टीआरपी छेड़छाड़: रिपब्लिक टीवी ने एफ़आईआर ख़ारिज करने के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख़ किया

बीते आठ अक्टूबर को मुंबई पुलिस ने ‘टेलीविजन रेटिंग पॉइंट’ (टीआरपी) से छेड़छाड़ करने वाले एक गिरोह का भंडाफोड़ करने का दावा किया था. मुंबई के पुलिस आयुक्त ने दावा किया था कि रिपब्लिक टीवी सहित तीन चैनलों ने टीआरपी के साथ हेराफेरी की है.

बॉम्बे हाईकोर्ट (फोटो: पीटीआई)

बीते आठ अक्टूबर को मुंबई पुलिस ने ‘टेलीविजन रेटिंग पॉइंट’ (टीआरपी) से छेड़छाड़ करने वाले एक गिरोह का भंडाफोड़ करने का दावा किया था. मुंबई के पुलिस आयुक्त ने दावा किया था कि रिपब्लिक टीवी सहित तीन चैनलों ने टीआरपी के साथ हेराफेरी की है.

बॉम्बे हाईकोर्ट (फोटो: पीटीआई)
बॉम्बे हाईकोर्ट (फोटो: पीटीआई)

मुंबई: रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क के स्वामित्व वाली एआरजी आउटलायर मीडिया प्राइवेट लिमिटेड और उसके प्रधान संपादक अर्णब गोस्वामी ने टेलीविजन रेटिंग पॉइंट (टीआरपी) में कथित हेराफेरी मामले में चैनल के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को खारिज करने के अनुरोध को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख किया है.

याचिका में निष्पक्ष और पारदर्शी जांच सुनिश्चित करने के लिए मामले को सीबीआई को हस्तांरित किए जाने का भी अनुरोध किया गया है.

सुप्रीम कोर्ट ने बीते 15 अक्टूबर को रिपब्लिक मीडिया समूह से कहा था कि टीआरपी में हेराफेरी प्रकरण में मुंबई पुलिस द्वारा दर्ज मामले में वह बॉम्बे हाईकोर्ट जाए. शीर्ष अदालत ने कहा था, ‘हमें उच्च न्यायालयों में भरोसा रखना चाहिए.’

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, रिपब्लिक ने केंद्र सरकार को यह निर्देश देने की भी मांग की है कि वह मुंबई पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह के खिलाफ सीबीआई जांच के साथ-साथ शक्ति के दुरुपयोग के लिए अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करे.

इसके साथ ही रिपब्लिक ने चैनल के सदस्यों के खिलाफ अपराध शाखा द्वारा पूछताछ और जांच जैसी किसी भी संभावित कार्रवाई के खिलाफ अंतरिम सुरक्षा की मांग की है.

उन्होंने अदालत की याचिका पर फैसला होने तक चैनल और उसके कर्मचारियों की जांच पर रोक के आदेश के लिए प्रार्थना की है.

मुंबई अपराध शाखा ने रिपब्लिक टीवी और उसके दो वरिष्ठ अधिकारियों तथा दो अन्य क्षेत्रीय चैनलों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की थी.

इसमें इन चैनलों पर टीआरपी में हेराफेरी करने का आरोप लगाया गया है. इस मामले में अब तक छह लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है.

याचिका पर अगले सप्ताह सुनवाई होने की संभावना है.

मालूम हो कि बीते आठ अक्टूबर को मुंबई पुलिस ने ‘टेलीविजन रेटिंग पॉइंट’ (टीआरपी) से छेड़छाड़ करने वाले एक गिरोह का भंडाफोड़ करने का दावा किया था. मुंबई के पुलिस आयुक्त ने दावा किया था कि रिपब्लिक टीवी सहित तीन चैनलों ने टीआरपी के साथ हेराफेरी की है.

हालांकि रिपब्लिक टीवी ने इन आरोपों से इनकार किया है.

पुलिस के अनुसार, यह गोरखधंधा उस समय सामने आया जब टीआरपी का आकलन करने वाले संगठन बार्क ने हंसा रिसर्च समूह के माध्यम से इस बारे में एक शिकायत दर्ज कराई.

इस मामले में कुछ लोगों को गिरफ्तार करने के एक दिन बाद नौ अक्टूबर को पुलिस ने रिपब्लिक मीडिया के मुख्य वित्त अधिकारी शिव सुब्रमण्यम सुंदरम, वितरण विभाग के प्रमुख घनश्याम सिंह, दो विज्ञापन एजेंसियों और बॉक्स सिनेमा और फक्त मराठी के अकाउंटेंट को तलब किया था.

हालांकि, सिर्फ विज्ञापन एजेंसियों के अधिकारी- मैडिसन के प्रमुख सैम बलसारा और आईपीजी मीडिया ब्रांड्स के सीईओ शशि सिन्हा ही पूछताछ के लिए पुलिस मुख्यालय पहुंचे थे. उनसे आठ से अधिक घंटों तक पूछताछ की गई थी.

वहीं, रिपब्लिक के सीएफओ शिव सुब्रमण्यम सुंदरम ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर मामले की जल्द सुनवाई की मांग की और मुंबई पुलिस के समन को भी चुनौती दी.

मुंबई पुलिस ने इस मामले में विशाल भंडारी, बोम्पल्ली राव, बॉक्स सिनेमा के मालिक नारायण शर्मा और फक्त मराठी चैनल के मालिक शिरीष शेट्टी को गिरफ्तार किया था, जो फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं.

गौरतलब है कि टीआरपी से यह पता चलता है कि कौन-सा टीवी कार्यक्रम सबसे ज्यादा देखा गया. इससे दर्शकों की पसंद और किसी चैनल की लोकप्रियता का भी पता चलता है.

गोपनीय तरीके से कुछ घरों में टीवी चैनल के दर्शकों के आधार पर टीआरपी की गणना की जाती थी. देश में ब्रॉडकास्ट ऑडिएंस रिसर्च कॉउंसिल (बार्क) टीवी चैनलों के लिए साप्ताहिक रेटिंग जारी करता है.

डेटा प्रभावित करने के जिम्मेदार लोगों पर जांच केंद्रित: बार्क

टीआरपी घोटाला मामले के मद्देनजर ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (बार्क) ने शनिवार को कहा कि उसका मानना है कि चैनल एक स्वच्छ पारिस्थितिकी तंत्र बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं और मौजूदा समय में उसके प्रयास डेटा प्रभावित करने के लिए लोगों के घरों में घुसपैठ के जिम्मेदार व्यक्तियों पर केंद्रित हैं.

बार्क ने कहा कि वह मुंबई पुलिस की जांच में भी सहयोग कर रही है. मुंबई पुलिस ने इस मामले में अब तक छह लोगों को गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार किए गए लोगों में बार्क के साथ जुड़ी एक एजेंसी के पूर्व कर्मचारी भी शामिल हैं.

बार्क ने एक बयान में कहा, ‘बार्क कानून प्रवर्तन एजेंसी की जांच में आवश्यक सहायता कर रही है.’

उसने कहा कि काउंसिल का एकमात्र लक्ष्य ऐसी रेटिंग दिखाना है, जिस पर उसके ग्राहक भरोसा करें, जो विज्ञान पर पूरी तरह आधारित हो, जो जिम्मेदारी की भावना दर्शाती हो और वास्तव में यह प्रतिबिंबित करती हो कि देश क्या देख रहा है.

टीआरपी मामले की जांच करने वाले अधिकारी सहित 18 पुलिस उपायुक्तों का तबादला

मुंबई पुलिस के 18 उपायुक्तों का महानगर के भीतर ही तबादला कर दिया गया है. इन अधिकारियों में टीवी समाचार चैनलों से जुड़े फर्जी टीआरपी रैकेट मामले की जांच कर रहे दल के एक सदस्य भी शामिल हैं.

एक अधिकारी ने बताया कि शुक्रवार को यह आदेश जारी किया गया था.

टीआरपी मामले की जांच का हिस्सा, डीसीपी (जांच) नंदकुमार ठाकुर को डीसीपी (यातायात) के रूप में स्थानांतरित कर दिया गया है.

हालांकि, एक अधिकारी ने स्पष्ट किया कि यह अनुरोध अधिकारी द्वारा टीआरपी का मामला सामने आने से पहले ही निजी कारणों से किया गया था.

अपराध शाखा में ठाकुर के स्थान पर प्रकाश जाधव को पदभार दिया गया है जबकि शशिकुमार मीणा को डीसीपी जोन एक, दत्ता नलवाडे को मादक पदार्थ निरोध प्रकोष्ठ का डीसीपी, विजय पाटिल को डीसीपी जोन चार, कृष्णकांत उपाध्याय को जोन छह और एमसीवी महेश रेड्डी को जोन 10 में स्थानांतरित किया गया है.

आदेश में कहा गया है कि एस चैतन्य, डीसीपी (अभियान) और राजू भुजबल डीसीपी (प्रवर्तन) का पदभार संभालेंगे. वहीं योगेश कुमार गुप्ता डीसीपी (यातायात), संजय पाटिल डीसीपी (मुख्यालय-दो) और एसटी राठौड़ एसबी-1 के एसीपी होंगे.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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