थोक मुद्रास्फीति अक्टूबर में बढ़कर 1.48 प्रतिशत पर आई, आठ माह का उच्चतम स्तर

इस साल फरवरी के बाद थोक मुद्रास्फीति का यह सबसे ऊंचा आंकड़ा है. फरवरी में यह 2.26 प्रतिशत पर थी. सितंबर में थोक मुद्रास्फीति 1.32 प्रतिशत और पिछले साल अक्टूबर में शून्य पर थी.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

इस साल फरवरी के बाद थोक मुद्रास्फीति का यह सबसे ऊंचा आंकड़ा है. फरवरी में यह 2.26 प्रतिशत पर थी. सितंबर में थोक मुद्रास्फीति 1.32 प्रतिशत और पिछले साल अक्टूबर में शून्य पर थी.

(फोटो: रॉयटर्स)
(फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति अक्टूबर में बढ़कर 1.48 प्रतिशत पर पहुंच गई है. यह इसका आठ महीने का उच्चस्तर है.

विनिर्मित उत्पाद महंगे होने से थोक मुद्रास्फीति बढ़ी है. सितंबर में थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति 1.32 प्रतिशत पर और पिछले साल अक्टूबर में शून्य पर थी.

फरवरी के बाद यह थोक मुद्रास्फीति का सबसे ऊंचा आंकड़ा है. फरवरी में यह 2.26 प्रतिशत पर थी.

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की ओर से सोमवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर में खाद्य वस्तुओं के दाम घटे, जबकि इस दौरान विनिर्मित उत्पाद महंगे हुए.

अक्टूबर में खाद्य मुद्रास्फीति घटकर 6.37 प्रतिशत रह गई. सितंबर में यह 8.17 प्रतिशत के स्तर पर थी.

समीक्षाधीन महीने में सब्जियों और आलू के दाम क्रमश: 25.23 प्रतिशत और 107.70 प्रतिशत बढ़ गए. वहीं, गैर-खाद्य वस्तुओं के दाम 2.85 प्रतिशत और खनिजों के दाम 9.11 प्रतिशत बढ़ गए.

अक्टूबर में विनिर्मित उत्पाद 2.12 प्रतिशत महंगे हुए. सितंबर में इनके दाम 1.61 प्रतिशत बढ़े थे. इस दौरान ईंधन और बिजली के दाम 10.95 प्रतिशत घट गए.

पिछले सप्ताह जारी आंकड़ों के अनुसार उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा मुद्रास्फीति अक्टूबर में 7.61 प्रतिशत रही है.

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, आईसीआरए के मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि कोर महंगाई दर सितंबर में 1 फीसदी से बढ़कर अक्टूबर 2020 में 1.7 फीसदी हो गई और यह सख्ती अगस्त से आई है.

नायर ने कहा, ‘हमारे विचार में आर्थिक सुधार को मजबूत करने के साथ अगले कुछ महीनों में कोर मुद्रास्फीति में महीने-दर-महीने की अवधि में लगातार वृद्धि दर्ज की जाएगी, जबकि खाद्य पदार्थों की कीमतें सब्जियों में जारी महंगाई पर निर्भर करेंगी.’

इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के मुख्य अर्थशास्त्री डीके पंत ने कहा कि कोविड-19 लॉकडाउन हटाने के बाद मुख्य मुद्रास्फीति में वृद्धि से मांग की स्थिति में सुधार का संकेत मिलता है.

पंत ने कहा, ‘हालांकि, इसे सामान्य सुधार मानना जल्दबाजी होगी, इसमें बड़ा हिस्सा त्योहारों से संबंधित मांग से जुड़ा है.’

पंत ने आगे कहा, ‘खुदरा खाद्य मुद्रास्फीति में वृद्धि और थोक खाद्य मुद्रास्फीति में गिरावट नीति निर्माताओं के लिए एक बुरा सपना है. इंडिया रेटिंग्स को उम्मीद है कि और सुधार होगा. हालांकि, बड़ा सवाल यह है कि त्यौहारी सीजन के बाद बढ़ी हुई मांग बरकरार रहेगी या नहीं.’

आगामी 2-4 दिसंबर को आरबीआई नीतिगत ब्याजदरों की समीक्षा करने वाली है.

भारतीय अर्थव्यवस्था पर अपनी रिपोर्ट में रिजर्व बैंक भी मुद्रास्फीति को लेकर चिंता जता चुका है. केंद्रीय बैंक का मानना है कि इससे अर्थव्यवस्था में सुधार की संभावनाएं प्रभावित हो सकती हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ) 

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25