जीडीपी में इस साल 9.5 प्रतिशत गिरावट आने का अनुमान: आरबीआई

मौद्रिक नीति समिति की तीन दिन चली समीक्षा बैठक के बाद आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि अप्रैल-जून तिमाही में अर्थव्यवस्था में आई गिरावट अब पीछे रह गई है और उम्मीद की किरण दिखने लगी है. इससे पहले विश्व बैंक ने भी चालू वित्त वर्ष में देश की जीडीपी में 9.6 प्रतिशत गिरावट का अनुमान लगाया है.

/
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास. (फोटो: पीटीआई)

मौद्रिक नीति समिति की तीन दिन चली समीक्षा बैठक के बाद आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि अप्रैल-जून तिमाही में अर्थव्यवस्था में आई गिरावट अब पीछे रह गई है और उम्मीद की किरण दिखने लगी है. इससे पहले विश्व बैंक ने भी चालू वित्त वर्ष में देश की जीडीपी में 9.6 प्रतिशत गिरावट का अनुमान लगाया है.

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास. (फोटो: पीटीआई)
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास. (फोटो: पीटीआई)

मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को कहा कि चालू वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था में 9.5 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है. मौद्रिक नीति समिति की तीन दिन चली समीक्षा बैठक के बाद रिजर्व बैंक ने यह अनुमान व्यक्त किया.

इससे पहले केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) द्वारा जारी अनुमान के अनुसार पहली तिमाही में जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में 23.9 प्रतिशत की गिरावट आई है.

मौद्रिक नीति समिति की बुधवार को शुरू हुई बैठक के बाद आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था कोरोना वायरस के खिलाफ अभियान में निर्णायक चरण में प्रवेश कर रही है.

दास ने कहा, ‘अप्रैल-जून तिमाही में अर्थव्यवस्था में आई गिरावट अब पीछे रह गई है और अर्थव्यवस्था में उम्मीद की किरण दिखने लगी है.’

उन्होंने विनिर्माण क्षेत्र और ऊर्जा खपत में तेजी का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति भी 2020-21 की चौथी तिमाही में कम होकर तय लक्ष्य के दायरे में आ सकती है.

उल्लेखनीय है कि खुदरा मुद्रास्फीति हाल के महीनों में छह प्रतिशत से ऊपर पहुंच गई. आरबीआई मौद्रिक नीति समीक्षा में मुख्य रूप से खुदरा मुद्रास्फीति (सीपीआई) पर गौर करता है.

सरकार ने आरबीआई को दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ मुद्रास्फीति को 4 प्रतिशत पर रखने का लक्ष्य दिया हुआ है. दास ने कहा कि जीडीपी में चालू वित्त वर्ष में 9.5 प्रतिशत की गिरावट आने का अनुमान है.

उन्होंने यह भी कहा कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में अर्थव्यवस्था में तेजी आएगी और जनवरी-मार्च तिमाही में यह सकारात्मक दायरे में पहुंच सकती है.

इकोनॉमिक टाइम्स के मुताबिक आरबीआई गवर्नर ने कहा कि कोरोना संकट की वजह से मांग में कमी रह सकती है. भारत में कोरोना वायरस के संकट की वजह से रिजर्व बैंक स्थिति पर नजर रख रहा है.

आरबीआई गवर्नर ने कहा, ‘कोरोना संकट की वजह से देश में पैदा हुए भय और निराशा का माहौल अब आशा में बदल रहा है. वित्त वर्ष 2020-21 की चौथी तिमाही में महंगाई दर में कमी आ सकती है और इसके आरबीआई के लक्ष्य के आसपास रहने की संभावना है.’

दास ने उम्मीद जताई कि चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर सकारात्मक रह सकती है. विभिन्न सेक्टर में वेरिएशन के साथ भारत में तेज आर्थिक रिकवरी होने की संभावना है. कृषि, कंज्यूमर गुड्स, बिजली और फार्मा क्षेत्र में तेज रिकवरी दर्ज की जा सकती है.

दास ने कहा, ‘कोरोना वायरस की वजह से हमारे संसाधनों पर बहुत दबाव पड़ा है. हमारे ट्रैवल एंड टूर सिस्टम पर अब भी कोरोना वायरस का असर है. हमारी आगे बढ़ने की उम्मीद कायम है, हालांकि अब भी चुनौतियां कायम हैं. हमारे सामने जो भी चुनौतियां आई हैं, हम उन्हें पार कर आगे बढ़ेंगे. मुझे पूरा भरोसा है कि हम कोरोना महामारी के असर को कम कर फिर से आर्थिक वृद्धि की राह पर बढ़ेंगे.’

बता दें कि विश्व बैंक ने भी गुरुवार को चालू वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी में 9.6 प्रतिशत गिरावट का अनुमान लगाया है. वहीं, दक्षिण एशिया क्षेत्र में 2020 में 7.7 प्रतिशत की आर्थिक गिरावट आने की आशंका जाहिर की है.

विश्व बैंक ने कहा कि भारत की आर्थिक स्थिति इससे पहले के किसी भी समय की तुलना में काफी खराब है.

उसने कहा कि कोरोना वायरस महामारी के कारण कंपनियों व लोगों को आर्थिक झटके लगे हैं. इसके साथ ही महामारी के प्रसार को थामने के लिए देश भर में लगाए गए लॉकडाउन का भी प्रतिकूल असर पड़ा है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)