प्रख्यात कलाविद् कपिला वात्स्यायन का निधन

पद्म विभूषण से सम्मानित देश की प्रख्यात कलाविद् एवं राज्यसभा की पूर्व मनोनीत सदस्य कपिला वात्स्यायन इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र की संस्थापक सदस्य और इंडिया इंटरनेशनल सेंटर की आजीवन ट्रस्टी भी थीं.

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कपिला वात्स्यायन. (फोटो साभार: ट्विटर)

पद्म विभूषण से सम्मानित देश की प्रख्यात कलाविद् एवं राज्यसभा की पूर्व मनोनीत सदस्य कपिला वात्स्यायन इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र की संस्थापक सदस्य और इंडिया इंटरनेशनल सेंटर की आजीवन ट्रस्टी भी थीं.

कपिला वात्स्यायन. (फोटो साभार: ट्विटर)
कपिला वात्स्यायन. (फोटो साभार: ट्विटर)

नयी दिल्ली: पद्म विभूषण से सम्मानित देश की प्रख्यात कलाविद् एवं राज्यसभा की पूर्व मनोनीत सदस्य कपिला वात्स्यायन का बुधवार सुबह निधन हो गया. विदुषी और लेखक डॉ. कपिला वात्स्यायन ने दिल्ली स्थित अपने आवास पर अंतिम सांस ली. वह 92 वर्ष की थीं.

इंडिया इंटरनेशनल सेंटर (आईआईसी) के सचिव कंवल अली ने बताया, ‘गुलमोहर एन्क्लेव के उनके आवास पर बुधवार सुबह नौ बजे उनका निधन हो गया.’

कपिला वात्स्यायन आईआईसी की आजीवन न्यासी थीं. वह इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र की संस्थापक निदेशक भी थीं.

वह 2006 में राज्यसभा के लिए मनोनीत सदस्य नियुक्त की गई थीं लेकिन लाभ के पद के विवाद के कारण उन्होंने राज्यसभा की सदस्यता त्याग दी थी.

इसके बाद वह दोबारा राज्यसभा की सदस्य मनोनीत की गई थीं.

भारतीय शास्त्रीय नृत्य, वास्तुकला, इतिहास और कला की प्रख्यात विद्वान कपिला वात्स्यायन का जन्म 25 दिसंबर 1928 को दिल्ली में हुआ था.

उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में परास्नातक की डिग्री ली थी. इसके बाद बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) और अमेरिका के मिशिगन विश्वविद्यालय में शिक्षा ग्रहण की.

वह हिंदी के यशस्वी दिवंगत साहित्यकार सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ की पत्नी थीं. साठ के दशक में पति से तलाक के बाद वह एकाकी जीवन व्यतीत कर रही थीं.

कपिला वात्स्यायन के भाई केशव मलिक अंग्रेजी के जाने-माने कवि और कला समीक्षक थे.

उन्होंने अपने करिअर में कला और इतिहास पर लगभग 20 पुस्तकें लिखी थीं.

उनकी प्रमुख किताबों में द स्क्वायर एंड द सर्किल ऑफ इंडियन आर्ट्स (1997), भारतः द नाट्य शास्त्र (2006), डांस इन इंडियन पेंटिंग (2004), क्लासिकल इंडियन डांस इन लिटरेचर एंड द आर्ट्स (2007) और ट्रांसमिशंस एंड ट्रांसफॉर्मेशंसः लर्निंग थ्रू द आर्ट्स इन एशिया (2011) हैं.

कला एवं संस्कृति जगत की कई हस्तियों ने सोशल मीडिया के माध्यम से उनके निधन पर शोक जताया.

विख्यात हिंदी लेखक अशोक वाजपेयी ने वात्स्यायन के निधन को व्यक्तिगत क्षति बताते हुए फेसबुक पोस्ट में कहा, ‘महान विदुषी, रचनात्मक व्यक्तित्व की धनी और संस्थान निर्माता कपिला वात्स्यायन के निधन पर मुझे गहरा दुख पहुंचा है. भारत में सांस्कृतिक जगत ने एक महान व्यक्तित्व को खो दिया. वह कला, विचार और कल्पना के बीच पुल बांधने वाली और इस क्षेत्र में अथक परिश्रम करने वाली महिला थीं. मेरे जैसे कई लोगों के लिए उनका जाना व्यक्तिगत क्षति है.’

प्रख्यात सरोद वादक अमजद अली खान ने कहा, ‘वात्स्यायन भारतीय शास्त्रीय नृत्य, कला, वास्तुकला और इतिहास की महान अध्येता थीं.’

कपिला वात्स्यायन को 1970 में संगीत नाटक अकादमी फेलोशिप और 2000 में राजीव गांधी राष्ट्रीय सद्भावना पुरस्कार सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)