केंद्रीय भूजल बोर्ड ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को भूमिगत जल की बर्बादी रोकने को कहा

एनजीटी ने हाल ही में भूजल की बर्बादी को लेकर केंद्र को फटकार लगाई थी, जिसमें कहा गया था कि सरकार इसके लिए समयबद्ध कार्य योजना बनाए और ऐसे मामलों की निगरानी करे.

(फोटो: रॉयटर्स)

एनजीटी ने हाल ही में भूजल की बर्बादी को लेकर केंद्र को फटकार लगाई थी, जिसमें कहा गया था कि सरकार इसके लिए समयबद्ध कार्य योजना बनाए और ऐसे मामलों की निगरानी करे.

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(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: केंद्रीय भूजल बोर्ड (सीजीडब्ल्यूडी) ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में जलापूर्ति कर रहीं एजेंसियों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि भूजल की बर्बादी या दुरुपयोग न हो. साथ ही उसने ऐसा होने पर कड़ी कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया है.

बोर्ड के एक अधिकारी ने बताया कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के निर्देश पर राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को आठ अक्टूबर को आदेश जारी किया गया था. बोर्ड के एक और अधिकारी ने कहा कि ऐसा होने पर पर्यावरण (संरक्षण अधिनियम), 1986 के तहत कार्रवाई की जाएगी.

बोर्ड के आदेश में कहा गया है कि राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में जलापूर्ति कर रहे संबंधित नगर निकायों जैसे जल विभाग, नगर निगम, नगर परिषद, विकास प्राधिकरण, पंचायत या अन्य एजेंसियां यह सुनिश्चित करें कि भूमिगत जल के नलों से पानी की बर्बादी या इसका दुरुपयोग न हो. ऐसा होता पाए जाने पर दंडात्मक कार्रवाई की जाए.’

आदेश में कहा गया है, ‘देश के किसी भी व्यक्ति को इन भूमिगत जल संसाधनों को न तो बर्बाद करना चाहिए और न ही इनका दुरुपयोग करना चाहिए.’

बोर्ड ने अपने आदेश में एनजीटी के अक्टूबर 2019 के निर्देश का भी जिक्र किया, जिसमें कहा गया है कि जल की बर्बादी को रोकने के लिए एक समयबद्ध कार्य योजना और निगरानी व्यवस्था होनी चाहिए.

एनजीटी ने हाल ही में भूजल की बर्बादी और दुरुपयोग को रोकने के लिए अपर्याप्त उपाय होने पर केंद्र को फटकार लगाई थी, जिसमें कहा गया था कि सरकार इसके लिए समयबद्ध कार्य योजना बनाए और ऐसे मामलों की निगरानी करे.

एनजीटी अध्यक्ष जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि जल शक्ति मंत्रालय और साथ ही दिल्ली जल बोर्ड द्वारा दायर की गई प्रतिक्रिया में इस तरह के दुरुपयोग और बर्बादी को रोकने के लिए स्पष्ट लागू नीति नहीं दिखाई गई है.

पीठ ने कहा, ‘यह हलफनामा अस्पष्ट है. इसमें कहा गया है कि राज्यों को पत्र लिखे गए हैं. यह कदम जल शक्ति मंत्रालय में जताए गए लोगों के विश्वास का निर्वहन करने के लिए शायद ही पर्याप्त हो.’

उन्होंने आगे कहा, ‘पत्र लिखने के अलावा विशिष्ट समयबद्ध कार्य योजना और निगरानी होनी चाहिए, जिसमें लागू करने के लिए कठोर उपाय शामिल होने चाहिए.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)