प्रख्यात अर्थशास्त्री डॉ. इशर जज अहलूवालिया का निधन

पद्म भूषण डॉ. इशर जज अहलूवालिया साल 2005 से अंतरराष्ट्रीय आर्थिक संबंधों पर भारतीय अनुसंधान परिषद (इक्रियर) की अध्यक्ष थीं. हालांकि ख़राब स्वास्थ्य की वजह से पिछले महीने उन्होंने इस पद से इस्तीफ़ा दे दिया था.

इशर जज अहलूवालिया. (फोटो: पीटीआई)

पद्म भूषण डॉ. इशर जज अहलूवालिया साल 2005 से अंतरराष्ट्रीय आर्थिक संबंधों पर भारतीय अनुसंधान परिषद (इक्रियर) की अध्यक्ष थीं. हालांकि ख़राब स्वास्थ्य की वजह से पिछले महीने उन्होंने इस पद से इस्तीफ़ा दे दिया था.

इशर जज अहलूवालिया. (फोटो: पीटीआई)
इशर जज अहलूवालिया. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: अर्थशास्त्री और भारत के तीसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित इशर जज अहलूवालिया का शनिवार को ब्रेन कैंसर से निधन हो गया. वह 74 वर्ष की थीं.

उन्होंने खराब स्वास्थ्य के कारण पिछले महीने अंतरराष्ट्रीय आर्थिक संबंधों पर भारतीय अनुसंधान परिषद (इक्रियर) के चेयरमैन पद से इस्तीफा दे दिया था. वह अगस्त 2005 में इस पद पर नियुक्त हुई थीं. पिछले 15 सालों में उन्होंने इक्रियर को एक वैश्विक थिंक टैंक बना दिया था.

उनके पति मोंटेक सिंह अहलूवालिया योजना आयोग के उपाध्यक्ष रह चुके हैं. उनके दो बेटे हैं.

इक्रियर ने शनिवार को एक बयान जारी कर कहा, ‘इक्रियर परिवार आज सुबह पूर्व अध्यक्ष डॉ. इशर जज अहलूवालिया के निधन पर गहरा दुख जता रहा है.’

इक्रियर के पूर्व सीईओ और नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने भी उनके निधन पर शोक जताया. कुमार 2006-10 तक इक्रियर के सीईओ थे.

डॉ. इशर जज ने मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) से पीएचडी, दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से एमए और कोलकाता के प्रेसिडेंसी कॉलेज से बीए (इकोनॉमिक्स ऑनर्स) किया था.

उनका शोध भारत में शहरी विकास, वृहद-आर्थिक सुधार, औद्योगिक विकास और सामाजिक क्षेत्र के विकास के मुद्दों पर केंद्रित था.

वॉशिंगटन में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से अपने करिअर की शुरुआत करने वाली अहलूवालिया भारत लौट आई थीं. वह सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च की प्रोफसर भी रही थीं.

इस दौरान उन्होंने वर्ष 1989 से 1991 के बीच दो प्रतिष्ठित किताबें- ‘इंडस्ट्रियल ग्रोथ ऑफ इंडिया: स्टैगनेशन सिंस द मिड सिक्सटीज’ और ‘प्रोडक्टिविटी एंड ग्रोथ इन इंडियन मैनुफैक्चरिंग’ लिखीं.

हाल ही में उनकी किताब बेक्रिंग थ्रू आई है. इस किताब में उन्होंने अर्थशास्त्र में अपने करिअर और सार्वजनिक नीति प्रबंधन से जुड़े अनुभवों को समाहित किया था.

वह इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टिट्यूट की बोर्ड अध्यक्ष के रूप में अपनी सेवाएं दे चुकी थीं. इसके अलावा भारत सरकार की शहरी बुनियादी सेवाओं पर बनी उच्चाधिकार प्राप्त समिति की अध्यक्ष भी रही थीं.

उनके निधन पर पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने ट्वीट किया, ‘इशर अहलूवालिया भारत के प्रतिष्ठित अर्थशास्त्रियों में से एक थीं, उन्होंने एमआईटी से पीएचडी की थी और वह एक प्रभावशाली पुस्तक ‘इंडस्ट्रियल ग्रोथ इन इंडिया’ की लेखक थीं. उन्होंने इक्रियर को खड़ा करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया, जो एक बेहतरीन आर्थिक शोध संस्थान है. मोंटेक की पत्नी होने के अलावा उनकी अपनी एक विशिष्ट पहचान थी.’

पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने ट्वीट किया, ‘लगभग 25 वर्षों से करीबी दोस्त डॉ. इशर अहलूवालिया के निधन से गहरा दुख हुआ और झटका लगा. वह एक प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री थीं जिनका अर्थशास्त्र में जीवन, काम और योगदान उनकी हाल ही में प्रकाशित आत्मकथा में खूबसूरती से कैद हुआ है. अर्थशास्त्र के प्रत्येक छात्र को उसे पढ़ना चाहिए.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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