हाथरस मामला: केरल के पत्रकार और तीन पर यूएपीए और राजद्रोह का मामला दर्ज

उत्तर प्रदेश पुलिस ने सोमवार को हाथरस जाने के रास्ते में केरल के एक पत्रकार, दो सीएफआई सदस्यों और एक अन्य व्यक्ति को गिरफ़्तार किया था. स्थानीय अदालत में पेश किए जाने के बाद इन सभी को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है.

पत्रकार सिद्दीकी कप्पन. (फोटो साभार: ट्विटर/@vssanakan)

उत्तर प्रदेश पुलिस ने सोमवार को हाथरस जाने के रास्ते में केरल के एक पत्रकार, दो सीएफआई सदस्यों और एक अन्य व्यक्ति को गिरफ़्तार किया था. स्थानीय अदालत में पेश किए जाने के बाद इन सभी को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है.

केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन (फोटो साभार: ट्विटर/@vssanakan
केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन. (फोटो साभार: ट्विटर/@vssanakan

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा हाथरस जाने के रास्ते में गिरफ्तार किए गए केरल के एक पत्रकार, दो सीएफआई सदस्यों और एक अन्य व्यक्ति पर राजद्रोह और गैर क़ानूनी गतिविधियां (निवारण) अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया गया है.

मंगलवार को मथुरा की स्थानीय अदालत में पेश किए जाने के बाद इन चारों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है.

उनके खिलाफ मांट थाने में आईपीसी की धारा 124 ए (राजद्रोह), 153 ए (दो समूहों के बीच वैमनस्य बढ़ाने) 295 ए (धार्मिक भावनाएं आहत करने), यूएपीए की धारा 65, 72 और आईटी एक्ट की धारा 76 के तहत मामला दर्ज किया गया है.

मालूम हो कि उत्तर प्रदेश पुलिस ने इन चारों को तब गिरफ्तार किया, जब वे हाथरस में बर्बर मारपीट और कथित गैंगरेप का शिकार हुई दलित महिला के घर जा रहे थे.

पुलिस ने गिरफ्तार लोगों की पहचान मलप्पुरम के सिद्दीकी कप्पन, मुजफ्फरनगर के अतीक-उर रहमान, बहराइच के मसूद अहमद और रामपुर के आलम के रूप में की है.

उत्तर प्रदेश पुलिस ने सोमवार को कहा था कि उसने मथुरा में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) और उससे संबद्ध संगठनों से जुड़े चार लोगों को गिरफ्तार किया है.

गिरफ्तारी के कुछ ही घंटों बाद केरल के एक प्रमुख पत्रकार संगठन ने सिद्दीकी कप्पन को लेकर जानकारी दी थी कि वह केरल के कई मीडिया संस्थानों के लिए काम करने वाले दिल्ली के एक वरिष्ठ पत्रकार हैं.

पुलिस ने कहा था कि गिरफ्तार लोगों से उनके मोबाइल फोन, लैपटॉप और कुछ साहित्य भी जब्त किए गए हैं जो शांति और कानून व्यवस्था को प्रभावित कर सकते थे.

बता दें कि इससे पहले पीएफआई पर इस साल की शुरुआत में देश भर में संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन की फंडिंग का आरोप लगा था और उत्तर प्रदेश पुलिस ने इस संगठन पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी.

पीएफआई ने पुलिस के इन आरोपों का खंडन किया था. इस बार संगठन ने एक बयान जारी करते हुए कहा था कि यूपी पुलिस ध्यान भटकाने के लिए ‘कॉन्सपिरेसी थ्योरी’ बना रही है.

द वायर  से बात करते हुए संगठन ने अतीक-उर रहमान और मसूद अहमद के कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई का छात्र संगठन) से जुड़े होने की पुष्टि की थी, हालांकि उन्होंने कहा कि गिरफ्तार किए गए चौथे व्यक्ति के बारे में कोई जानकारी नहीं है.

मंगलवार को कप्पन की गिरफ़्तारी का विरोध करते हुए पत्रकार संगठनों ने उनकी अविलंब रिहाई की मांग करते हुए कहा था कि मीडिया को उसका काम करने से रोकने का प्रयास हो रहा है.

मालूम हो कि आरोप है कि उत्तर प्रदेश के हाथरस ज़िले में 14 सितंबर को सवर्ण जाति के चार युवकों ने 19 साल की दलित युवती के साथ बर्बरतापूर्वक मारपीट करने के साथ कथित तौर पर बलात्कार किया था.

अलीगढ़ के एक अस्पताल में इलाज के बाद उन्हें  दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां 29 सितंबर को उन्होंने दम तोड़ दिया था.

इसके बाद परिजनों ने पुलिस पर उनकी सहमति के बिना आननफानन में युवती का अंतिम संस्कार करने का आरोप लगा है, जिससे पुलिस ने इनकार किया था.

युवती के भाई की शिकायत के आधार पर चार आरोपियों- संदीप (20), उसके चाचा रवि (35) और दोस्त लवकुश (23) तथा रामू (26) को गिरफ्तार किया गया है.

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