पंचकुलाः खनन विरोध को लेकर पुलिस-ग्रामीणों में झड़प, 14 ग्रामीण गिरफ़्तार

हरियाणा के पंचकुला के रत्तेवाली गांव में खनन को लेकर विरोध कर रहे सैकड़ों ग्रामीणों और पुलिस के बीच झड़प हुई. इसमें तीन महिलाओं सहित 16 पुलिस अधिकारी घायल हो गए. ग्रामीणों का कहना है कि खनन से उनके गांव को नुकसान पहुंच रहा है.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

हरियाणा के पंचकुला के रत्तेवाली गांव में खनन को लेकर विरोध कर रहे सैकड़ों ग्रामीणों और पुलिस के बीच झड़प हुई. इसमें तीन महिलाओं सहित 16 पुलिस अधिकारी घायल हो गए. ग्रामीणों का कहना है कि खनन से उनके गांव को नुकसान पहुंच रहा है.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)
(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

पंचकुलाः पंजाब के पंचकुला में बरवाला के रत्तेवाली गांव में मंगलवार को खनन (प्रशासन से इसका लाइसेंस लिया गया था) का विरोध कर रहे सैकड़ों ग्रामीणों और पुलिस के बीच झड़प में तीन महिलाओं सहित 16 पुलिस अधिकारी घायल हो गए.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, यह घटना मंगलवार को दोपहर दो बजे के आसपास हुई. ग्रामीणों के हमले में तीन पुलिस अधिकारियों को सिर में गंभीर चोटें आई हैं. इसके बाद पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए कई राउंड हवाई फायरिंग की.

इस मामले में 14 ग्रामीणों को गिरफ्तार किया गया और आपराधिक षड्यंत्र, हत्या का प्रयास, दंगा करने और हथियार कानून की कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है.

रत्तेवाली गांव के स्थानीय लोग गांव में खनन को मिली मंजूरी के खिलाफ एक महीने से अधिक समय से विरोध कर रहे थे. प्रदर्शनों और मामले की जांच शुरू होने के बाद अक्टूबर की शुरुआत में खनन का काम रोक दिया गया था.

रिपोर्ट के अनुसार, मामले की जांच करने वाली समिति ने तय सीमा से अधिक खनन करने के लिए खनन कर रहे फर्म पर 53 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था. ठेकेदार ने 30 अक्टूबर को 26 लाख रुपये का जुर्माना जमा कराकर खनन का काम दोबारा शुरू किया गया, जिसके बाद प्रदर्शन दोबारा शुरू हो गए.

पंचकुला के पुलिस विभाग द्वारा जारी किए गए बयान में कहा गया, ‘आदेशानुसार प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए ड्यूटी मजिस्ट्रेट के साथ पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंचे, ताकि खनन दोबारा शुरू हो सके. ग्रामीणों को भी इसकी जानकारी दी गई थी. कुछ असामाजिक तत्वों के इशारे पर ग्रामीणों ने पुलिस की टीमों पर हमला किया और पथराव किया, जिसमें 16 पुलिसकर्मी घायल हो गए.’

डिप्टी कमिश्नर मुकेश कुमार आहूजा ने कहा, ‘यह सब कानूनी प्रक्रिया का हिस्सा था. हमने ठेकेदार द्वारा इलाके में अवैध खनन के खिलाफ ग्रामीणों के आरोपों की जांच के लिए एक समिति बनाई थी. हमने मुख्यालय का रुख भी इसमें लिया था और अंतिम रिपोर्ट तैयार की थी. रिपोर्ट के बाद कुछ समय के लिए खनन गतिविधि रोक दी गई.’

उन्होंने कहा, ‘इस पर कानूनी कार्रवाई की गई थी, कानूनी आदेश के बाद वैध खनन बहाल किया गया. हमारा काम यह सुनिश्चित करना है कि कानूनी प्रक्रिया में कोई भी हस्तक्षेप न करें. अगर कोई करता है तो हम कानून के अनुरूप कार्रवाई करते हैं.’

पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए 14 ग्रामीणों पर आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है. इन पर आर्म्स एक्ट और पीडीपीपी एक्ट के तहत भी मामला दर्ज किया गया है.

पुलिस का दावा है कि बातचीत के दौरान ही प्रदर्शनकारी हिंसक हो गए थे, लेकिन ग्रामीणों का कुछ और ही कहना है.

गांव के एक ग्रामीण ने पहचान उजागर नहीं करने की शर्त पर कहा, ‘बुजुर्ग, महिलाओं और बच्चों सहित हम 200 लोग प्रदर्शन कर रहे थे. मंगलवार को दोपहर लगभग एक बजे बड़ी संख्या में पुलिस मौके पर पहुंची और कहा कि डंडे खाने है या अरेस्ट होना है?’

ग्रामीण के अनुसार, हमने उन्हें बताया कि हम गिरफ्तार होने के लिए तैयार हैं और लगभग 20 लोग आगे बढ़े और स्वेच्छा से पुलिस बस में बैठ गए. यह सब तब शुरू हुआ जब पुलिसकर्मियों ने न सिर्फ विरोध स्थल से बल्कि गांव के भीतर से भी  हमारे बच्चों, महिलाओं और वरिष्ठ नागरिकों को घसीटना और पीटना शुरू कर दिया. इस दौरान कुछ लोगों ने आपा खा दिया और झड़प शुरू हो गई.

उन्होंने बताया, ‘इससे पहले कि हम कुछ समझ पाते ग्रामीणों ने पथराव करना शुरू कर दिया. हमारे पास कोई हथियार होना एक पूर्वकल्पित साजिश है, यह कहना गलत है. हम मानते हैं कि हमसे भी गलती हुई लेकिन वे हमेशा हमारी ही जमीन पर हमें गलत सिद्ध करने के इरादे से आते हैं.’

रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस विभाग से जुड़े सूत्रों से कहा कि अंबाला और यमुना नगर के पुलिसबल सहित 150 पुलिसकर्मी मंगलवार को गांव पहुंचे थे. यहां तक कि महिलाओं और बच्चों ने भी पुलिस अधिकारियों पर पथराव किया. हिंसक प्रदर्शनकारियों से खुद को बचाने का प्रयास करने के लिए पुलिस ने हवा में चार राउंड फायरिंग की. पुलिस ने वाटर कैनन और आंसू गैस के गोले दागे.

ग्रामीण विभिन्न समस्याओं का उल्लेख करते हुए खनन के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं.

एक अन्य ग्रामीण ने कहा, ‘खनन हमारी जमीन और हमारे गांव को मार रहा है. यह गांव संवेदनशील क्षेत्र में है और खनन इसे और कमजोर कर रहा है. पहाड़ों में दरारें देखी गई हैं. इस तरह की गतिविधियों से हमारे ट्यूबेवल से पानी नहीं आता और अब विरोध करने के हमारे अधिकारों से वंचित रख रहे हैं.’

उन्होंने कहा, ‘ठेकेदारों ने अपराधियों को काम पर रखा है, जो हमारे गांव की महिलाओं से छेड़छाड़ करते हैं. जब से गांव में खनन गतिविधि शुरू हुई है, हम घरों के भीतर ही रहने लगे हैं. सरकार को हमारी कोई परवाह नहीं.’