

सबसे गंभीर झड़प 15 जून को पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में हुई थी, जब एक हिंसक लड़ाई में 20 भारतीय सैनिकों की मौत हो गई थी. चीन ने अपनी तरफ भी हताहतों की संख्या को स्वीकार किया है, लेकिन किसी भी संख्या का खुलासा नहीं किया था.

गलवान घाटी में हिंसक झड़प के ढाई महीने बाद बीते 29 अगस्त की रात पैंगोंग त्सो के दक्षिणी किनारे पर स्थित ठाकुंग में एक बार फिर भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच गतिरोध देखने को मिला था.

भारतीय सेना ने बयान जारी कर कहा था कि चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने 29-30 अगस्त की रात को यथास्थिति को बदलने के लिए उकसाने वाली सैन्य कार्रवाई को अंजाम दिया.

बहरहाल, कांग्रेस ने पिछले छह महीनों में चीनी घुसपैठ नहीं होने से जुड़े गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय के बयान को लेकर सरकार की आलोचना करते हुए बुधवार को कहा कि यह गलवान घाटी में शहीद हुए भारतीय जवानों की शहादत का अपमान है और चीन से लगी सीमा पर गतिरोध को लेकर सरकार को स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए.

पार्टी ने यह दावा भी किया कि चीन के आक्रामक व्यवहार के बावजूद सरकार उसके साथ कारोबारी रिश्ते बनाए हुए और भारी-भरकम कर्ज लिया है.

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ‘आप क्रोनोलॉजी समझिए. प्रधानमंत्री बोले कि कोई सीमा में नहीं घुसा. फिर चीन-स्थित बैंक से भारी कर्ज लिया. फिर रक्षामंत्री ने कहा चीन ने देश में अतिक्रमण किया. अब गृह राज्य मंत्री ने कहा अतिक्रमण नहीं हुआ.’  उन्होंने सवाल किया, ‘मोदी सरकार भारतीय सेना के साथ है या चीन के साथ? इतना डर किस बात का?’

पार्टी प्रवक्ता पवन खेड़ा ने संवाददाताओं से कहा, ‘सरकार ने मंगलवार को संसद में स्वीकार किया कि बीजिंग में मौजूद एशियन इंफ्रास्टक्चर डेवलपमेंट बैंक से 9,202 करोड़ रुपये का कर्ज लिया गया. इससे चीन के साथ कारोबारी रिश्तों पर अंकुश लगाने को लेकर मोदी सरकार की नीति बेनकाब हो गई.’

उन्होंने सवाल किया, ‘हम विदेश मंत्री एस. जयशंकर से पूछना चाहते हैं कि क्या वह अब भी अपने बयान पर कायम हैं कि सीमा पर जमीनी स्तर पर स्थिति बदलने के चीन के एकतरफा प्रयास को देखते हुए कारोबारी रिश्ते सामान्य नहीं हो सकते?’

खेड़ा ने कहा कि चीन की क्षेत्रीय आक्रामकता से जुड़ी स्थिति से निपटने में मोदी सरकार के दोहरे मापदंड से देश हैरान है.

उन्होंने राज्यसभा में राय द्वारा दिए गए एक सवाल के लिखित जवाब को लेकर कहा, ‘गृह राज्य मंत्री ने संसद में एक सवाल के जवाब में कहा कि चीन से लगी सीमा पर पिछले छह महीनों में कोई घुसपैठ नहीं हुई. यह गलवान घाटी में 15 जून की रात शहीद हुए हमारे बहादुर जवानों की शहादत का अपमान है.’

कांग्रेस प्रवक्ता ने पूछा, ‘क्या गलवान घाटी में टकराव चीन की सीमा में हुआ था? क्या सरकार भारतीय सेना को ही दुश्मन के क्षेत्र में दाखिल होने की जिम्मेदार ठहरा रही है?’ उन्होंने कहा कि सरकार को चीन के साथ सीमा पर हालात को लेकर स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)