चीनी घुसपैठ की रिपोर्ट हटाने के बाद रक्षा मंत्रालय ने अपनी वेबसाइट से 2017 तक की सभी रिपोर्ट हटाई

रक्षा मंत्रालय ने अपनी वेबसाइट से जिन मासिक रिपोर्ट को हटाया है उनमें डोकलाम में 2017 के संकट से जुड़े रिपोर्ट शामिल हैं, जो भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच गतिरोध का उल्लेख नहीं करते हैं.

केंद्रीय सचिवालय का साउथ ब्लॉक. (फोटो साभार: Wikimedia Commons/Matthew T Rader)

रक्षा मंत्रालय ने अपनी वेबसाइट से जिन मासिक रिपोर्ट को हटाया है उनमें डोकलाम में 2017 के संकट से जुड़े रिपोर्ट शामिल हैं, जो भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच गतिरोध का उल्लेख नहीं करते हैं.

भारत-चीन तनाव के बीच सैन्य सामग्री लेकर लद्दाख जाती सेना की गाड़ियां. (फोटो: पीटीआई)
भारत-चीन तनाव के बीच सैन्य सामग्री लेकर लद्दाख जाती सेना की गाड़ियां. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: रक्षा मंत्रालय ने लद्दाख में चीन द्वारा एकतरफा अतिक्रमण का हवाला देते हुए एक मासिक रिपोर्ट को हटाने के बाद अपनी आधिकारिक वेबसाइट से 2017 से अब तक की सभी मासिक रिपोर्ट को हटा दिया है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, जिन मासिक रिपोर्टों को हटाया किया गया है उनमें डोकलाम में 2017 के संकट से जुड़ी रिपोर्ट शामिल हैं, जो भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच गतिरोध का उल्लेख नहीं करते हैं.

सूत्रों ने बताया कि सार्वजनिक रूप से रिपोर्ट तैयार करने और साझा करने के लिए आंतरिक तंत्र को मंत्रालय की प्रत्येक इकाई से प्राप्त अपडेट की सूची के बजाय उन्हें और अधिक व्यापक बनाने के लिए बदला जा रहा है.

2017 से पहले की सभी रिपोर्ट हटाने से पहले अगस्त में मंत्रालय ने जून 2020 की रिपोर्ट को हटाया था.

चार पन्नों के इस दस्तावेज के दूसरे पन्ने पर ‘एलएसी पर चीनी अतिक्रमण नाम से एक सब-सेक्शन था, जिसके पहले पैराग्राफ में लिखा था:

5 मई 2020 से एलएसी के पास खासतौर पर गलवान घाटी पर चीन का अतिक्रमण बढ़ा है. 17-18 मई 2020 को चीनी पक्ष ने कुगरांग नाला, गोगरा और पैंगोंग त्सो झील के उत्तरी किनारे पर अतिक्रमण किया.’

रिपोर्ट में गलवान घाटी में 15 जून की झड़पों का भी जिक्र किया गया था और कहा गया था कि वरिष्ठ सैन्य कमांडरों से बातचीत चल रही थी.

इसमें आगाह किया गया था कि सैन्य और राजनयिक स्तर पर समझौता और बातचीत पारस्परिक रूप से स्वीकार्य आम सहमति पर जारी है लेकिन वर्तमान गतिरोध लंबे समय तक रहने की संभावना है.

दूसरी ओर अप्रैल और मई की संयुक्त रिपोर्ट में चीनी आक्रामकता का उल्लेख नहीं किया गया था, लेकिन विस्तार में जाए बिना एलएसी पर संकट का उल्लेख किया गया था.

रिपोर्ट्स में अगस्त, 2019 से चीन का चार बार उल्लेख किया गया था. 13-14 अगस्त, 2019 को भारत-चीन संयुक्त कार्य दल की बैठक, 7-20 दिसंबर, 2019 के बीच मेघालय के उमरोइ कैंट में भारतीय सेना और चीन के पीएलए के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास हैंड-इन-हैंड, 5 फरवरी, 2020 को एक चीनी युद्धपोत जियांगवेई-2 का पोरबंदर के पास पाकिस्तानी जलक्षेत्र में दिखना और मार्च 2020 की रिपोर्ट, जिसमें जियांगवेई ने बीआरओ द्वारा सामरिक आवश्यकताओं को पूरा करने और चीन की सीमा से लगे ऊपरी सुबनसिरी जिला में 451 गांवों तक संपर्क सुनिश्चित करने के लिए एक पुल के निर्माण की बात थी.

सूत्रों के अनुसार, सार्वजनिक किए जाने से पहले वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा रिपोर्ट को मंजूरी दी जाती है. ये रिपोर्ट आमतौर पर बालाकोट हवाई हमलों, भारत-पाकिस्तान गतिरोध, डोकलाम तैनाती जैसे प्रमुख अभियानों का उल्लेख नहीं करती हैं.

रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि पहले की रिपोर्ट जल्द ही (अक्टूबर तक) वेबसाइट पर वापस आ जाएंगी.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)