यूपी: मथुरा में कृष्ण जन्मस्थान से ईदगाह मस्जिद हटाने की याचिका ख़ारिज

मथुरा की एक अदालत में लोगों के एक समूह की ओर से दाखिल याचिका में कृष्ण जन्मस्थान परिसर में स्थित 17वीं सदी की शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने की मांग की गई थी. अदालत ने बुधवार को इसे ख़ारिज कर दिया.

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मथुरा में कृष्ण जन्मस्थान मंदिर परिसर. (फोटो साभार: www.uptourism.gov.in)

मथुरा की एक अदालत में लोगों के एक समूह की ओर से दाखिल याचिका में कृष्ण जन्मस्थान परिसर में स्थित 17वीं सदी की शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने की मांग की गई थी. अदालत ने बुधवार को इसे ख़ारिज कर दिया.

मथुरा में कृष्ण जन्मस्थान मंदिर परिसर. (फोटो साभार: www.uptourism.gov.in)
मथुरा में कृष्ण जन्मस्थान मंदिर परिसर. (फोटो साभार: www.uptourism.gov.in)

मथुरा: मथुरा की एक अदालत में कृष्ण जन्मस्थान परिसर में स्थित शाही ईदगाह को हटाने के लिए दाखिल याचिका बुधवार को खारिज कर दी गई.

याचिकाकर्ताओं के वकील ने बताया कि अदालत द्वारा श्रीकृष्ण विराजमान, श्रीकृष्ण जन्मभूमि और उनके आधा दर्जन भक्तों की ओर से दाखिल याचिका खारिज कर दी गई.

टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, याचिका दाखिल करने वाले अधिवक्ता हरीशंकर जैन और विष्णु शंकर जैन ने कहा कि वे इस मामले को ऊपरी अदालतों में ले जाएंगे क्योंकि निचली अदालत ने कई प्रासंगिक मुद्दों पर विचार नहीं किया है.

ज्ञात हो कि बीते दिनों लोगों के एक समूह ने मथुरा की अदालत में याचिका दाखिल करते हुए दावा किया था कि 13.37 एकड़ में बने कटरा केशव देव मंदिर परिसर में बनी 17वीं शताब्दी की बनी शाही ईदगाह मस्जिद कृष्ण का जन्मस्थान है.

दिवानी न्यायाधीश (सीनियर डिवीजन) छाया शर्मा की अदालत में लखनऊ निवासी रंजना अग्निहोत्री व त्रिपुरारी त्रिपाठी, सिद्धार्थ नगर के राजेश मणि त्रिपाठी एवं दिल्ली निवासी प्रवेश कुमार, करुणेश कुमार शुक्ला व शिवाजी सिंह की ओर से दाखिल किए गए वाद में श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर में बनी शाही ईदगाह मस्जिद को जमीन देने को गलत बताया गया है.

याचिका में कहा गया कि 1968 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ (जो अब श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के नाम से जाना जाता है) व शाही ईदगाह मस्जिद के बीच जमीन को लेकर समझौता हुआ था. इसमें तय हुआ था कि मस्जिद जितनी जमीन में बनी है, बनी रहेगी.

उच्चतम न्यायालय के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन द्वारा दाखिल की गई याचिका में कहा था कि 1968 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान एवं शाही ईदगाह प्रबंध समिति के बीच हुआ समझौता पूरी तरह से गलत है तथा उसे निरस्त किया जाए.

याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि विवादित स्थल कटरा केशव देव की 13.37 एकड़ भूमि का एक-एक इंच भगवान श्री कृष्ण के भक्त एवं हिंदू समुदाय के लिए पवित्र है.

याचिका में दावा किया गया है कि कृष्ण का जम्मस्थान ‘वास्तविक कारागार’ मस्जिद समिति के द्वारा बनाए गए निर्माण के नीचे ही स्थित है और वहां पर खुदाई होने पर सच्चाई का पता चलेगा.

उन्होंने दावा किया कि सेवा संघ और मस्जिद समिति ने समझौता करते एक ‘मानव-निर्मित कारागार’ बना दिया था, ताकि राजनीतिक कारणों के चलते लोगों से सच्चाई छिपाई जा सके.

याचिकाकर्ताओं ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 26 तहत उन्हें अधिकार है कि वे भगवान श्री कृष्ण विराजमान की जमीन का देखरेख कर सकें.

इस मामले में वादियों द्वारा उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड व शाही ईदगाह ट्रस्ट प्रबंध समिति को भी प्रतिवादी बनाया गया है.

वादियों ने मस्जिद प्रबंधन से ‘कटरा केशव देव मंदिर क्षेत्र की भूमि पर अतिक्रमण कर उनके द्वारा उठाए गए निर्माण को हटाने’ का निर्देश देने की भी मांग की थी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)