पटाखों पर प्रतिबंध को चुनौती देने वाली याचिका ख़ारिज, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- जीवन ख़तरे में है

बीते पांच नवंबर को कोलकाता हाईकोर्ट ने दिवाली, काली पूजा और छठ पूजा सहित आगामी त्योहारों के अवसर पर पटाखों के इस्तेमाल और उनकी बिक्री पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया था. हाईकोर्ट के आदेश पर चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी के दौरान जीवन बचाना अधिक महत्वपूर्ण है.

New Delhi: Smoke rises as people burn crackers during 'Diwali' celebrations, in New Delhi, Wednesday, Nov. 07, 2018. According to the officials, Delhi recorded its worst air quality of the year the morning after Diwali as the pollution level entered 'severe-plus emergency' category due to the rampant bursting of toxic firecrackers. (PTI Photo/Ravi Choudhary)(PTI11_8_2018_000019B)
(फाइल फोटो: पीटीआई)

बीते पांच नवंबर को कोलकाता हाईकोर्ट ने दिवाली, काली पूजा और छठ पूजा सहित आगामी त्योहारों के अवसर पर पटाखों के इस्तेमाल और उनकी बिक्री पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया था. हाईकोर्ट के आदेश पर चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी के दौरान जीवन बचाना अधिक महत्वपूर्ण है.

(फोटो: रॉयटर्स)
(फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाने के इरादे से काली पूजा के अवसर पर पश्चिम बंगाल में पटाखों की बिक्री और इनके इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने के कोलकाता हाईकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने से बुधवार को इनकार कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी के दौरान जीवन बचाना अधिक महत्वपूर्ण  है.

जस्टिस धनंजय वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदिरा बनर्जी की अवकाशकालीन पीठ ने कहा कि यद्यपि पर्व महत्वपूर्ण हैं लेकिन इस समय महामारी के दौर में ‘जीवन ही खतरे में है.’

शीर्ष अदालत वायु प्रदूषण की वजह से दिवाली, काली पूजा और छठ पूजा सहित आगामी त्योहारों के अवसर पर पटाखों के इस्तेमाल और उनकी बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के कोलकाता हाईकोर्ट के पांच नवंबर के आदेश के खिलाफ गौतम रॉय और बड़ा बाजार फायरवर्क्स डीलर्स एसोसिएशन की अपील पर सुनवाई कर रही थी.

काली पूजा का पर्व शनिवार (14 नवंबर) को मनाया जाएगा.

पीठ ने कहा, ‘हम सभी इस स्थिति में जिंदगी के लिए संघर्ष कर रहे हैं और हम सभी के घरों में वृद्धजन हैं. इस समय हम ऐसी स्थिति में हैं, जहां जिंदगी बचाना अधिक महत्वपूर्ण है और हाईकोर्ट जानता है कि वहां पर किस चीज की जरूरत है.’

पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट ने नागरिकों, विशेषकर वरिष्ठ नागरिकों के हितों का ध्यान रखा है, जो शायद बीमार हों.

बता दें कि पिछले हफ्ते हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य कारणों और कोविड-19 का हवाला देते हुए राज्य में पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया था.

इसके बाद मंगलवार को पटाखे जलाने से कोविड-19 के कारण उत्पन्न होने वाली स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का संज्ञान लेते हुए जस्टिस संजीव बनर्जी और जस्टिस अरिजीत बनर्जी की पीठ ने राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि प्रतिबंध के आदेश का हर जगह पालन कराया जाए.

अदालत ने एक याचिका पर सुनवाई करने से भी मना कर दिया, जिसमें दिवाली और काली पूजा के दौरान दो घंटे के लिए पटाखे जलाने की बात कही गई थी. अदालत ने पुलिस को पटाखे खरीदने और बेचने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया.

राजस्थान, कर्नाटक, हरियाणा और दिल्ली सहित कई राज्यों ने कोविड-19 दौरान लोगों के स्वास्थ्य का ख्याल रखते हुए त्योहारों के मौसम में पटाखों पर प्रतिबंध लगा दिया है. हालांकि, हरियाणा और कर्नाटक जैसे राज्यों ने पूर्ण प्रतिबंध लगाने के बाद दो घंटे पटाखे जलाने की मंजूरी दे दी है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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