लव जिहाद मामले में यूपी पुलिस ने सौंपी रिपोर्ट, कहा- किसी साज़िश या विदेशी फंडिंग के सबूत नहीं

उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में कुछ दक्षिणपंथी हिंदू संगठनों ने आरोप लगाया था कि मुस्लिम युवा धर्म परिवर्तन के लिए हिंदू लड़कियों से शादी से कर रहे हैं. इसके लिए उन्हें विदेश से फंड मिल रहा है और लड़कियों से उन्होंने अपनी पहचान छिपा रखी है. इसकी जांच के लिए कानपुर रेंज के आईजी ने एसआईटी का गठन किया था.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में कुछ दक्षिणपंथी हिंदू संगठनों ने आरोप लगाया था कि मुस्लिम युवा धर्म परिवर्तन के लिए हिंदू लड़कियों से शादी से कर रहे हैं. इसके लिए उन्हें विदेश से फंड मिल रहा है और लड़कियों से उन्होंने अपनी पहचान छिपा रखी है. इसकी जांच के लिए कानपुर रेंज के आईजी ने एसआईटी का गठन किया था.

uttar-pradesh-police-pti
(प्रतीकात्मक तस्वीर: पीटीआई)

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में तथाकथित ‘लव जिहाद’ के प्रकरणों की जांच के लिए गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) ने बीते सोमवार को अपनी रिपोर्ट कानपुर के पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) को सौंप दी. जांच में किसी तरह की साजिश या फंडिंग या सुनियोजित जबरन धर्म-परिवर्तन की बात सामने नहीं आई है.

ये रिपोर्ट ऐसे समय पर आई है जब योगी सरकार राज्य में बढ़ते ‘लव जिहाद’ के मामलों का हवाला देकर इसके खिलाफ कानून लाने की बात कर रही है.

कानपुर शहर के सभी 22 थानों से हिंदू मुस्लिम संबंधों के संदेहास्पद मामलों की रिपोर्ट देने को कहा गया था, लेकिन सिर्फ 14 मामले ही सामने आ सके थे, जिसकी एसआईटी ने जांच की है.

द वायर  द्वारा प्राप्त की गई एसआईटी रिपोर्ट के मुताबिक 14 में से आठ मामलों में लड़कियों ने कहा कि उनका संबंध सहमति और प्यार पर आधारित था. इसमें से छह मामले में शादी हुई थी और बाकी के दो मामलों को पुलिस ने ‘प्रेम संबंध’ की श्रेणी में डाला है.

जिन छह मामलों में निकाह हुआ है, उसमें पुलिस ने पति को आरोपी बनाया है, लेकिन वे कोई भी ऐसा प्रमाण पेश करने में असमर्थ रहे हैं जो ये साबित कर सके कि जबरन विवाह कराया गया है.

रिपोर्ट के मुताबिक, एक महिला ने कहा कि उनके और आरोपी के बीच प्रेम संबंध थे और वह उसे बहुत पहले से जानती थीं. एक अन्य महिला ने पुलिस को पुष्टि की कि वह सहमति से आरोपी के साथ गई थीं, शारीरिक संबंध बनाया और अपनी मर्जी से उससे शादी करने का फैसला किया.

एक और महिला ने अपने बयान में कहा कि आरोपी से शादी करने का उस पर कोई दबाव नहीं था और वह अपने मन से उसके पास गई थीं. एक अन्य महिला ने कहा कि उन्होंने अपनी मर्जी से आरोपी के साथ निकाह किया है.

कानपुर रेंज के आईजी मोहित अग्रवाल ने बताया कि एसआईटी ने उन्हें रिपोर्ट सौंप दी है. एसआईटी ने कुल 14 प्रकरणों की जांच की, जिनमें से 11 में किसी न किसी तरह का अपराध होना पाया गया है. इन मामलों में एसआईटी ने पाया कि अभियुक्तों ने धोखाधड़ी करके या किसी अन्य तरह से हिंदू लड़कियों से ‘प्रेम संबंध’ बनाए थे.

इसे लेकर पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ धारा 363 (अपहरण), 366 (अपहरण, अगवा या महिला को उसकी शादी के लिए मजबूर करना इत्यादि) और अन्य धाराओं के तहत कार्रवाई की है. इसमें से आठ मामलों में यह पाया गया कि लड़कियां नाबालिग थीं.

बाकी तीन में लड़कियों ने अपनी मर्जी से शादी करने की बात कही है और इसमें पुलिस ने क्लोजर रिपोर्ट सौंप दी है. एसआईटी जांच में किसी साजिश या फंडिंग या किसी संगठन के शामिल होने या सुनियोजित तरीके से मुस्लिमों द्वारा हिंदू लड़कियों से शादी करने के सबूत नहीं मिले हैं.

इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में अग्रवाल ने बताया, ‘इन मामलों में षड्यंत्र की संभावना स्थापित नहीं की जा सकी. जांच टीम को युवाओं (आरोपियों) के पीछे किसी संगठन का हाथ होने का भी पता नहीं चला. साथ ही उन्हें विदेश से किसी तरह की फंडिंग भी नहीं की गई थी.’

उन्होंने बताया कि शुरू में जांच के दायरे में मात्र छह मामले थे, लेकिन मीडिया में मामला आने के बाद कुछ और प्रकरण आए और कुल 14 मामले हो गए. चार मामलों के आरोपियों के कॉल विवरण की पड़ताल से पता चला कि उनमें आपस में लंबे समय से बातचीत होती थी.

पुलिस महानिरीक्षक ने बताया कि 11 में से आठ मामलों में आरोप-पत्र दाखिल किया गया है और 11 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है.

इसमें से एक केस में शाहरूख नामक व्यक्ति के खिलाफ आईपीसी की धारा 360 (अपहरण) और 366 (जबरन विवाह कराना) के तहत मामला दर्ज किया गया है. हालांकि पर्याप्त सबूत पेश नहीं कर पाने के कारण शाहरूख को एक महीने के भीतर ही जमानत दे दी गई थी, जो कि अन्य मामलों में भी आरोपों पर सवालिया निशान खड़े करता है.

द वायर  से बात करते हुए शाहरूख की वकील अज़रा ने कहा कि यह दूर-दूर तक ‘लव जिहाद’ का मामला नहीं था. जब द वायर  ने इस मामले में महिला से बात करने के लिए कॉल लगाया तो उनके भाई फोन उठाया और बात कराने इनकार कर दिया.

उन्होंने कहा, ‘मेरी बहन को लड़के ने बहका दिया था.’

इस सवाल पर कि जिन मौलवियों ने वे शादियां कराईं, क्या उनके खिलाफ भी कोई कार्रवाई होगी, अग्रवाल ने कहा, ‘अभी तक जितने बयान दर्ज किए गए हैं, उनमें हर मामले में मौलवी अलग-अलग हैं. लड़की ने उन्हें जो नाम बताया, उसी हिसाब से उन्होंने निकाह कराया. इसलिए अभी तो लड़कों के पक्ष ही आरोपी हैं.’

जिन 11 मामलों में कार्रवाई की गई है, उसमें से तीन मामलों में एसआईटी ने पाया कि लड़के ने कथित रूप से अपनी झूठी पहचान बताई थी और फर्जी दस्तावेज तैयार कराए थे. तीन मामलों में पुलिस ने आरोपी के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है.

इन मामलों में षड्यंत्र या साजिश की जांच करते हुए एसआईटी ने पाया कि सिर्फ चार मुस्लिम लड़के एक-दूसरे को जानते थे, लेकिन इसकी वजह ये थी कि चारों एक ही कॉलोनी- कानपुर के जूही कॉलोनी में रहते थे.

आईजी ने बताया, ‘11 में से तीन मामलों में पीड़ित (लड़की) ने दावा किया है कि उनका जबरन धर्म परिवर्तन कराया गया है. अन्य तीन मामलों में लड़कियों ने बताया कि उनका जबरन विवाह कराया गया है.’

इसके अलावा एसआईटी की अगुवाई कर रहे डीएसपी विकास पांडेय ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘11 मामलों में हमने पाया कि शादी से पहले लड़कियों के नाम बदलने की स्थापित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है. साथ ही उनकी शादी विशेष विवाह अधिनियम के तहत रजिस्टर्ड नहीं हुई थी.’

इस एसआईटी का गठन आईजी मोहित अग्रवाल ने ही किया था, जब विश्व हिंदू परिषद समेत कुछ दक्षिणपंथी हिंदू संगठनों ने आरोप लगाया था कि मुस्लिम युवा धर्म परिवर्तन के लिए हिंदू लड़कियों को शादी करने का लालच दे रहे हैं. उन्हें विदेश से फंड मिल रहा है और लड़कियों से उन्होंने अपनी पहचान छिपा रखी है. इनकी जांच के लिए पुलिस उपाधीक्षक विकास पांडेय की अगुवाई में सितंबर में आठ सदस्यीय एसआईटी गठित की गई थी.

इसे लेकर उस समय विवाद खड़ा हो गया था जब कानपुर की शालिनी यादव नामक महिला द्वारा एक मुस्लिम व्यक्ति से शादी करने की बात सामने आई थी. वैसे तो यादव ने जबरन धर्म परिवर्तन की बात अस्वीकार की थी और इसे लेकर एक वीडियो भी बनाया था, लेकिन उनकी मां ने कहा कि वे दबाव में ऐसा कह रही हैं और उत्तर प्रदेश सरकार ने इस मामले में जांच करने का निर्णय लिया.

आईजी ने कहा कि पुलिस का मुख्य उद्देश्य यह है किसी भी लड़की को साजिश के तहत न फंसाया जाए. अगर वह वास्तविक प्रेम है तो उसमें पुलिस और कानून की कोई दिक्कत नहीं है. अगर लड़के ने नाम गलत बताकर प्रेम जाल में फंसाया है या लड़की नाबालिग है, तो कानून अपना काम करेगा. अगर लड़की बालिग है और वह दूसरे धर्म में शादी करना चाहती है तो मां-बाप की आपत्ति के बावजूद पुलिस कानून के दायरे में उनका साथ देती है.

तथाकथित ‘लव-जिहाद’ शब्द हिंदुत्ववादी समूहों द्वारा इजाद किया गया है, जिसका मकसद हिंदू लड़कियों का मुस्लिम समाज में शादी होने से रोकना है. ऐसा करने के पीछे वे दलील देते हैं कि मुस्लिम युवक साजिश के तहत हिंदू लड़कियों से शादी कर उनका धर्म परिवर्तन करा रहे हैं और इसके लिए विदेशी फंडिंग भी होती है.

उनका दावा है कि इस तरह के धर्म परिवर्तन कराकर मुस्लिम, हिंदुओं को इस देश में अल्पसंख्यक बनाना चाह रहे हैं.

इन स्थितियों में उत्तर प्रदेश के अलावा भाजपा शासित कई राज्यों- कर्नाटक, हरियाणा और मध्य प्रदेश- के भी मुख्यमंत्रियों ने लव-जिहाद के खिलाफ कानून लाने की घोषणा की है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq