जेल प्रशासन का दावा- स्टेन स्वामी को गिरफ़्तारी के समय से ही सिपर-स्ट्रॉ मुहैया कराया जा रहा

एनआईए ने एल्गार परिषद मामले में माओवादियों से संबंध के आरोप में सामाजिक कार्यकर्ता स्टेन स्वामी को आठ अक्टूबर को रांची से गिरफ़्तार किया था. स्वामी ने ज़ब्त किए गए अपने स्ट्रॉ और सिपर को लौटाने के लिए अदालत में याचिका दायर की थी. पार्किंसन बीमारी की वजह से उनके हाथ हिलने से उन्हें खाने और पीने में दिक्कत होती है.

फादर स्टेन स्वामी. (फाइल फोटो: पीटीआई)

एनआईए ने एल्गार परिषद मामले में माओवादियों से संबंध के आरोप में सामाजिक कार्यकर्ता स्टेन स्वामी को आठ अक्टूबर को रांची से गिरफ़्तार किया था. स्वामी ने ज़ब्त किए गए अपने स्ट्रॉ और सिपर को लौटाने के लिए अदालत में याचिका दायर की थी. पार्किंसन बीमारी की वजह से उनके हाथ हिलने से उन्हें खाने और पीने में दिक्कत होती है.

फादर स्टेन स्वामी. (फाइल फोटो: पीटीआई)
फादर स्टेन स्वामी. (फाइल फोटो: पीटीआई)

मुंबईः एल्गार परिषद मामले में गिरफ्तार तलोजा जेल में बंद आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता फादर स्टेन स्वामी को सिपर और अन्य सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं.

जेल प्रशासन का कहना है कि स्टेन स्वामी को गिरफ्तार किए जाने के दूसरे दिन से उन्हें ये चीजें मुहैया कराई जा रही हैं.

बता दें कि पार्किंसन सहित कई अन्य बीमारियों से जूझ रहे 83 साल के स्टेन स्वामी को आठ अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया था और वे तभी से नवी मुंबई के पास स्थित तलोजा जेल में बंद हैं. उन्हें स्ट्रॉ और सिपर (मुंह लगाकर पानी या जूस पीने वाला बॉटल) की जरूरत है, क्योंकि पार्किंसन बीमारी की वजह से उनके हाथ हिलने से उन्हें खाने और पीने में दिक्कत होती है.

वरिष्ठ जेल अधिकारी का कहना है कि स्वामी को सिपर और स्ट्रॉ नहीं देने के आरोप आधारहीन हैं.

उन्होंने कहा, सिपर और स्ट्रॉ ही नहीं, हम उन्हें व्हील चेयर, चलने के लिए छड़ी सहित अन्य सुविधाएं दे रहे हैं. उन्हें दो सहायक भी मुहैया कराए गए हैं.

अधिकारी ने कहा, हम जानते हैं कि वह मरीज हैं. वह पार्किंसन बीमारी से ग्रस्त हैं. ऐसे में हम उनकी जरूरत के सामान क्यों नहीं मुहैया कराएंगे.

इस बीच दिल्ली के कुछ वकीलों ने कार्यकर्ता को एक पत्र के साथ स्ट्रॉ और सिपर का पार्सल शनिवार के तलोजा जेल भेजा था. इसके साथ एक पत्र भी तलोजा जेल भेजा गया था.

जेल को लिखे इस पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले वकीलों में शामिल नंदिता राव ने कहा, एक वकील के नाते हमें स्थिति से दुख हुआ क्योंकि जेल नियमावली के अनुसार जिन कैदियों की विशेष जरूरत होती है, उन्हें वह चीज मुहैया कराई जाती है.

उन्होंने कहा, हम महसूस करते हैं कि न्यायिक हिरासत के दौरान अगर किसी को सम्मानजनक तरीके से पानी पीने का अधिकार भी नहीं मिलता तो यह संविधान और मानवता के मौलिक मूल्यों का निरादर है.

मालूम हो कि स्टेन स्वामी ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की विशेष अदालत में याचिका दायर कर सिपर और स्ट्रॉ मुहैया कराने का अनुरोध किया था.

स्वामी ने गिरफ्तारी के दौरान एनआईए द्वारा कथित तौर पर जब्त किए गए उनके स्ट्रॉ और सिपर को लौटाने के लिए अदालत में याचिका दायर की थी, जिसे गुरुवार को (26 नवंबर) खारिज कर दिया गया था.

स्वामी ने कहा था कि उन्हें स्ट्रॉ और सिपर की जरूरत है क्योंकि पार्किंसन बीमारी की वजह से उनके हाथ हिलने से उन्हें खाने और पीने में दिक्कत होती है.

एनआईए ने गुरुवार को इससे इनकार किया कि उन्होंने स्वामी की स्ट्रॉ और सिपर को जब्त किया है.

इसके बाद स्वामी के वकील शरीफ शेख ने सर्दियों के कपड़ों के अलावा इन चीजों को मुहैया कराने के लिए एक नई याचिका दायर की थी.

स्वामी ने गुरुवार को विशेष एनआईए अदालत में जमानत याचिका भी दायर की.

बता दें कि स्टेन स्वामी को आठ अक्टूबर को झारखंड से गिरफ्तार किया गया. वह जून 2018 के बाद से इस मामले में गिरफ़्तार किए गए 16वें शख्स हैं.

एनआईए की चार्जशीट में कहा गया था कि स्वामी प्रतिबंधित संगठन कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (माओवादी) के सदस्य हैं और उसकी गतिविधियों में उनकी सक्रिया भूमिका है. उन्हें माओवादी एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए एक सहयोगी के जरिए धनराशि भी मिली थी.

एनआईए का कहना है कि वह सीपीआई (माओवादी) के एक संगठन पर्सिक्यूटिड प्रिजनर्स सॉलिडैरिटी कमेटी (पीपीएससी) के संयोजक भी हैं.

(समाचार एजेंसी पीटीआई से इनपुट के साथ)