दिसंबर में नए संसद भवन का निर्माण कार्य शुरू होगा और अक्टूबर 2022 में पूरा होगा

सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत नए संसद भवन का निर्माण मौजूदा इमारत के नज़दीक ही किया जाएगा. इस परियोजना का विभिन्न स्तरों पर विरोध भी हो रहा है. परियोजना को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती भी दी गई थी, बीते मई महीने में शीर्ष अदालत ने इस पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था.

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(फोटो: पीटीआई)

सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत नए संसद भवन का निर्माण मौजूदा इमारत के नज़दीक ही किया जाएगा. इस परियोजना का विभिन्न स्तरों पर विरोध भी हो रहा है. परियोजना को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती भी दी गई थी, बीते मई महीने में शीर्ष अदालत ने इस पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था.

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नई दिल्ली: नए संसद भवन का निर्माण कार्य इस साल दिसंबर में शुरू होगा और इसके अक्टूबर 2022 तक पूरा हो जाने की संभावना है. लोकसभा सचिवालय ने शुक्रवार को यह जानकारी दी.

लोकसभा सचिवालय ने यह भी कहा है कि नए संसद भवन के निर्माण की अवधि के दौरान मौजूदा संसद भवन में ही संसद सत्र को निर्बाध रूप से कराने के लिए आवश्यक उपाय किए गए हैं.

नए संसद भवन का शिलान्यास समारोह दिसंबर में होने की संभावना है. इसमें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा दोनों सदनों के पीठासीन पदाधिकारी सहित अन्य नेता तथा कई गणमान्य व्यक्ति शरीक हो सकते हैं.

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला द्वारा एक समीक्षा बैठक की अध्यक्षता किए जाने के बाद सूत्रों ने बताया कि नए संसद भवन में लोकसभा कक्ष में 888 सदस्यों के जबकि राज्यसभा में 384 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था होगी. दोनों सदनों में भविष्य में सदस्यों की संख्या बढ़ने को ध्यान में रखते हुए ऐसा किया जा रहा है.

वर्तमान में संसद के निचले सदन (लोकसभा) में 543 जबकि उच्च सदन (राज्यसभा) में 245 सदस्यों की कुल संख्या आवंटित है.

अधिकारियों ने बताया कि नए संसद भवन के निर्माण कार्य के दौरान वायु एवं ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त कदम उठाए जा रहे हैं.

नए संसद भवन में सभी सांसदों के लिए अलग-अलग कार्यालय होंगे और उन्हें नवीनतम डिजिटल उपकरणों से लैस किया जाएगा. यह कदम कागज रहित कार्यालय सुनिश्चित करने की दिशा में एक कदम है.

नए भवन में एक संविधान कक्ष (कांस्टीट्यूशन हॉल) भी होगा, जो भारत की लोकतांत्रिक धरोहर को प्रदर्शित करेगा. इसके अलावा संसद सदस्यों के लिए एक लाउंज, एक पुस्तकालय, कई समितियों के लिए कमरे, खान-पान के लिए स्थान और वाहन पार्किंग की जगह भी होगी.

मौजूदा भवन, ब्रिटिश कालीन है जिसका डिजाइन एडविन लुटियंस और हरबर्ट बेकर ने तैयार किया था. उन दोनों ने ही नई दिल्ली का निर्माण किया था.

मौजूदा संसद भवन की आधारशिला 12 फरवरी 1921 को रखी गई थी और इसके निर्माण में छह साल लगे थे तथा उस वक्त 83 लाख रुपये की लागत आई थी. उद्घाटन समारोह 18 जनवरी 1927 को भारत के तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड इरविन के हाथों हुआ था.

बैठक में बिड़ला ने कहा कि गुणवत्ता के मामले में और नए संसद भवन के निर्माण से जुड़े कार्य समय पर पूरा करने में कोई समझौता नहीं होना चाहिए.

निर्माण कार्य की देखरेख करने के लिए एक निगरानी समिति गठित की जाएगी, जिसमें लोकसभा सचिवालय, आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय, केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीब्डल्यूडी), नई दिल्ली नगर पालिका परिषद (एनडीएमसी) के अधिकारी तथा परियोजना के वास्तुकार/डिजाइनर शामिल होंगे.

मालूम हो कि पिछले महीने टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड ने नया संसद भवन 861.90 करोड़ रुपये की लागत से बनाने की निविदा हासिल की थी. नए संसद भवन का निर्माण सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना के तहत मौजूदा संसद भवन के पास होगा.

एक बयान में लोकसभा सचिवालय ने कहा कि ओम बिड़ला ने नए संसद भवन के निर्माण के सिलसिले में आज एक बैठक की अध्यक्षता की. बैठक में केंद्रीय आवासन और शहरी कार्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी भी शामिल हुए.

बैठक के दौरान बिड़ला को नए भवन के निर्माण के लिए प्रस्तावित क्षेत्र से बुनियादी ढांचों को दूसरी जगह ले जाने के बारे में हुई प्रगति से अवगत कराया गया.

बयान में कहा गया है, ‘निर्माण कार्य के दौरान अवरोधक लगाने की योजना और वायु एवं ध्वनि प्रदूषण को कम करने के लिए किए जाने वाले विभिन्न उपायों के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी गई. आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय के अधिकारियों ने ओम बिड़ला को संसद सत्र के दौरान सहित इस अवधि के दौरान वीआईपी तथा अन्य कर्मचारियों की आवाजाही की प्रस्तावित योजना के बारे में भी बताया.’

संविधान कक्ष में संविधान की मूल प्रति भी रखी जाएगी. भारत की लोकतांत्रिक धरोहर आदि को डिजिटल माध्यमों से दिखाया जाएगा. आगंतुकों को इस कक्ष में आने दिया जाएगा, ताकि वे भारतीय संसदीय लोकतंत्र की यात्रा को समझ सकें.

सेंट्रल विस्टा (राष्ट्र की सत्ता के गलियारे) की पुनर्विकास परियोजना एक त्रिभुजाकार संसद भवन, एक साझा केंद्रीय सचिवालय की परिकल्पना करता है. साथ ही राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट तक तीन किमी लंबे राजपथ का कायाकल्प भी किया जाएगा.

सेंट्रल विस्टा परियोजना के तहत प्रधानमंत्री आवास एवं कार्यालय भी साउथ ब्लॉक के पास आने की संभावना है. उप राष्ट्रपति का नया आवास नार्थ ब्लॉक के आसपास होगा.

सरकार द्वारा उद्योग भवन, कृषि भवन और शास्त्री भवन जैसी इमारतों को ध्वस्त कर देने की संभावना है ताकि नया केंद्रीय सचिवालय बन सके, जिसमें कई मंत्रालयों के कार्यालय होंगे.

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, गुजरात स्थित आर्किटेक्चर फर्म एचसीपी डिजाइन ने सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना का डिजाइन तैयार किया है. इस फर्म को परियोजना का मास्टर प्लान तैयार करने की जिम्मेदारी मिली है.

बता दें कि 22 अप्रैल को केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु मंत्रालय की विशेष मूल्यांकन समिति (ईएसी) ने मौजूदा संसद भवन के विस्तार और नवीकरण को पर्यावरण मंजूरी देने की सिफारिश की थी.

हालांकि इस योजना का विभिन्न स्तरों पर विरोध हो रहा है. देश के 60 पूर्व नौकरशाहों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर केंद्र की सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना पर चिंता व्यक्त की थी.

उन्होंने कहा था कि ऐसे वक्त में जब जन स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करने के लिए भारी भरकम धनराशि की जरूरत है तब यह कदम ‘गैर-जिम्मेदारी’ भरा है.

पूर्व नौकरशाहों ने कहा कि संसद में इस पर कोई बहस अथवा चर्चा नहीं हुई. पत्र में कहा गया है कि कंपनी का चयन और इसकी प्रक्रियाओं ने बहुत सारे प्रश्न खड़े किए हैं जिनका उत्तर नहीं मिला है.

इससे पहले एक याचिका में सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के लिए निर्धारित लैंड यूज को चुनौती दी गई थी, इसमें आरोप लगाया था कि इस काम के लिए लुटियंस जोन की 86 एकड़ भूमि इस्तेमाल होने वाली है और इसके चलते लोगों के खुले में घूमने का क्षेत्र और हरियाली खत्म हो जाएगी.

याचिका में ये दलील दी गई थी कि दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) द्वारा 19 दिसंबर 2019 को जारी किए गए पब्लिक नोटिस को अमान्य करार देने के लिए सरकार द्वारा 20 मार्च 2020 को जारी किया गया नोटिफिकेशन कानून और न्यायिक प्रोटोकॉल के नियम का दमन है, क्योंकि 2019 वाले नोटिस को चुनौती दी गई है और खुद सुप्रीम कोर्ट इसकी सुनवाई कर रहा है.

हालांकि मई महीने में शीर्ष अदालत ने इस प्रोजेक्ट पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)