आरोग्य सेतु ऐप किसने बनाया सरकार को नहीं पता, सीआईसी ने जारी किया कारण बताओ नोटिस

सरकार द्वारा एक याचिकाकर्ता को आरोग्य सेतु ऐप के बारे में कोई जानकारी न होने की बात कहने के बाद केंद्रीय सूचना आयोग ने कहा कि जब ऐप को राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा डिजाइन और विकसित बताया गया है, तब कैसे संभव है कि उनके पास कोई जानकारी ही नहीं है.

(फोटो: रॉयटर्स)

सरकार द्वारा एक याचिकाकर्ता को आरोग्य सेतु ऐप के बारे में कोई जानकारी न होने की बात कहने के बाद केंद्रीय सूचना आयोग ने कहा कि जब ऐप को राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा डिजाइन और विकसित बताया गया है, तब कैसे संभव है कि उनके पास कोई जानकारी ही नहीं है.

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(फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: कोविड-19 के प्रसार की रोकथाम के लिए सरकार द्वारा जिस आरोग्य सेतु ऐप के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जा रहा है उसे किसने बनाया इस बारे में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय तथा राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) को कोई जानकारी नहीं है.

केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने सरकार के इस जवाब को ‘अतर्कसंगत’ करार दिया है.

आयोग ने एनआईसी को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए पूछा कि उस पर ‘प्रथमदृष्टया सूचना को बाधित करने और अस्पष्ट जवाब देने के लिए’ क्यों न सूचना के अधिकार अधिनियम (आरटीआई) के तहत जुर्माना लगाया जाए.

बता दें कि गृह मंत्रालय ने इस कांटैक्ट ट्रेसिंग ऐप को कोविड-19 महामारी के दौरान यात्रा करने वालों के साथ विभिन्न अन्य गतिविधियों के लिए अनिवार्य किया था.

सूचना आयुक्त वीएन सरना ने एक सख्त आदेश में ऐप की वेबसाइट का उल्लेख किया जिसमें उल्लेख है कि उस की सामग्री का ‘स्वामित्व, अपडेशन और रखरखाव’ ‘माईजीओवी’ मंत्रालय द्वारा किया जाता है, और मंत्रालय के प्रधान जनसूचना अधिकारी को निर्देश दिया कि वो बताएं कि उनके पास मांगी गई जानकारी क्यों नहीं है.

उन्होंने कहा, ‘एनआईसी के मुख्य जन सूचना अधिकारी को यह बताना चाहिए कि जब वेबसाइट पर इसका उल्लेख है कि आरोग्य सेतु मंच को राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और भारत सरकार द्वारा डिजाइन, विकसित और होस्ट किया गया है, तब ऐसा कैसे है कि उनके पास इस ऐप को बनाए जाने को लेकर कोई जानकारी ही नहीं है.’

सूचना आयुक्त सौरव दास नाम के व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई कर रही थीं.

दास ने सरकार से आरोग्य सेतु ऐप बनाए जाने संबंधी विवरण, किस कानून के तहत यह काम कर रहा है और क्या सरकार इस ऐप द्वारा संग्रहित आंकड़ों को संभालने के लिए अलग से कोई कानून लाने पर की योजना बना रही है, जैसी जानकारियां मांगी थीं.

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने कोई जानकारी उपलब्ध नहीं कराई जिसके बाद दास ने आरटीआई अधिनियम के तहत शिकायत दायर की.

दास ने ऐसा ही याचिका एनआईसी के समक्ष भी दी थी, जिसने जवाब में कहा कि उसके पास कोई जानकारी नहीं है.

आयोग के समक्ष सुनवाई के दौरान, दास ने कहा कि एनआईसी का जवाब चौंकाने वाला था क्योंकि एनआईसी ने ही ऐप को विकसित किया था.

उन्होंने कहा कि मंत्रालय ने भी मोबाइल ऐप बनाए जाने और अन्य मामलों को लेकर कोई जानकारी उपलब्ध नहीं कराई.

उन्होंने आयोग को बताया कि कई विश्वसनीय मीडिया खबरों में आरोग्य सेतु ऐप, उसे बनाने और उसके रखरखाव को लेकर सवाल उठाए गए हैं, जिसकी वजह से इसे बनाए और रखरखाव के संबंध में पारदर्शिता लाया जाना ‘बेहद महत्व’ का है.

यह ऐप बड़ी संख्या में उपभोक्ताओं और व्यक्तियों के निजी आंकड़े एकत्र करता है.

मंत्रालय के अधिकारियों का जवाब सुनने के बाद सरना ने कहा कि अंतत: किस स्रोत से सूचना प्राप्त हो सकती है इसे लेकर अब तक किए गए प्रयास आज विफल हो गए.

उन्होंने कहा, ‘इस ऐप को किसने बनाया, फाइलें कहां हैं इस बारे में कोई भी मुख्य जनसूचना अधिकारी कुछ बताने में नाकाम रहा और यह बेहद अतर्कसंगत है.’

सरना ने कहा कि आयोग मानता है कि यह एक समसामयिक मुद्दा है और यह संभव नहीं है कि इस ऐप के निर्माण के दौरान फाइलों की आवाजाही नहीं हुई होगी.

उन्होंने कहा, ‘यह पता लगाने के लिए कोई नागरिक घूमता नहीं रह सकता कि संरक्षक कौन है.’

सरना ने आदेश में कहा, ‘इसलिए, आयोग एनआईसी के मुख्य जन सूचना अधिकारी को निर्देश देता है कि वो लिखित में इस मामले को बताएं कि आरोग्य सेतु ऐप की वेबसाइट कैसे बनी.’

रिपोर्ट के अनुसार, सीआईसी ने कहा कि शिकायतकर्ता ने अंदेशा जताया है कि किसी विभाग के पास कोई जानकारी उपलब्ध न होने के कारण लाखों भारतीयों की निजी जानकारी के दुरुपयोग का खतरा मंडरा है.

सीआईसी ने पूछा कि क्या यूजर्स डेटा के लिए क्यी कोई प्रोटोकॉल विकसित किया गया है और यह डेटा किसके साथ साझा किया जा रहा है.

आदेश में यह भी कहा गया कि दास ने चिंता जताई है कि सरकारी एजेंसियों द्वारा उनके कार्य न किए जाने से लाखों भारतीयों और यूजरों के निजी डेटा की सुरक्षा के साथ समझौता हो सकता है और यह बड़े पैमाने पर लोगों की निजता के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा और इससे लोगों को संवैधानिक तौर पर मिले जीवन और स्वतंत्रता के अधिकारों को खतरा पैदा होगा.

दास ने इस मामले की तत्काल सुनवाई का आग्रह करते हुए कहा कि यह मामला अत्यधिक सार्वजनिक हित का है और तत्काल सार्वजनिक जांच की आवश्यकता है.

सूचना आयुक्त ने इस मामले में चार अधिकारियों- मंत्रालय के उप निदेशकों एसके त्यागी और डीके सागर, नेशनल ई-गवर्नेंस डिवीजन के वरिष्ठ महाप्रबंधक आरए धवन और एनआईसी के मुख्य जनसूचना अधिकारी स्वरूप दत्ता को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया है.

सीआईसी के आदेश पर जवाब देते हुए इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने बाद में एक स्पष्टीकरण जारी किया और कहा, ‘आरोग्य सेतु ऐप को भारत सरकार ने पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप में लॉन्च किया था.’

बयान में कहा गया, ‘2 अप्रैल 2020 से आरोग्य सेतु ऐप पर नियमित प्रेस रिलीज और अपडेट्स जारी किए गए. इसके साथ ही 26 मई, 2020 को सोर्स कोड को पब्लिक डोमेन में उपलब्ध करवाया गया. जब कोड ओपन/ पब्लिक डोमेन में जारी किया गया था और मीडिया में भी व्यापक रूप से साझा किया गया था तब ऐप के विकास से जुड़े सभी लोगों के नाम और ऐप इकोसिस्टम के प्रबंधन विभिन्न चरणों में साझा किए गए थे.’

मंत्रालय ने यह भी कहा कि आरोग्य सेतु ऐप कोविड-19 के खिलाफ भारत की लड़ाई में बहुत उपयोगी साबित हुआ है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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