जम्मू कश्मीरः पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती 14 महीने की नज़रबंदी के बाद रिहा

पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष महबूबा मुफ़्ती पिछले साल पांच अगस्त को अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को ख़त्म कर जम्मू कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा हटाए जाने के बाद से ही नज़रबंद थीं. रिहा होने के बाद मुफ़्ती ने कहा कि जो हमसे छीना गया, उसे वापस लेना होगा.

/
Srinagar: In this July 28, 2019, file photo former Jammu and Kashmir chief minister and Peoples Democratic Party (PDP) Chief Mehbooba Mufti addresses a public rally organized to celebrate the partys 20th Foundation Day, in Srinagar. Mufti was released on Tuesday night, Oct. 13, 2020, as the Union Territory administration revoked the Public Safety Act charges against her, more than a year after she was detained following the abrogation of special status of the erstwhile state. (PTI Photo)(PTI13-10-2020 000228B)

पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष महबूबा मुफ़्ती पिछले साल पांच अगस्त को अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को ख़त्म कर जम्मू कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा हटाए जाने के बाद से ही नज़रबंद थीं. रिहा होने के बाद मुफ़्ती ने कहा कि जो हमसे छीना गया, उसे वापस लेना होगा.

महबूबा मुफ्ती (फोटो: रॉयटर्स)
महबूबा मुफ्ती (फोटो: रॉयटर्स)

श्रीनगरः जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती को 14 महीने बाद रिहा कर दिया गया है.

महबूबा पिछले साल पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से ही नजरबंद थीं.

जम्मू कश्मीर के प्रवक्ता रोहित कंसल ने ट्वीट कर कहा, ‘महबूबा मुफ्ती को रिहा किया जा रहा है.’

महबूबा ने मंगलवार को रिहा किए जाने के बाद अपने समर्थकों के लिए एक संक्षिप्त ऑडियो संदेश ट्वीट किया.

इस संदेश में उन्होंने कहा, ‘मैं आज एक साल से भी ज्यादा अर्से के बाद रिहा हुई हूं. इस दौरान पांच अगस्त 2019 के काले दिन का काला फैसला हर पल मेरे दिल और रूह पर वार करता रहा और मुझे एहसास है कि यही कैफियत जम्मू कश्मीर के तमाम लोगों की रही होगी. हममें से कोई भी शख्स उस दिन की बेइज्जती को कतई भूल नहीं सकता.’

उन्होंने कहा, ‘हम सबको इस बात को याद रखना होगा कि दिल्ली दरबार ने पांच अगस्त को गैरकानूनी, अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक तरीके से जो हमसे छीन लिया, उसे वापस लेना होगा, बल्कि उसके साथ-साथ हमें मसला-ए-कश्मीर जिसकी वजह से जम्मू कश्मीर में हजारों लोगों ने अपनी जानें न्यौछावर की, उसे हल करने के लिए हमें जद्दोजहद जारी रखनी होगी.’

मुफ्ती ने आगे कहा, ‘मैं मानती हूं कि ये राह कतई आसान नहीं होगी, लेकिन मुझे यकीन है कि हम सबका हौसला और साहस इस रास्ते को तय करने में हमारी मदद करेगा. आज जब मुझे रिहा किया गया है, मैं चाहती हूं कि जम्मू कश्मीर के जितने भी लोग मुल्क की जेलों में बंद पड़े हैं, उन्हें जल्द से जल्द रिहा किया जाए.’

बता दें कि पिछले साल जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने से कुछ घंटे पहले ही घाटी के तमाम नेताओं के साथ महबूबा मुफ्ती को भी एहतियातन हिरासत में लिया गया था, लेकिन उनकी छह महीने की हिरासत अवधि समाप्त होने से पहले ही उन पर पीएसए लगा दिया गया था.

महबूबा मुफ्ती की रिहाई की खबर आने के बाद उनकी बेटी इल्तिजा मुफ्ती ने अपनी मां के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर कहा, ‘महबूबा मुफ्ती की गैरकानूनी तरीके से बंदी बनाने की अवधि आखिरकार समाप्त हो रही है. इस मुश्किल हालात में समर्थन देने वाले उन सभी लोगों का शुक्रिया. मैं लोगों की कर्जदार हूं. इल्तिजा अब आपसे विदा ले रही हूं अल्लाह सभी को महफूज रखें.’

बता दें कि महबूबा मुफ्ती की नजरंबदी के दौरान इल्तिजा ही उनका ट्विटर हैंडल मैनेज कर रही थीं.

महबूबा मुफ्ती की रिहाई पर जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट कर कहा, ‘मुझे यह सुनकर खुशी हुई कि महबूबा मुफ्ती साहिबा को एक साल से भी अधिक समय तक हिरासत में रखे जाने के बाद रिहा किया गया. उनको लगातार हिरासत में रखना एख मजाक था और लोकतंत्र के बुनियादी उसूलों के खिलाफ था. महबूबा आपका स्वागत है.’

बीते 31 जुलाई को जम्मू कश्मीर प्रशासन ने पीएसए के तहत महबूबा की नजरंबदी को तीन महीने और बढ़ा दिया था.

शुरुआत में उन्हें चश्मा शाही गेस्ट हाउस में रखा गया था, लेकिन फिर उन्हें श्रीनगर में एमए लिंक रोड पर एक अन्य सरकारी गेस्ट हाउस में शिफ्ट किया गया. इसके बाद महबूबा मुफ्ती को उनके निवास स्थान पर नजरबंद किया गया था.

महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती ने सुप्रीम कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर कर जन सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत अपनी मां की अवैध नजरबंदी को चुनौती दी थी, जिस पर 29 सितंबर को सुनवाई हुई थी. सुप्रीम कोर्ट ने तब जम्मू कश्मीर प्रशासन ने इल्तिजा की याचिका पर जवाब मांगते हुए कहा था कि नजरबंदी हमेशा के लिए नहीं हो सकती.

उनसे पहले जम्मू कश्मीर के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों फारूक और उमर अब्दुल्ला दोनों को इस साल मार्च महीने में रिहा किया गया था. इसके अलावा जम्मू एंड कश्मीर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस (जेकेपीसी) के चेयरमैन सज्जाद गनी लोन को एक साल बाद नजरबंदी से रिहा किया गया था.

कांग्रेस नेता सैफुद्दीन सोज को भी हाल ही में रिहा किया गया. सैफुद्दीन सोज के बारे में राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि सोज कभी नजरंबंद नहीं थे, लेकिन इसके एक दिन बाद ही सोज का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें वह श्रीनगर स्थित अपने घर दीवार से बाहर झांकते हुए कह रहे थे कि वह आजाद नहीं हैं.