एनआईए ने भीमा-कोरेगांव मामले में 83 वर्षीय स्टेन स्वामी को आठ अक्टूबर को झारखंड के रांची स्थित उनके घर से गिरफ़्तार किया था. उन पर भाकपा (माओवादी) के साथ संबंध होने का आरोप लगाया गया है.
नई दिल्ली: मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा सामाजिक कार्यकर्ता फादर स्टेन स्वामी की गिरफ्तारी को ‘निंदनीय कृत्य’ करार दिया और उन्हें आदिवासियों के अधिकारों के लिए लड़ने वाला व्यक्ति बताया.
एनआईए ने एक जनवरी, 2018 को पुणे के पास भीमा-कोरेगांव में भीड़ को कथित तौर पर हिंसा के लिए उकसाने के मामले में कथित संलिप्तता के लिए 83 वर्षीय स्टेन स्वामी को बृहस्पतिवार को उनके झारखंड के रांची स्थित घर से गिरफ्तार किया था.
अमर उजाला की रिपोर्ट के मुताबिक, अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज समेत देश भर के करीब दो हजार कार्यकर्ताओं ने 83 वर्षीय स्वामी की गिरफ्तारी की निंदा की और कहा कि यह कदम झारखंड में मानव और संवैधानिक अधिकारों के लिए काम करने वाले सभी लोगों पर हमला है.
झारखंड जनाधिकार मंच ने एक बयान जारी कर कहा, ‘हम भीमा-कोरेगांव मामले में एनआईए द्वारा झारखंड के स्टेन स्वामी की गिरफ्तारी की कड़ी निंदा करते हैं. स्टेन स्वामी एक महत्वपूर्ण और देशप्रेमी नागरिक हैं, जिन्होंने झारखंड में दशकों से आदिवासी अधिकारों के लिए काम किया है.’
अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज, दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रोफेसर नंदिनी सुंदर, वकील रेबेका जॉन और कार्यकर्ता अरुणा रॉय द्वारा हस्ताक्षरित बयान ने इस मामले को सरकार द्वारा आधारहीन और गढ़ा हुआ करार दिया है.
बयान में कहा गया, ‘केंद्र सरकार भीमा-कोरेगांव मामले की आड़ में इन कार्यकर्ताओं के खिलाफ एक राष्ट्रीय माओवादी साजिश का झूठा आख्यान बनाने की कोशिश कर रही है. इस मामले का मुख्य उद्देश्य आदिवासियों, दलितों और हाशिये के लोगों के अधिकारों के लिए काम करने वाले और सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ सवाल उठाने वाले कार्यकर्ताओं को निशाना बना कर परेशान करना है.’
वहीं, स्वराज इंडिया पार्टी के अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने एक ट्वीट में कहा, ‘अस्सी वर्ष से अधिक उम्र के पादरी, जिन्होंने अपना पूरा जीवन गरीबों की सेवा में बिताया, उनके साथ जो किया गया वह स्तब्ध करने वाला और निंदनीय है.’
Shocking and condemnable act on 83 year old priest who has spent all his life serving the poor.https://t.co/bmSphlF07T
— Yogendra Yadav (@_YogendraYadav) October 8, 2020
प्रशांत भूषण ने फादर स्वामी को एक भला व्यक्ति बताया. उन्होंने ट्वीट किया, ‘पता चला कि एनआईए फादर स्टैन स्वामी को उनके रांची स्थित आश्रम से जबरदस्ती ले गई. उनसे अधिक सज्जन और विनम्र व्यक्ति की कल्पना करना भी मुश्किल है.’
भूषण ने आगे लिखा, ‘उन पर (स्वामी पर) गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम के तहत मामला दर्ज करने का प्रयास एनआईए के बिकाऊपन का संकेत है.’
Just got news that the NIA has forcibly taken Octogenarian Father Stan Swamy from his ashram at Ranchi. It would be difficult to imagine a gentler & kinder person. It is the sign of the venality of the NIA that they are trying to implicate him under UAPA!
— Prashant Bhushan (@pbhushan1) October 8, 2020
इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने ट्वीट किया, ‘सुधा भारद्वाज की तरह ही स्टेन स्वामी ने भी आदिवासियों के अधिकारों के लिए लड़ते हुए अपना जीवन बिताया इसलिए मोदी शासन उन्हें दबाना और चुप कर देना चाहता है, क्योंकि इस सरकार के लिए खनन कंपनियों का लाभ आदिवासियों के जीवन और आजीविका से अधिक मायने रखता है.’
Like Sudha Bharadwaj, Stan Swamy has spent a lifetime fighting for the rights of adivasis. That is why the Modi regime seeks to suppress and silence them; because for this regime, the profits of mining companies take precedence over the lives and livelihoods of adivasis.
— Ramachandra Guha (@Ram_Guha) October 9, 2020
कार्यकर्ता हर्ष मंदर ने भी स्वामी के प्रति समर्थन जताते हुए ट्वीट किया, ‘फादर स्टेन स्वामी ने 80 वर्ष से अधिक आयु में भी भारत के आदिवासी लोगों की नि:स्वार्थ भावना से सेवा की है तथा अन्याय के खिलाफ उनके साथ मिलकर शांतिपूर्ण संघर्ष किया. सरकार एक-एक करके भारत के अच्छे बेटे-बेटियों के पीछे पड़ रही है. वंचितों के लिए आवाज उठाने वालों से वह इतनी डरी हुई क्यों है?’
फिल्मकार एवं पत्रकार प्रीतीश नंदी ने कहा कि यह बहुत ही पीड़ादायक है कि 80 साल से अधिक उम्र के पादरी, जो आदिवासी अधिकारों के लिए खड़े होते हैं, उन्हें महामारी के काल में गिरफ्तार कर लिया गया.
वहीं, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी स्टेन स्वामी के गिरफ्तारी पर सवाल उठाया. उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘गरीब, वंचितों और आदिवासियों की आवाज उठाने वाले 83 वर्षीय वृद्ध स्टेन स्वामी को गिरफ्तार कर केंद्र की भाजपा सरकार क्या संदेश देना चाहती है? अपने विरोध की हर आवाज को दबाने की ये कैसी जिद्द?’
गरिब, वंचितों और आदिवासियों की आवाज़ उठाने वाले 83 वर्षीय वृद्ध 'स्टेन स्वामी' को गिरफ्तार कर केंद्र की भाजपा सरकार क्या संदेश देना चाहती है?
अपने विरोध की हर आवाज को दबाने की ये कैसी जिद्द?
— Hemant Soren (@HemantSorenJMM) October 9, 2020
हालांकि भाजपा के राष्ट्रीय सचिव और त्रिपुरा के प्रभारी सुनील देवधर ने एनआईए की कार्रवाई का समर्थन किया. उन्होंने कहा, ‘यह अच्छी बात है कि एनआईए ने भीमा-कोरेगांव मामले में स्टेन स्वामी को गिरफ्तार कर लिया. वह प्रतिबंधित संगठन भाकपा (माओवादी) के सदस्य हैं.’
देवधर ने कहा, ‘इससे ईसाई मिशनरियों और शहरी नक्सलियों के बीच संबंधों के बारे में और खुलासे हो सकेंगे.’
बता दें कि स्टेन स्वामी को बृहस्पतिवार (8 अक्टूबर) को रांची से गिरफ्तार कर मुंबई लाया गया और शुक्रवार को एक अदालत में पेश किया गया, जिसने उन्हें 23 अक्टूबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया. हालांकि स्वामी का कहना है कि उनका भीमा-कोरेगांव मामले से कोई लेना-देना नहीं है.
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने दावा किया है कि स्टेन स्वामी भाकपा (माओवादी) की गतिविधियों में सक्रिय रूप से शामिल रहे हैं.
पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) ने स्वामी की गिरफ्तारी की निंदा करते हुए बयान जारी किया है. बयान में पीयूसीएल के सदस्यों ने कहा है कि वे स्वामी की हिरासत और उनकी गिरफ्तारी से अचंभित हैं और इसकी निंदा करते हैं.
बयान में कहा, ‘स्टेन को गिरफ्तार करना एनआईए प्रशासन का अमानवीय और निंदनीय कृत्य है. स्टेन ने एनआईए के जांचकर्ताओं के साथ पूरा सहयोग किया. एनआईए द्वारा स्वामी की गिरफ्तारी दुर्भावनापूर्ण है. एनआईए द्वारा स्टेन स्वामी को गिरफ्तार करने का सही कारण यह है कि उन्होंने (स्टेन) पूर्ववर्ती भाजपा के नेतृत्व वाली झारखंड सरकार द्वारा आतंकवाद रोधी कानून और राजद्रोह कानून के व्यापक स्तर पर दुरुपयोग का पर्दाफाश करने की हिम्मत की थी.’
बयान के अनुसार, ‘स्टेन ने आदिवासी युवाओं की अनकही पीड़ाओं के अनुभवों का दस्तावेज तैयार किया था, जिनमें से हजारों को बिना किसी अपराध के जेल में डाला गया. इस वजह से पुलिस और राज्य सरकार में नाराजगी थी, जिस वजह से स्टेन स्वामी और अन्य के खिलाफ झारखडं में मानवाधिकार आंदोलन में निशाना बनाया गया.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)