मध्य प्रदेशः एनसीपीसीआर ने सागर के डीएम पर धर्म परिवर्तन की जानकारी दबाने का आरोप लगाया

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने एक ईसाई संगठन द्वारा चलाए जा रहे बच्चों के छात्रावास में कथित तौर पर धर्म परिवर्तन के मामले पर जानकारी मांगी थी, जिसका जवाब न मिलने पर उसने मध्य प्रदेश सरकार को पत्र लिखकर सागर ज़िले के ज़िलाधिकारी के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने को कहा है.

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एनसीपीसीआर के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो (फोटो साभारः ट्विटर)

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने एक ईसाई संगठन द्वारा चलाए जा रहे बच्चों के छात्रावास में कथित तौर पर धर्म परिवर्तन के मामले पर जानकारी मांगी थी, जिसका जवाब न मिलने पर उसने मध्य प्रदेश सरकार को पत्र लिखकर सागर ज़िले के ज़िलाधिकारी के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने को कहा है.

एनसीपीसीआर के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो (फोटो साभारः ट्विटर)
एनसीपीसीआर के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो (फोटो साभारः ट्विटर)

नई दिल्लीः महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने मध्य प्रदेश सरकार को पत्र लिखा है.

इस पत्र में मध्य प्रदेश में एक ईसाई संगठन द्वारा चलाए जा रहे बच्चों के छात्रावास में धर्म परिवर्तन के मामले पर मांगी गई जानकारी उपलब्ध नहीं कराने के लिए सागर जिले के जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा है.

यह हॉस्टल सागर जिले के बीना में है, जहां की उपविभागीय पुलिस, जिला जनसंख्या अधिकारी (डीपीओ) और सागर के सहायक जिला अभियोजन अधिकारी (एपीओ) ने सितंबर महीने में केंद्र सरकार को बताया था कि उन्होंने जांच की थी और उन्हें किसी तरह की जानकारी मुहैया नहीं कराई गई, जिसके बाद केंद्र सरकार के हस्तेक्षप करने पर एनसीपीसीआर ने राज्य सरकार को यह पत्र लिखा.

जून 2015 में आउटलुक पत्रिका में एक इनवेस्टिगेटिव रिपोर्ट प्रकाशित हुई थी, जिसमें कहा गया था कि आरएसएस से जुड़े तीन संगठनों ने असम के पांच जिलों की लगभग 31 आदिवासियों लड़कियों की कथित तौर पर पंजाब और गुजरात में तस्करी की थी.

राज्य के बाल अधिकारों के संरक्षण आयोग ने इस मामले में कार्रवाई करने के लिए एनसीपीसीआर को पत्र लिखा था.

रिपोर्ट में कहा गया था कि ये लड़कियां, जिनमें से कुछ ही उम्र महज तीन साल है, इन्हें हिंदू धर्म अपनाने, हिंदी बोलने और अपने रीति-रिवाजों को छोड़ने के लिए मजबूर किया गया.

हालांकि, एनसीपीसीआर ने इस मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं किया और दक्षिणपंथी संगठऩों ने पत्रिका, इसके संपादक और रिपोर्टर के खिलाफ वैमनस्य और शत्रुता की भावनाओं को बढ़ावा देने, विभिन्न धार्मिक, नस्लीय, भाषाई और क्षेत्रीय समूहों, जातियों और समुदायों के बीच नफरत फैलाने के लिए गुवाहाटी हाईकोर्ट में आपराधिक शिकायत दर्ज कराई.

एनसीपीसीआर की हालिया कार्रवाई की खबरें अभी तक केवल दक्षिणपंथी ऑनलाइन न्यूज साइट स्वराज्य पर ही प्रकाशित हुई हैं, जो आरएसएस का मुखपत्र है.

स्वराज्य रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने केंद्र सरकार की कार्रवाई को दुर्लभ बताया. इस मामले में एनसीपीसीआर का हस्तक्षेप हिंदी समाचार पत्र ‘पत्रिका‘ में जुलाई में प्रकाशित न्यूज रिपोर्ट पर आधारित है.

स्वराज्य के मुताबिक, ‘पत्रिका‘ की रिपोर्ट में कहा गया कि सागर जिला प्रशासन ने बीना के यूफ्रेशिया भवन हॉस्टल से नौ लड़कियों को बचाया. एक लड़की ने कथित तौर पर कहा कि उन्हें एक विशेष देवी की पूजा करने के लिए मजबूर किया गया.

पत्रिका‘ की रिपोर्ट में विदिशा जिले की बाल कल्याण समिति के हवाले से कहा गया कि ऐसा लगता है कि इन लड़कियों को अवैध तरीके से हॉस्टल में रखा गया और यह धर्म परिवर्तन का मामला लगता है.

हालांकि, उस समय तक सागर में कोई बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) नहीं था. विदिशा के सीडब्ल्यूसी ने इन लड़कियों के बयान लिए.

स्वराज्य रिपोर्ट में लड़कियों के बयान प्रकाशित किए गए थे, जिसमें कहा गया, ‘यहां पूजा भी नहीं कराई जाती थी और ना ही मंदिर है. मैडम क्रिश्चियन प्रार्थना कराती थी और गले में कुछ पहनती थी.’

14 जुलाई को एनसीपीसीआर ने उस न्यूज रिपोर्ट का संज्ञान लिया और इस मामले पर सागर जिले के डीएम से कार्रवाई रिपोर्ट मांगी लेकिन कथित तौर पर उस पर कोई जवाब नहीं मिला.

आयोग ने 17 अगस्त को समन जारी कर डीएम को निर्देश दिए कि वे निम्नलिखित 13 बिंदुओं पर जानकारी मुहैया कराएंः-

बच्चों के बयानों के आधार पर प्रशासन ने क्या कार्रवाई शुरू की?
क्या किशोर न्याय अधिनियम की धारा 42, 75 और 82 के तहत एफआईआर दर्ज की गई?
कोरोना महामारी की वजह से सरकार के आदेशों पर जब सभी स्कूल और कोचिंग संस्थान बंद थे, तब हॉस्टल क्यों खुला हुआ था?

मध्य प्रदेश में यूफ्रेशिया भवन हॉस्टल द्वारा चला रहे संगठन द्वारा और कितने हॉस्टल चलाए जा रहे हैं औऱ इनकी फंडिंग कहां से होती है?

जिलाधिकारी से कोई जवाब न मिलने पर 15 सितंबर को सागर प्रशासन के कुछ अधिकारियों से पूछताछ हुई.

अधिकारियों ने एनसीपीसीआर को बताया कि उन्होंने इस मामले में अपनी जांच पूरी कर ली है और इस मामले पर अब कोई जानकारी नहीं है, जो आयोग को दी जा सके.

इन अधिकारियों में बीना के उपविभागीय पुलिस अधिकारी, जिला जनसंख्या अधिकारी (डीपीओ) और सागर के सहायक जिला अभियोजन अधिकारी (एपीओ) शामिल हैं.

हालांकि, आयोग ने कहा कि सागर जिले के जिलाधिकारी जानकारी उपलब्ध कारने में असफल रहे, जो एक तरह से सूचना दबाने के समान है.

एनसीपीसीआर ने 27 नवंबर को राज्य के मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस को पत्र लिखकर अपने कर्तव्यों का निर्वहन नहीं करने के लिए उन्हें जिलाधिकारी के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)

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