उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण विरोधी क़ानून लागू होने के बाद दर्ज पहले मामले का आरोपी गिरफ़्तार

उत्तर प्रदेश बरेली ज़िले का मामला. राज्य में धर्मांतरण रोकने के लिए लाए गए क़ानून के तहत यह पहला गिरफ़्तारी है. इस क़ानून में विवाह के लिए छल-कपट, प्रलोभन देने या बलपूर्वक धर्मांतरण कराए जाने पर अधिकतम 10 वर्ष कारावास और 50 हज़ार रुपये जुर्माने की सज़ा का प्रावधान किया गया है.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

उत्तर प्रदेश बरेली ज़िले का मामला. राज्य में धर्मांतरण रोकने के लिए लाए गए क़ानून के तहत यह पहला गिरफ़्तारी है. इस क़ानून में विवाह के लिए छल-कपट, प्रलोभन देने या बलपूर्वक धर्मांतरण कराए जाने पर अधिकतम 10 वर्ष कारावास और 50 हज़ार रुपये जुर्माने की सज़ा का प्रावधान किया गया है.

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(फोटो: पीटीआई)

बरेली: उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण विरोधी कानून आने के बाद बरेली जिले में विवाह के लिए धर्म परिवर्तन का दबाव बनाने का पहला केस दर्ज होने के बाद मामले के 21 वर्षीय आरोपी युवक को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है.

बरेली के पुलिस उप महानिरीक्षक राजेश कुमार पांडे ने बुधवार को बताया, ‘जिले की बहेड़ी पुलिस ने रिछा रेलवे फाटक के पास से ओवैस अहमद नामक युवक को गिरफ्तार कर लिया गया है.’

उन्होंने बताया कि पुलिस ने ‘विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश, 2020’ के तहत युवक के खिलाफ मामला दर्ज किया है. हाल में प्रदेश में पारित इस कानून के तहत यह पहली गिरफ्तारी है.

पांडे ने बताया, ‘गिरफ्तारी के बाद ओवैस अहमद को पुलिस ने बहेड़ी सत्र अदालत में पेश किया, जहां से उसे 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.’

बरेली के प्रभारी वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक संसार सिंह ने बृहस्पतिवार को बताया, ‘जिले के थाना देवरनिया के गांव शरीफ नगर में रहने वाली एक युवती के परिवार का आरोप था कि ओवैस उसे तीन साल से परेशान कर रहा था और विवाह के लिए धर्म परिवर्तन का दबाव बनाता था.’

मालूम हो कि बीते 28 नवंबर को देवरनिया थाने में युवती के पिता की शिकायत पर ओवैस के विरुद्ध ‘उत्‍तर प्रदेश विधि विरूद्ध धर्म संपविर्तन प्रतिषेध अध्‍यादेश, 2020’ के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, आरोपी ओवैस अहमद युवती के मोहल्ले में ही रहता था और पिछले साल दोनों घर से भाग गए थे. उसके बाद दोनों को पकड़कर वापस लाया गया और ओवैस को गिरफ्तार भी किया गया था.

रिपोर्ट के अनुसार, युवती के पिता ने ओवैस अहमद पर अपनी बेटी का अपहरण करने का आरोप लगाया था. हालांकि युवती ने अपने पिता के आरोपों को खारिज किया था. इसके बाद अप्रैल में परिवारवालों ने उस युवती की कहीं और शादी करवा दी.

बीते 29 नवंबर को दर्ज एफआईआर में युवती के पिता ने कहा है कि ओवैस उनकी बेटी का धर्म परिवर्तन कराने की कोशिश कर रहा है. यह भी आरोप है कि वह युवती के परिवार को धमका भी रहा है.

देवरनिया थाने के एसएचओ दयाशंकर ने बताया, ‘परिवार का कहना है कि शादी होने की बात जानने के बाद ओवैस युवती को वापस बुलाने के लिए परिवार पर दबाव डालने के साथ धमकी भी दे रहा है. साथ ही युवती के धर्म परिवर्तन के बाद शादी करने की भी बात कह रहा है.’

परिवारवालों के हवाले से उन्होंने कहा, ‘इससे पहले वह 28 नवंबर को युवती के परिवारवालों के पास गया था, जिसके बाद परिवारवालों ने पुलिस से संपर्क किया.’

समाचार एजेंसी भाषा/पीटीआई के अनुसार, बरेली के प्रभारी संसार सिंह ने बृहस्पतिवार को बताया कि युवती के परिजन ने जून 2020 में उसकी शादी किसी दूसरी जगह कर दी, इससे बौखलाया ओवैस अक्सर उसके पिता के घर पहुंच कर धमकी देता था. पिछले शनिवार को भी उसने पिता को तमंचा दिखाकर जान से मारने की धमकी दी थी, जिसके बाद उन्होंने ओवैस के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया.

ऑउटलुक के मुताबिक ओवैस अहमद को भारतीय दंड संहिता की धारा 504 (किसी व्‍यक्ति को अपमानित करने), 506 (आपराधिक धमकी देना) और उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम 3/5 की धारा के तहत गिरफ्तार किया गया है.

बता दें कि बीते 24 नवंबर को उत्तर प्रदेश सरकार ‘लव जिहाद’ को रोकने के लिए शादी के लिए धर्म परिवर्तन पर लगाम लगाने के लिए ‘उत्‍तर प्रदेश विधि विरूद्ध धर्म संपविर्तन प्रतिषेध अध्‍यादेश, 2020’ ले आई थी.

इसमें विवाह के लिए छल-कपट, प्रलोभन देने या बलपूर्वक धर्मांतरण कराए जाने पर विभिन्न श्रेणियों के तहत अधिकतम 10 वर्ष कारावास और 50 हजार तक जुर्माने का प्रावधान किया गया है.

बता दें कि उत्तर प्रदेश पहला ऐसा राज्य है, जहां लव जिहाद को लेकर इस तरह का क़ानून लाया गया है. इसके साथ ही मध्य प्रदेश और हरियाणा की भाजपा सरकारों ने भी लव जिहाद को लेकर कानून लाने की बात कही है.

इसके अलावा असम सरकार भी शादी से पहले धर्म और आय का खुलासा करने वाला कानून लाने की तैयारी कर रही है. असम सरकार में मंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने दावा किया है कि यह कानून ‘लव जिहाद’ के खिलाफ नहीं है, लेकिन मध्य प्रदेश में प्रस्तावित और उत्तर प्रदेश में पास कानून के समान ही होगा.

पिछले कुछ हफ्तों में भाजपा शासित राज्यों- कर्नाटक के साथ बिहार में ‘लव जिहाद’ रोकने के लिए कानून लाने का विचार रखा गया है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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