पुलिस पर हमले के आरोपी भाजपा नेताओं और अन्य के ख़िलाफ़ योगी सरकार ने केस वापस लिया

साल 2007 में दो सड़क दुर्घटनाओं में आठ लोगों की मौत के बाद प्रदर्शनकारियों द्वारा पुलिस पर हमला करने और पुलिस की एक जीप जला देने के मामले में 16 लोगों को आरोपी बनाया गया था, जिसमें भाजपा नेता और रामपुर में मिलक नगर पंचायत की पूर्व अध्यक्ष दीक्षा गंगवार और उनके पति नरेंद्र सिंह गंगवार भी शामिल थे.

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Lucknow: Uttar Pradesh Chief Minister Yogi Adityanath talks on a phone during an event, in Lucknow on Monday, Aug 6, 2018. (PTI Photo) (PTI8_6_2018_000127B)
योगी आदित्यनाथ. (फोटो: पीटीआई)

साल 2007 में दो सड़क दुर्घटनाओं में आठ लोगों की मौत के बाद प्रदर्शनकारियों द्वारा पुलिस पर हमला करने और पुलिस की एक जीप जला देने के मामले में 16 लोगों को आरोपी बनाया गया था, जिसमें भाजपा नेता और रामपुर की मिलक नगर पंचायत की पूर्व अध्यक्ष दीक्षा गंगवार और उनके पति नरेंद्र सिंह गंगवार भी शामिल थे.

Lucknow: Uttar Pradesh Chief Minister Yogi Adityanath talks on a phone during an event, in Lucknow on Monday, Aug 6, 2018. (PTI Photo) (PTI8_6_2018_000127B)
योगी आदित्यनाथ (फोटो: पीटीआई)

लखनऊ: साल 2007 में दो सड़क दुर्घटनाओं में आठ लोगों की मौत के बाद प्रदर्शनकारियों द्वारा पुलिस पर हमला करने और पुलिस की एक जीप को आग हवाले करने के मामले में रामपुर की एक स्थानीय अदालत ने मामले को वापस लेने की उत्तर प्रदेश सरकार के आवेदन को स्वीकार कर लिया है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, मामले के 16 आरोपियों में से भाजपा नेता और मिलक नगर पंचायत की पूर्व अध्यक्ष दीक्षा गंगवार और उनके पति नरेंद्र सिंह गंगवार भी थे.

दीक्षा भाजपा की प्रदेश महिला मोर्चा शाखा की उपाध्यक्ष हैं और उन्होंने साल 2000 में समाजवादी पार्टी (सपा) के उम्मीदवार के रूप में और 2006 में निर्दलीय पंचायत अध्यक्ष का चुनाव जीता था. दंपति साल 2004 में भाजपा में शामिल हो गए थे.

रामपुर जिला सरकारी वकील दलविंदर सिंह ने कहा, ‘मामले को वापस लेने के लिए राज्य सरकार की याचिका स्थानीय अदालत में 3 दिसंबर को दायर की गई थी. अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश रश्मि रानी ने सोमवार को आवेदन की अनुमति दी.’

बचाव पक्ष के वकील एसएस कपूर ने कहा कि अदालत अंतिम दलीलें सुन रही थी.

दीक्षा गंगवार ने कहा, ‘मामला राजनीति से प्रेरित था. हमारे विरोधियों ने हमें फंसाया. मेरे पति और मुझे इस मामले में जेल भेज दिया गया था.’

मुरादाबाद के भाजपा अध्यक्ष राज पाल सिंह चौहान ने कहा कि दीक्षा के पति पार्टी में कोई पद नहीं संभाल रहे हैं.

अभियोजन पक्ष के अनुसार, मामला 27 जनवरी, 2007 का है जब रामपुर में लखनऊ-दिल्ली राजमार्ग पर शीरा (गन्ने का रस) लेकर जा रहा एक ट्रक दो युवकों पर चढ़ गया था. शीरा के कारण एक जीप सड़क पर फिसल गई. इस दौरान छह शिक्षा मित्र मारे गए जबकि अन्य अन्य घायल हो गए थे.

कथित रूप से ‘शीरा’ को साफ़ नहीं करने के कारण पुलिस से परेशान, स्थानीय लोगों ने विरोध किया और पुलिस और सरकार के खिलाफ नारे लगाए.

विरोध के बारे में जानने के बाद दीक्षा और नरेंद्र अन्य लोगों के साथ वहां पहुंचे. हालांकि, मामला तब बिगड़ गया जब लोगों ने पुलिसकर्मियों पर पथराव शुरू किया और निजी और पुलिस वाहनों में आग लगा दी.

मिलक पुलिस स्टेशन में 16 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी, जिसमें दीक्षा और नरेंद्र और 200 अज्ञात लोगों के खिलाफ हत्या और दंगा करने का प्रयास सहित विभिन्न आरोपों के तहत शामिल है.

नरेंद्र को गिरफ्तार कर लिया गया था और दीक्षा ने अदालत के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था. आरोपियों के नाम बाद में चार्जशीट में शामिल किए गए थे.

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