दिल्ली दंगा: पुलिस द्वारा इनकार के बाद कोर्ट ने एफआईआर दर्ज कर निष्पक्ष जांच करने का आदेश दिया

दिल्ली दंगों में आरोपी एक व्यक्ति ने अपने पड़ोसियों द्वारा ​उनके घर पर हमला करने का आरोप लगाया था. पुलिस ने ऐसा कोई अपराध होने से इनकार करते हुए दावा किया था कि ख़ुद को बचाने के लिए आरोपी ये आरोप लगा रहा है.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

दिल्ली दंगों में आरोपी एक व्यक्ति ने अपने पड़ोसियों द्वारा उनके घर पर हमला करने का आरोप लगाया था. पुलिस ने ऐसा कोई अपराध होने से इनकार करते हुए दावा किया था कि ख़ुद को बचाने के लिए आरोपी ये आरोप लगा रहा है.

New Delhi: Security personnel conduct patrolling as they walk past Bhagirathi Vihar area of the riot-affected north east Delhi, Wednesday, Feb. 26, 2020. At least 22 people have lost their lives in the communal violence over the amended citizenship law as police struggled to check the rioters who ran amok on streets, burning and looting shops, pelting stones and thrashing people. (PTI Photo/Manvender Vashist)(PTI2_26_2020_000139B)
(फाइल फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत पुलिस को आदेश दिया है कि दिल्ली दंगे के संबंध में उनके द्वारा बंद किए गए एक मामले में एफआईआर दर्ज कर निष्पक्ष जांच करें.

दिल्ली पुलिस ने आरोपी के खिलाफ वीडियो रिकॉर्डिंग उपलब्ध होने के बावजूद मामले में जांच बंद कर दी थी.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक बीते 23 नवंबर को मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट फहद उद्दीन द्वारा दिया गया आदेश दिल्ली के यमुना नगर निवासी सलीम से जुड़ा है, जिन्होंने आरोप लगाया है कि इस साल 24 फरवरी को उनके पड़ोसियों- सुभाष त्यागी और अशोक त्यागी ने उनके घर पर हमला किया था और गोली चलाई थी.

उन्होंने यह भी आरोपी लगाया है कि पड़ोसी ने नशीर नाम के एक शख्स को गोली भी मारी थी.

पुलिस ने कोर्ट को बताया कि दंगे को लेकर सलीम खुद आरोपी हैं और उन्हें 19 मार्च को गिरफ्तार किया गया था. दिल्ली पुलिस ने दावा किया कि उन्होंने खुद को बचाने के लिए ये झूठी शिकायत दर्ज कराई है. फिलहाल सलीम जमानत पर बाहर हैं.

इस संबंध में जांच के बाद पुलिस ने दावा किया कि ‘किसी भी संज्ञेय अपराध अंजाम दिया गया, ऐसा पाया गया है और इसलिए सलीम की शिकायत पर एफआईआर दर्ज नहीं की गई थी.’ इस तरह जांच भी बंद कर दिया गया था.

हालांकि कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की इन दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि रिकॉर्ड पर उपलब्ध सामग्रियों, विशेषकर कथित घटना का वीडियो फुटेज, को देखकर पता चलता है कि यहां पर ‘संज्ञेय अपराध हुआ है’ और इन आरोपों की पुलिस द्वारा जांच करने की जरूरत है.

इसके बाद न्यायालय ने जाफराबाद पुलिस स्टेशन के एसएचओ को निर्देश दिया कि वे आरोपों के आधार पर जल्द से जल्द उचित धाराओं में एफआईआर दर्ज करें और यह सुनिश्चित करें कि मामले में निष्पक्ष जांच कर अंतिम रिपोर्ट बिना देरी किए कोर्ट में सौंपे.

उन्होंने यह भी कहा उत्तर पूर्व दिल्ली के डीसीपी, जिनके अधिकारक्षेत्र में जाफराबाद आता है, जांच की निगरानी करेंगे. सलीम की शिकायत में नरेश त्यागी, उत्तम त्यागी और सुप्रीम माहेश्वरी के भी नाम हैं, जो कि दंगे के दौरान 48 वर्षीय परवेज की हत्या मामले में आरोपी हैं.

एफआईआर का आदेश देते हुए कोर्ट ने कहा, ‘ये आरोप गंभीर हैं और शिकायतकर्ता के जीने के अधिकार की सुरक्षा से जुड़े हुए हैं. कानून के समान सुरक्षा से शिकायतकर्ता को महज इस बिना पर इनकार नहीं किया जा सकता कि उनके खिलाफ कुछ एफआईआर दर्ज हैं और जांच अधिकारी को लगता है कि आरोप झूठे हैं और शिकायतकर्ता ने खुद को बचाने के लिए ऐसा किया है. ये निष्कर्ष एफआईआर और स्वतंत्र एवं निष्पक्ष जांच के बिना निकाले गए हैं.’

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