उपचुनाव: 11 राज्यों की 58 विधानसभा सीटों पर फैसला आज

मध्य प्रदेश के इतिहास में पहली बार 28 सीटों पर हुआ उपचुनाव जिनका परिणाम राज्य की शिवराज सिंह चौहान सरकार का भविष्य तय करेगा. इसके अलावा गुजरात की आठ, उत्तर प्रदेश की सात, मणिपुर की चार सीटों, झारखंड, नगालैंड, ओडिशा और कर्नाटक की दो-दो सीटों तथा तेलंगाना, हरियाणा एवं छत्तीसगढ़ की एक-एक विधानसभा सीट पर जीत-हार का फैसला होगा.

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(फोटो: पीटीआई)

मध्य प्रदेश के इतिहास में पहली बार 28 सीटों पर हुआ उपचुनाव जिनका परिणाम राज्य की शिवराज सिंह चौहान सरकार का भविष्य तय करेगा. इसके अलावा गुजरात की आठ, उत्तर प्रदेश की सात, मणिपुर की चार सीटों, झारखंड, नगालैंड, ओडिशा और कर्नाटक की दो-दो सीटों तथा तेलंगाना, हरियाणा एवं छत्तीसगढ़ की एक-एक विधानसभा सीट पर जीत-हार का फैसला होगा.

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भोपाल/लखनऊ/अहमदाबाद: कोरोना वायरस महामारी के बीच मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश समेत 11 राज्यों की 58 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के लिए मंगलवार को मतगणना शुरू हो गई. मध्य प्रदेश की 28 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव का परिणाम राज्य की शिवराज सिंह चौहान सरकार का भविष्य तय करेगा.

अधिकारियों ने बताया कि मतगणना सुबह आठ बजे से शुरू हो गई. उन्होंने बताया कि मतगणना स्थलों पर सामाजिक दूरी बनाए रखने के लिए विभिन्न कदम उठाए गए हैं.

मध्य प्रदेश के इतिहास में पहली बार इतनी सीटों पर उपचुनाव हुए हैं.

राज्य में इस वर्ष मार्च में कांग्रेस के 22 विधायकों ने त्यागपत्र दे दिया था, जिससे अल्पमत में आई कमलनाथ सरकार गिर गई थी. इनमें अधिकांश विधायक ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक थे, जो बाद में भाजपा में शामिल हो गए. सिंधिया स्वयं भी मार्च में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे.

मध्य प्रदेश की 230 सदस्यीय विधानसभा में वर्तमान में भाजपा के 107, कांग्रेस के 87, बसपा के दो, सपा का एक और चार निर्दलीय विधायक हैं.

उपचुनाव की घोषणा होने के बाद दमोह से कांग्रेस के विधायक राहुल लोधी भी त्यागपत्र देकर भाजपा में शामिल हो गए. सदन की प्रभावी संख्या 229 के आधार पर बहुमत का जादुई आंकड़ा 115 का होता है. भाजपा को इस आंकड़े को पाने के लिये आठ सीट की जरूरत है, जबकि कांग्रेस को सभी 28 सीटें जीतना जरूरी है.

उत्तर प्रदेश की सात विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के लिए भी मतगणना शुरू होगी. प्रशासन की तरफ से सुचारू मतगणना के लिए व्यापक इंतजाम किए गए हैं. इन सीटों पर तीन नवंबर को उपचुनाव हुआ था.

उपचुनाव में औसतन 53 फीसदी मतदाताओं ने 88 प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला ईवीएम में कैद कर दिया था. जिन सीटों पर उपचुनाव हुआ था, उनमें नौगांव सादात, टूंडला, बांगरमउ, बुलंदशहर, देवरिया, घाटमपुर और मल्हनी विधानसभा सीटें शामिल है.

पिछली बार इन सात में से मल्हनी सीट सपा के पास थी, जबकि छह सीटों पर भाजपा का कब्जा था.

इस बीच, सोमवार को उपचुनाव के नतीजे आने से एक दिन पहले समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आरोप लगाया कि राज्य की भारतीय जनता पार्टी सरकार ने उपचुनाव में धांधली की है. उन्होंने कहा कि परिणाम आने के बाद वह मीडिया को कुछ ऐसे वीडियो दिखाएंगे, जिसमें मतदाताओं को निकलने से रोका जा रहा है.

उपचुनाव के तहत गुजरात की आठ विधानसभा सीटों, मणिपुर की चार सीटों और हरियाणा की एक सीट, छत्तीसगढ़ की एक, झारखंड की दो सीटों, कर्नाटक की दो विधानसभा सीटों के लिए फैसला आएगा. इसके अलावा नगालैंड की दो सीटों, तेलंगाना की एक सीट और ओडिशा की दो सीटों के लिए भी वोटों की गिनती शुरू हो गई है.

मणिपुर को छोड़कर सभी सीटों पर तीन नवंबर को मतदान हुआ था. मणिपुर की विधानसभा सीटों के लिए सात नवंबर को मतदान हुआ था.

इसके अलावा बिहार की वाल्मीकि नगर लोकसभा सीट के उपचुनाव के लिए भी मतगणना शुरू हो गई. बिहार में मंगलवार को विधानसभा चुनाव के नतीजे भी आएंगे.

गुजरात की आठ विधानसभा सीटों अबडासा, लिंबडी, करजण, गढदा, मोरबी, धारी, डांग और कपराडा पर तीन नवंबर को उपचुनाव हुए थे और कुल 60.75 फीसदी मतदान हुआ था.

उपचुनाव में कुल 81 उम्मीदवार इन आठ सीटों पर अपना भाग्य आजमाने चुनाव मैदान में उतरे.

इस साल जून में हुए राज्यसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के मौजूदा विधायकों के इस्तीफा देने के चलते इन सीटों पर उपचुनाव कराना जरूरी हो गया था.

इनमें से पांच बाद में सत्तारूढ़ भाजपा में शामिल हो गए थे और पार्टी ने उन्हें उन सीटों से मैदान में उतारा है, जिन पर उन्होंने 2017 में जीत दर्ज की थी.

इन विधानसभा सीटों में मतगणना के लिए आठ केंद्र बनाए गए हैं.

झारखंड में दुमका तथा बेरमो विधानसभा सीट पर हुए उपचुनावों की मतगणना भारी सुरक्षा के बीच होगी, जिसके लिए सभी तैयारियां कर ली गई हैं.

झारखंड के संयुक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी हीरालाल मंडल ने बताया कि
सब कुछ सामान्य रहने पर मतगणना दोपहर तीन बजे तक संपन्न हो जाने की संभावना है.

नगालैंड में दो विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के मतों की गिनती के लिए सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम किए गए हैं.

नगालैंड के मुख्य निर्वाचन अधिकारी अभिजीत सिन्हा ने कहा कि मतगणना के दौरान स्वास्थ्य सुरक्षा के सभी नियमों का पालन किया जाएगा, क्योंकि यह कवायद कोविड-19 महामारी के बीच हो रही है.

प्रदेश की दो विधानसभा सीटों- कोहिमा की दक्षिण अंगामी-1 और किफिरे जिले की पुंगरो किफिरे के लिए उपचुनाव कराया गया था. दोनों सीट इन निर्वाचन क्षेत्रों के विधायकों क्रमश: विखो-ओ युशू तथा टी. तोरेचु के निधन के बाद रिक्त हो गई थीं.

दक्षिण अंगामी-1 सीट पर मुख्य मुकाबला सत्तारूढ़ नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी के उम्मीदवार मेदो यूखा तथा विपक्षी एनपीएफ के किकोवी कीरा तथा निर्दलीय उम्मीदवार एस. पीटर जशुमो के बीच है.

पुंगरो किफिरे सीट पर कांग्रेस के खासेओ अनार तथा भाजपा के एल. संगतम समेत पांच उम्मीदवार मैदान में हैं.

ओडिशा में दो विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के लिए सख्त कोविड-19 प्रोटोकॉल के बीच मतों की गिनती का काम मंगलवार को शुरू हो गया.

प्रदेश के बालासोर एवं तिरतोल विधानसभा क्षेत्रों में तीन नवंबर को उपचुनाव कराए गए थे.

मणिपुर में चार विधानसभा सीटों पर सात नवंबर को हुए उपचुनाव में लगभग 91.54 प्रतिशत मतदान हुआ था. थौबल जिले में लिलोंग और वांगजिंग-टेंथा सीटों और कांगपोकपी में सेतु और इम्फाल पश्चिम में वांगोई सीट के लिए उपचुनाव हुआ था.

छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी की मृत्यु होने के बाद रिक्त हुई मरवाही विधानसभा सीट के लिए उपचुनाव हुआ था. उपचुनाव में 77.89 फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था.

तेलंगाना की दुब्बाक विधानसभा सीट पर सत्तारूढ़ तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) और विपक्षी भाजपा तथा कांग्रेस के बीच मुकाबला है.

इस वर्ष अगस्त में टीआरएस के मौजूदा विधायक सोलिपेटा रामलिंगा रेड्डी के निधन के कारण इस सीट पर उपचुनाव कराया गया है.

हरियाणा की बरोदा विधानसभा सीट पर भी उपचुनाव कराया गया और यह सीट कृष्ण हुड्डा के निधन के कारण अप्रैल में रिक्त हो गई थी. इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार योगेश्वर दत्त समेत 14 उम्मीदवार मैदान में हैं.

कर्नाटक में दो विधानसभा सीटों- बेंगलुरु शहरी जिला स्थित आरआर नगर और तुमकुरु जिला स्थित सिरा में उपचुनाव हुआ था.

इन दोनों सीटों पर उपचुनाव सिरा से विधायक बी. सत्यनारायण के निधन और आरआर नगर से कांग्रेस के विधायक मुनिरत्ना के इस्तीफा देने के चलते कराना पड़ा. बी. सत्यनारायण जद (एस) के टिकट पर विजयी हुए थे.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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