ग़ाज़ियाबादः वाल्मीकि समुदाय के 236 लोगों के धर्म परिवर्तन मामले में एफ़आईआर दर्ज

उत्तर प्रदेश के हाथरस में दलित युवती के कथित बलात्कार और मौत के बाद प्रशासन के व्यवहार से आहत ग़ाज़ियाबाद के करहैड़ा गांव के दलित समुदाय के 236 लोगों ने बीते 14 अक्टूबर को हिंदू धर्म छोड़कर बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया था.

गाजियाबाद के करहैड़ा गांव में बौद्ध धर्म की दीक्षा लेते बाल्मीकि समुदाय के लोग. (फोटो साभार: ट्विटर/@Raj_Ambedkar)

उत्तर प्रदेश के हाथरस में दलित युवती के कथित बलात्कार और मौत के बाद प्रशासन के व्यवहार से आहत ग़ाज़ियाबाद के करहैड़ा गांव के दलित समुदाय के 236 लोगों ने बीते 14 अक्टूबर को हिंदू धर्म छोड़कर बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया था.

गाजियाबाद के करहैड़ा गांव में बौद्ध धर्म की दीक्षा लेते बाल्मीकि समुदाय के लोग. (फोटो साभार: ट्विटर/@Raj_Ambedkar)
गाजियाबाद के करहैड़ा गांव में बौद्ध धर्म की दीक्षा लेते बाल्मीकि समुदाय के लोग. (फोटो साभार: ट्विटर/@Raj_Ambedkar)

गाजियाबादः उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद के एक गांव में वाल्मीकि समुदाय के 236 लोगों के बौद्ध धर्म अपनाने के कुछ दिनों बाद उत्तर प्रदेश पुलिस ने धर्म परिवर्तन को लेकर कथित तौर पर अफवाह फैलाने के आरोप में अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, गाजियाबाद के करहैड़ा गांव के वाल्मीकि समुदाय के लोगों का कहना है कि उन्होंने 14 अक्टूबर को बीआर आंबेडकर के पड़पौत्र राजरत्न आंबेडकर की मौजूदगी में बौद्ध धर्म स्वीकार किया था.

एक कथित सामाजिक कार्यकर्ता मोंटू चंदेल (22) की शिकायत के बाद गुरुवार को साहिबाबाद पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज की गई. आईपीसी की धारा 153ए और 505 के तहत एफआईआर दर्ज की गई है.

एफआईआर में कहा गया है, ‘कुछ अज्ञात लोगों और संगठनों ने 230 लोगों के धर्म परिवर्तन को लेकर अफवाह फैलाई. इस संबंध में जारी किए गए प्रमाण-पत्र में किसी का नाम या पता नहीं है और न ही इसे जारी करने की कोई तारीख है, इसके साथ ही कोई रजिस्ट्रेशन नंबर भी नहीं है. इस पर किसी का भी नाम लिखा जा सकता है. आपराधिक साजिश के अनुसार जाति आधारित तनाव बढ़ाने का प्रयास किया गया है.’

इस मामले पर राजरत्न आंबेडकर का कहना है कि 1955 में डॉ. आंबेडकर द्वारा स्थापित द बौद्धिस्ट सोसाइटी ऑफ इंडिया ने 236 लोगों को धर्म परिवर्तन करने को लेकर प्रमाण-पत्र जारी किए गए थे.

प्रमाण-पत्रों पर राजरत्न के हस्ताक्षर हैं. बता दें कि वही इस संगठन के ट्रस्टी-मैनेजर हैं.

उन्होंने कहा, ‘वे 14 अक्टूबर को करहैड़ा गांव में हुए धर्म परिवर्तन को अफवाह कैसे कह सकते हैं? मैं वहां मौजूद था. इस कार्यक्रम का फेसबुक पर लाइव प्रसारण हुआ था, कार्यक्रम की तस्वीरें भी हैं. एफआईआर का आधार क्या है?’

साहिबाबाद सर्किल अधिकारी केशव कुमार ने कहा, ‘हम आरोपों की जांच कर रहे हैं. प्रमाण-पत्रों पर सिर्फ धर्म परिवर्तन के दिन की तारीख है. इन दस्तावेजों के प्रामाणिक न होने के आरोपों की जांच की जाएगी. अभी तक मामले में किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया है.’

करहैड़ा गांव के ही स्थानीय निवासी और 14 अक्टूबर को हुए इस धर्म परिवर्तन कार्यक्रम के समन्वयक रह चुके पवन ने मोंटू चंदेल द्वारा लगाए गए आरोपों का खंडन किया है.

उन्होंने कहा, ‘धर्म परिवर्तन 14 अक्टूबर को हुआ था. हमने धर्म परिवर्तन कराया था. यह अफवाह नहीं है. हमें शिकायतकर्ता के बारे में कोई जानकारी नहीं है. वह गांव का रहने वाले भी नहीं है. हमें किसी राजनीतिक दल ने धर्म परिवर्तन के लिए कोई पैसा नहीं दिया है.’

बता दें कि उत्तर प्रदेश के हाथरस में दलित युवती के कथित बलात्कार और मौत के बाद प्रशासन के व्यवहार से आहत गाजियाबाद के करहैड़ा गांव के दलित समुदाय के 236 लोगों ने 14 अक्टूबर को बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया था.

इनका कहना था कि हाथरस में 19 साल की दलित युवती के साथ जो हुआ, उसके बाद हमने धर्म परिवर्तन का फैसला किया. बौद्ध धर्म में कोई जाति नहीं है. वहां कोई ठाकुर या वाल्मीकि नहीं है. हर कोई सिर्फ इंसान है, सभी सिर्फ बौद्ध हैं.