दिल्ली: ए​डमिशन शुरू करने की मांग को लेकर जीबी पंत कॉलेज के छात्र भूख हड़ताल पर

गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय ने जीबी पंत इंजीनियरिंग कॉलेज को काउंसिलिंग प्रक्रिया की सूची से बाहर कर दिया है. इस साल कॉलेज में प्रथम वर्ष में छात्रों का प्रवेश नहीं लिया जाएगा. इसका विरोध करते हुए बीते दो नवंबर से उत्तर दिल्ली में विकास सदन के बाहर छात्र प्रदर्शन कर रहे हैं. इनमें से कुछ छात्रों ने मंगलवार से भूख हड़ताल शुरू की है.

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(फोटो सभार: ट्विटर @iAkshitDahiya)

गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय ने जीबी पंत इंजीनियरिंग कॉलेज को काउंसिलिंग प्रक्रिया की सूची से बाहर कर दिया है. इस साल कॉलेज में प्रथम वर्ष में छात्रों का प्रवेश नहीं लिया जाएगा. इसका विरोध करते हुए बीते दो नवंबर से उत्तर दिल्ली में विकास सदन के बाहर छात्र प्रदर्शन कर रहे हैं. इनमें से कुछ छात्रों ने मंगलवार से भूख हड़ताल शुरू की है.

(फोटो सभार: ट्विटर @iAkshitDahiya)
(फोटो सभार: ट्विटर @iAkshitDahiya)

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली स्थित जीबी पंत इंजीनियरिंग कॉलेज (जीबीपीईसी) के छात्रों ने गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय की काउंसिलिंग प्रक्रिया में अपने संस्थान को शामिल करने की मांग करते हुए मंगलवार से भूख हड़ताल शुरू की है.

दरअसल विश्वविद्यालय ने संस्थान को इस काउंसिलिंग प्रक्रिया की सूची से बाहर कर दिया है. इसका मतलब है कि साल इस कॉलेज में प्रथम वर्ष में छात्र-छात्राओं का प्रवेश नहीं लिया जाएगा.

छात्र सोमवार से ही उत्तर दिल्ली में विकास सदन के बाहर प्रदर्शन कर रहे हैं. छात्र रात में भी यहीं रहे और उन्होंने कहा कि जब तक यह आदेश रद्द नहीं किया जाता तब तक वे हड़ताल खत्म नहीं करेंगे.

मंगलवार को दिल्ली भाजपा के पूर्व अध्यक्ष विजय गोयल प्रदर्शनकारी छात्रों से मिलने पहुंचे. उनके साथ भाजपा प्रवक्ता हरीश खुराना, दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) के अध्यक्ष अक्षय दहिया और एबीवीपी के सचिव सिद्धार्थ यादव भी थे.

एक छात्र ने बताया, ‘हम पांच छात्र भूख हड़ताल पर बैठे हैं, जबकि अन्य छात्र प्रदर्शन कर रहे हैं. जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक हम यहां से नहीं हिलेंगे.’

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, दिल्ली मंत्रिमंडल ने पिछले साल मार्च में ओखला इंडस्ट्रियल एस्टेट में जीबी पंत इंजीनियरिंग कॉलेज और पॉलीटेक्निक कॉलेज के एकीकृत परिसर के लिए 520 करोड़ रुपये से अधिक की अनुमानित लागत के निर्माण को मंजूरी दी थी.

हालांकि, प्रवेश के लिए काउंसिलिंग प्रक्रिया में कॉलेज को शामिल न करने पर कोई आधिकारिक आदेश नहीं आया है, लेकिन संस्थान के कुछ और संस्थानों को दिल्ली कौशल विश्वविद्यालय में स्थापित किए जाने के संकेत मिल रहे हैं.

इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने माना है कि जीबीपीईसी उनके कॉलेजों की सूची में नहीं है और यह भी स्वीकार किया है कि इस शैक्षणिक सत्र में पहले वर्ष के लिए कोई प्रवेश नहीं होगा.

दिल्ली भाजपा के पूर्व अध्यक्ष विजय गोयल ने कहा कि यह तीसरे साल के छात्रों पर भी असर डालेगा, क्योंकि कोई कैंपस प्लेसमेंट नहीं हो सकता है, क्योंकि कोई भी कंपनी ऐसे छात्रों को नौकरी नहीं देना चाहेगी, जो कॉलेज बंद कर रहे हैं.

उन्होंने कहा कि केजरीवाल सरकार ने 20 नए डिग्री कॉलेज खोलने का वादा किया था और अब वे इंजीनियरिंग कॉलेज को बंद कर रहे हैं.

गोयल ने कहा कि यह साबित करता है कि उच्च शिक्षा दिल्ली सरकार की प्राथमिकता नहीं है.

उन्होंने कहा, ‘यह अभी भी स्पष्ट नहीं है कि दूसरे, तीसरे और चौथे वर्ष के छात्रों का क्या होगा, कॉलेज नेताजी सुभाष विश्वविद्यालय प्रौद्योगिकी के साथ संबद्ध होगा या नहीं. लेकिन एक बात बहुत स्पष्ट है कि इस वर्ष से उन्होंने बंद करने का निर्णय लिया है, क्योंकि कॉलेज ने इस शैक्षणिक वर्ष के पहले वर्ष में किसी छात्रा का एडमिशन नहीं लिया है.’

दैनिक जागरण के मुताबिक, इस प्रदर्शन में छात्रों का नेतृत्व अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) कर रही है. छात्रों का कहना है कि इस सत्र में दाखिले नहीं किए गए. साफ तौर पर यह कॉलेज को बंद करने की तैयारी है.

एबीवीपी का कहना है कि जब तक मुख्यमंत्री मांगों को नहीं सुनते तथा जीबी पंत कॉलेज में दाखिले की प्रक्रिया बहाल नहीं करते तब तक छात्र सड़कों पर बैठे रहेंगे. इसके अलावा दिल्ली सरकार के कॉलेजों में शुल्क वृद्धि वापस लेने, छात्रों को कोरोना राहत पैकेज देने की भी मांग की गई है.

विजय गोयल ने कहा, ‘गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय ने बताया कि जीबी पंत इंजीनियरिंग कॉलेज में इस साल प्रथम वर्ष के दाखिले नहीं हो रहे हैं, जिससे 210 छात्र इंजीनियरिंग शिक्षा से वंचित होंगे. यह कॉलेज 2007 में खुला था, तब से इसमें केवल 40,000 रुपये फीस है, जबकि अन्य कॉलेजों में फीस लाखों रुपये में है. इसको बंद करने से निम्न व मध्यम वर्ग के विद्याíथयों को नुकसान होगा.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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