बड़े संघर्षों में बदल सकती है चीन सीमा पर तनातनी: सीडीएस जनरल रावत

एक डिजिटल सम्मेलन को संबोधित करते हुए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने कहा कि हम वास्तविक नियंत्रण रेखा में कोई बदलाव स्वीकार नहीं करेंगे. शुक्रवार को ही भारत और चीन की सेनाओं के बीच कोर कमांडर स्तर की आठवें दौर की वार्ता हुई.

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सीडीएस जनरल बिपिन रावत (फोटो: पीटीआई)

एक डिजिटल सम्मेलन को संबोधित करते हुए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने कहा कि हम वास्तविक नियंत्रण रेखा में कोई बदलाव स्वीकार नहीं करेंगे. शुक्रवार को ही भारत और चीन की सेनाओं के बीच कोर कमांडर स्तर की आठवें दौर की वार्ता हुई.

सीडीएस जनरल बिपिन रावत (फोटो: पीटीआई)
सीडीएस जनरल बिपिन रावत (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने शुक्रवार को कहा कि पश्चिमी हिमालय क्षेत्र में चीन की सेना के साथ तनावपूर्ण गतिरोध एक बड़े संघर्ष में बदल सकती है.

शुक्रवार को एक डिजिटल सम्मेलन को संबोधित करते हुए जनरल रावत ने यह बात कही. वहीं, शुक्रवार को ही भारत और चीन की सेनाओं के बीच कोर कमांडर स्तर की आठवें दौर की वार्ता हुई.

जरनल रावत ने कहा कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास हालात अब भी तनावपूर्ण बने हुए हैं और भारत का रुख ‘स्पष्ट’ बना हुआ है.

उन्होंने कहा, ‘पूर्वी लद्दाख में एलएसी के पास हालात अब भी तनावपूर्ण बने हुए हैं और चीन की जनमुक्ति सेना लद्दाख में भारतीय बलों की मजबूत प्रतिक्रिया के कारण अपने दुस्साहस के लिए अप्रत्याशित परिणाम भुगत रही है.’

जनरल रावत ने कहा, ‘हमारा रुख स्पष्ट है और हम वास्तविक नियंत्रण रेखा में कोई बदलाव स्वीकार नहीं करेंगे.’

उन्होंने समग्र सुरक्षा स्थिति की बात करते हुए कहा कि सीमा पर झड़पों, अतिक्रमण और बिना उकसावे की सामरिक सैन्य कार्रवाइयों के बड़े संघर्षों में बदलने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता.

जनरल रावत ने पाकिस्तान से सीमा पार आतंकवाद के मामले पर भी बात की और बताया कि भारतीय सशस्त्र बल इससे किस प्रकार निपट रहे हैं.

उन्होंने सुरक्षा चुनौतियों का जिक्र करते हुए कहा कि परमाणु हथियारों से सम्पन्न पड़ोसियों (पाकिस्तान एवं चीन) के साथ ‘लगातार टकराव’ के कारण क्षेत्रीय सामरिक अस्थिरता पैदा होने और उसके बढ़ने का खतरा है.

जनरल रावत ने कहा कि भारत ने जिन दो देशों के साथ युद्ध लड़ा है, वे मिलकर काम कर रहे हैं.

उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में पाकिस्तान के ‘लगातार छद्म युद्ध’ और भारत के खिलाफ ‘दुष्ट’ बयानबाजी के कारण भारत और पाकिस्तान के संबंध और भी खराब हो गए हैं.

जनरल रावत ने राष्ट्रीय रक्षा महाविद्यालय की ओर आयोजित सम्मेलन में कहा कि उरी हमले और बालाकोट में हवाई हमलों के बाद सर्जिकल हमलों ने कड़ा संदेश दिया है कि पाकिस्तान अब नियंत्रण रेखा के पार आतंकवादियों को भेजने के बाद बच नहीं सकता.

उन्होंने कहा कि आतंकवाद से निपटने के भारत के नए तरीके के कारण पाकिस्तान में अस्पष्टता और अनिश्चितता पैदा हो गई है.

उन्होंने कहा कि भारत आतंकवाद का सख्ती से सामना करेगा. जनरल रावत ने कहा कि आंतरिक समस्याओं, अर्थव्यवस्था के ढहने, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग होने और आम नागरिकों एवं सेना के बीच खराब संबंधों के बावजूद पाकिस्तान लगातार यह दिखाता रहेगा कि कश्मीर उसका ‘अधूरा एजेंडा’ है.

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की सेना युद्ध लड़ने की अपनी क्षमताओं को बरकरार रखने के लिए धन की आवश्यकता को सही ठहराने के लिए भारत से अपने अस्तित्व को खतरे का हौआ दिखाती रहेगी.

इससे पहले विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पिछले हफ्ते कहा था कि भारत और चीन के बीच रिश्ते ‘बेहद तनाव’ में हैं और सामान्य स्थिति की बहाली के लिए सीमा प्रबंधन के लिए दोनों पक्षों द्वारा किए गए समझौतों का ‘संपूर्णता’ से ‘निष्ठापूर्वक’ सम्मान किया जाना चाहिए.

भारतीय और चीनी सेना ने आठवें दौर की सैन्य वार्ता की

भारत ने शुक्रवार को कोर कमांडर स्तर की वार्ता के आठवें दौर के दौरान पूर्वी लद्दाख में गतिरोध वाले सभी स्थानों से चीन द्वारा जल्द सैनिकों को पीछे हटाने पर जोर दिया.

मुख्य रूप से वार्ता का मकसद क्षेत्र में शांति और स्थिरता की बहाली के लिए खाका तैयार करना था. सरकारी सूत्रों ने यह जानकारी दी.

एक सूत्र ने बताया, ‘भारतीय पक्ष ने अप्रैल से पूर्व की स्थिति जल्द बहाल करने और गतिरोध वाले सभी स्थानों से चीन द्वारा सैनिकों की वापसी पर जोर दिया.’

छह महीने से चल रहे सैन्य गतिरोध के बारे में पूछे जाने पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि दोनों पक्षों के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सैनिकों के पीछे हटने के लक्ष्य को पूरा करने के लिए सैन्य और राजनयिक स्तर पर करीबी संवाद जारी है.

उन्होंने कहा, ‘दोनों पक्ष सीमाई इलाके में शांति और स्थिरता के लिए नेताओं के बीच बनी सहमति के आधार पर काम करते हैं. हम पूर्वी लद्दाख में मौजूदा स्थिति को लेकर आपसी स्वीकार्य समाधान पर पहुंचने के लिए चीनी पक्ष से बातचीत जारी रखेंगे.’

कोर कमांडर स्तर की सातवें दौर की बातचीत 12 अक्टूबर को हुई थी और उस दौरान चीन पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे से लगे रणनीतिक ऊंचाई वाले कुछ स्थानों से भारतीय सैनिकों की वापसी के लिए दबाव डाल रहा था.

भारत ने हालांकि स्पष्ट किया था कि सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया गतिरोध वाले सभी बिंदुओं पर एक साथ शुरू हो.

वहीं, बीते सितंबर महीने में सीनियर कमांडर स्तर की छठे दौर की बातचीत के बाद भारत और चीन ने एक संयुक्त बयान जारी कर कहा था कि वे सीमा पर सैनिकों की और अधिक संख्या नहीं बढ़ाने और जमीन पर स्थिति में एकतरफा बदलाव से बचने पर सहमत हुए हैं.

बता दें कि छह महीने से चले आ रहे इस गतिरोध को लेकर दोनों देशों के बीच पूर्व में हुई कई दौर की बातचीत का अब तक कोई ठोस परिणाम नहीं निकला है.

उल्लेखनीय है कि पूर्वी लद्दाख की पर्वतीय ऊंचाइयों पर कड़ाके की ठंड में भारत के लगभग 50,000 सैनिक किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पर्वतीय ऊंचाइयों पर तैनात हैं.

अधिकारियों के अनुसार, चीनी सेना ने भी लगभग 50,000 सैनिक तैनात कर रखे हैं. भारत कहता रहा है कि सैनिकों को हटाने और तनाव कम करने की जिम्मेदारी चीन की है.

कई बार हो चुकी है झड़प

बता दें कि भारतीय सैनिकों द्वारा वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सामान्य गश्त के बिंदु से परे चीनी घुसपैठ का पता लगाए जाने के बाद पूर्वी लद्दाख में मई की शुरुआत से ही भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच कई झड़पें हो चुकी हैं.

दोनों देशों के बीच चल रही तनातनी के दौरान पहला संघर्ष गलवान घाटी में 5-6 मई की रात हुआ था. इसके बाद ‘फिंगर्स 4’ के पास 10-11 मई को पैंगोंगे त्सो झील के उत्तरी किनारे पर संघर्ष हुआ था.

चीन ने ‘फिंगर 4 तक एक पक्की सड़क और रक्षात्मक पोस्टों का निर्माण किया था. भारतीय सैनिक पहले नियमित तौर पर ‘फिंगर 8’ तक गश्त करते थे, लेकिन चीन द्वारा किए गए ताजा अतिक्रमण के बाद भारतीय सैनिकों की गश्ती ‘फिंगर 4’ तक सीमित हो गई है.

भारत दावा करता है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा ‘फिंगर 8’ से होकर गुजरती है, जबकि चीन की दावा है कि यह ‘फिंगर 2’ पर स्थित है.

सबसे गंभीर झड़प 15 जून को पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में हुई थी, जब एक हिंसक लड़ाई में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे. चीन ने अपनी तरफ भी हताहतों की संख्या को स्वीकार की है, लेकिन किसी भी संख्या का खुलासा नहीं किया था.

गलवान घाटी में हिंसक झड़प के ढाई महीने बाद बीते 29 अगस्त की रात पैंगोंग त्सो के दक्षिणी किनारे पर स्थित ठाकुंग में एक बार फिर भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच गतिरोध देखने को मिला था.

भारतीय सेना ने बयान जारी कर कहा था कि चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने 29-30 अगस्त की रात को यथास्थिति को बदलने के लिए उकसाने वाली सैन्य कार्रवाई को अंजाम दिया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)