झारखंडः नौ महीनों से नहीं मिली मज़दूरी, अदालत पहुंचे 250 मज़दूर

ये मज़दूर झारखंड के पाकुड़ वन प्रभाग की सीमा पर काम करते हैं. उनका कहना है कि उन्हें बीते नौ महीनों से मज़दूरी नहीं दी गई है जबकि वे इस मामले को कई बार प्रशासन के संज्ञान में ला चुके हैं. इस संबंध में झारखंड हाईकोर्ट में जनहित याचिका कर मज़दूरी दिलाने की मांग की गई है.

झारखंड हाईकोर्ट. (फोटो साभार: विकीमीडिया कॉमन्स)

ये मज़दूर झारखंड के पाकुड़ वन प्रभाग की सीमा पर काम करते हैं. उनका कहना है कि उन्हें बीते नौ महीनों से मज़दूरी नहीं दी गई है जबकि वे इस मामले को कई बार प्रशासन के संज्ञान में ला चुके हैं. इस संबंध में झारखंड हाईकोर्ट में जनहित याचिका कर मज़दूरी दिलाने की मांग की गई है.

झारखंड हाईकोर्ट. (फोटो: विकिमीडिया कॉमन्स)
झारखंड हाईकोर्ट. (फोटो: विकिमीडिया कॉमन्स)

झारखंड के पाकुड़ वन प्रभाग की एक सीमा का रखरखाव करने वाले लगभग 250 मजदूरों का कहना है कि उन्हें बीते नौ महीनों से मजदूरी नहीं दी गई है जबकि वह इस मामले को कई बार प्रशासन के संज्ञान में ला चुके हैं.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इनमें से कुछ मजदूरों ने मजदूरी देने की मांग करते हुए मंगलवार को पाकुड़ वन प्रभाग कार्यालय के बाहर प्रदर्शन भी किया.

इन मजदूरों की उम्मीदें हाईकोर्ट में दायर की गई जनहित याचिका पर टिकी है, जिसमें अदालत से हस्तक्षेप करने की मांग करते हुए मजदूरों को दस लाख रुपये देने की मांग की गई है.

हाईकोर्ट का इस मामले पर अभी नोटिस जारी करना बाकी है.

वनों के मुख्य वन संरक्षक और वनफोर्स (झारखंड) के प्रमुख पीके वर्मा ने कहा कि वह इस पर टिप्पणी करने की स्थिति में नहीं है क्योंकि उनके पास इसके रिकॉर्ड नहीं है.

उन्होंने कहा, ‘मैं आधिकारिक तौर पर सही जानकारी प्राप्त करने के बाद इस पर टिप्पणी कर पाऊंगा.’

इन मजदूरों में से एक राम हांसदा (32) ने कहा कि वह अब अपने खेतों की धान की फसल पर निर्भर है, जिसे वे बेचते हैं. मजदूरी नहीं मिलने से अन्य मजदूरों के पास कर्ज लेने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा.

उन्होंने कहा, ‘फसल बेचने पर मिलने वाले पैसों से मैं सब्जियों खरीदता हूं. हमारे पास पैसे नहीं है. वन विभाग से मुझे मजदूरी के 65,000 रुपये मिलने हैं. मुझे उम्मीद है कि हाईकोर्ट जल्द ही हमारी समस्याओं को सुलझाएगा.’

बता दें कि वन परिक्षेत्र के अधिकारी अनिल कुमार सिंह ने जनहित याचिका दायर की है. हांसदा का कहना है कि वह अपने पैसों से मजदूरों की आर्थिक मदद करते हैं.

जनहित याचिका में सिंह ने कहा, ‘मजदूरों की मजदूरी का भुगतान नहीं करना सरकार के मानदंडों के अनुरूप मजदूरों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है.’

सिंह की याचिका के मुताबिक, ‘पाकुड़ वन प्रभाग में कोई भी प्रभागीय वन अधिकारी तैनात नहीं होने की वजह से भुगतान की प्रक्रिया बाधित है.’

याचिका में कहा गया कि सिंह मजदूरों की आर्थिक मदद करने को मजबूर थे, जिससे दोनों के लिए मुश्किलें पैदा हो रही हैं.

याचिका में कहा गया कि पाकुड़ वन प्रभाग में पर्याप्त संख्या में कर्मचारी नहीं है, सिर्फ सात वन गार्ड और दो वनकर्मी ही हैं.

याचिका में कहा गया, ‘वन प्रभाग में 10 होमगार्ड को तैनात किया गया और उन्हें भी अप्रैल 2020 से कोई भुगतान या राशन भत्ता नहीं दिया गया. वे बहुत सारी समस्याओं का सामना कर रहे हैं. जिसे प्रभागीय वनाधिकारी के पद पर उपयुक्त अधिकारी की तैनाती के साथ टाला जा सकता है.’

यह मुद्दा महत्वपूर्ण है क्योंकि झारखंड ने असंगठित सेक्टर में मजदूरों के लिए सुधार किए हैं और बॉर्डर्स रोड ऑर्गेनाइजेशन से बेहतर भुगतान भी मिला है.

हाल ही में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने विभागीय समीक्षा में श्रम विभाग को विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन में तेजी लाने को कहा था.

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq