शहर में रह रहे 9.1 करोड़ भारतीयों के पास घर में हाथ धुलाई की बुनियादी सुविधाओं का अभाव: यूनिसेफ

यूनिसेफ की ओर से कहा गया है कि साबुन से हाथ न धोने से लाखों लोगों को कोविड-19 और अन्य संक्रामक रोगों का ख़तरा है. मध्य और दक्षिण एशिया में 22 प्रतिशत लोग यानी 15.3 करोड़ लोगों के पास हाथ धुलाई की सुविधा का अभाव है.

(फोटो: पीटीआई)

यूनिसेफ की ओर से कहा गया है कि साबुन से हाथ न धोने से लाखों लोगों को कोविड-19 और अन्य संक्रामक रोगों का ख़तरा है. मध्य और दक्षिण एशिया में 22 प्रतिशत लोग यानी 15.3 करोड़ लोगों के पास हाथ धुलाई की सुविधा का अभाव है.

Mumbai: Volunteers offer hand-wash training to children during a campaign to mark Global Hand Washing Day, at Dharavi in Mumbai, Thursday, Oct. 15, 2020. (PTI Photo/Kunal Patil) (PTI15-10-2020 000087B)
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नई दिल्ली: संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) ने कहा है कि लगभग नौ करोड़ 10 लाख शहरी भारतीयों के पास घर में हाथ धुलाई की बुनियादी सुविधाओं का अभाव है. इसने कहा कि कोविड-19 जैसी बीमारियों से निपटने के लिए साबुन से हाथ धोना महत्वपूर्ण है.

‘वैश्विक हाथ धुलाई दिवस’ पर बीते बृहस्पतिवार को जारी एक बयान में यूनिसेफ ने कहा कि साबुन से हाथ न धोने से लाखों लोगों को कोविड-19 और अन्य संक्रामक रोगों का खतरा है.

इसने कहा, ‘मध्य और दक्षिण एशिया में 22 प्रतिशत लोग यानी 15.3 करोड़ लोगों के पास हाथ धुलाई की सुविधा का अभाव है. लगभग 50 प्रतिशत या दो करोड़ 90 लाख शहरी बांग्लादेशियों और 20 प्रतिशत या नौ करोड़ 10 लाख शहरी भारतीयों के पास घर में हाथ धुलाई की बुनियादी सुविधाओं का अभाव है.’

यूनिसेफ-इंडिया की प्रतिनिधि डॉक्टर यास्मीन अली हक ने कहा कि महामारी का प्रसार लगातार जारी है, इसलिए यह याद रखना जरूरी है कि हाथ धुलाई महज कोई व्यक्तिगत विकल्प नहीं, बल्कि एक सामाजिक आवश्यकता है.

इस वैश्विक इकाई ने कहा कि विश्व में 40 प्रतिशत लोगों यानी तीन अरब लोगों के पास घर में पानी और साबुन से हाथ धोने की सुविधा नहीं है.

वहीं, राष्ट्रीय नमूना सर्वे, 2019 के अनुसार, भारत में सिर्फ 36 फीसदी परिवार भोजन से पहले हाथ धोते हैं. जबकि सिर्फ 74 फीसदी शौच के बाद साबुन से अपने हाथ साफ करते हैं.

बीते मई महीने में अमेरिका में वॉशिंगटन विश्वविद्यालय में इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ मैट्रिक्स एंड इवैलुएशन (आईएचएमई) के शोधकर्ताओं ने अपने एक शोध में कहा था कि निचले एवं मध्यम आय वाले देशों के दो अरब से अधिक लोगों में साबुन और साफ पानी की उपलब्धता नहीं होने के कारण अमीर देशों के लोगों की तुलना में संक्रमण फैलने का जोखिम अधिक है.

शोध के अनुसार, यह संख्या दुनिया की आबादी का एक चौथाई है. एनवायरमेंटल हेल्थ पर्सपेक्टिव्ज नाम के जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक उप-सहारा अफ्रीका और ओसियाना के 50 फीसदी से अधिक लोगों को अच्छे से हाथ धोने की सुविधा नहीं है.

शोध के मुताबिक भारत, पाकिस्तान, चीन, बांग्लादेश, नाइजीरिया, इथियोपिया, कांगो और इंडोनेशिया में से प्रत्येक में पांच करोड़ से अधिक लोगों के पास हाथ धोने की सुविधा नहीं है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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