उत्तर प्रदेश: भदोही में 64 दिनों से आंदोलनरत सफ़ाईकर्मी, 12 साल में एक भी नियुक्ति नहीं हुई

साल 2008 में उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में सफ़ाईकर्मियों की भर्ती शुरू हुई थी, लेकिन भदोही ज़िले में चयन प्रक्रिया में गड़बड़ी के कारण प्रक्रिया रोक दी गई थी. अभ्यर्थियों द्वारा फ़िर इलाहाबाद हाईकोर्ट याचिका दायर की गई. जिसके बाद साल 2014 में शासन ने इस प्रक्रिया को निरस्त कर चयन पर रोक लगा दी थी.

सफाईकर्मियों की नियुक्ति को लेकर भदोही में धरने पर बैठे अभ्यर्थी. (फोटो: ट्विटर/@vshankarsingh)

साल 2008 में उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में सफ़ाईकर्मियों की भर्ती शुरू हुई थी, लेकिन भदोही ज़िले में चयन प्रक्रिया में गड़बड़ी के कारण प्रक्रिया रोक दी गई थी. अभ्यर्थियों द्वारा फ़िर इलाहाबाद हाईकोर्ट याचिका दायर की गई. जिसके बाद साल 2014 में शासन ने इस प्रक्रिया को निरस्त कर चयन पर रोक लगा दी थी.

सफाईकर्मियों की नियुक्ति को लेकर भदोही में धरने पर बैठे अभ्यर्थी. (फोटो: ट्विटर/@vshankarsingh)
सफाईकर्मियों की नियुक्ति को लेकर भदोही में धरने पर बैठे अभ्यर्थी. (फोटो: ट्विटर/@vshankarsingh)

भदोही (यूपी): उत्तर प्रदेश के भदोही जिले में सफाईकर्मियों की नियुक्ति शुरू करने की मांग को लेकर सफाईकर्मी संघर्ष समिति का पिछले 64 दिनों से विरोध प्रदर्शन चल रहा है. कड़ाके की ठंड में सात आंदोलनकारी आमरण अनशन पर भी बैठे हैं. अनशनकारियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्‍यमंत्री आदित्‍यनाथ से इस मामले में हस्‍तक्षेप की मांग की है.

आंदोलनकारियों का कहना है कि प्रदेश में एकमात्र भदोही ऐसा जिला है जहां 12 वर्ष बीत गए, लेकिन एक भी सफाईकर्मी की नियुक्ति नहीं हुई. वर्ष 2008 में राज्‍य सरकार ने सफाईकर्मियों की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की थी.

आंदोलन का नेतृत्‍व कर रहीं सफाईकर्मी संघर्ष समिति की अध्‍यक्ष दिव्‍या पाठक ने कहा, ‘जब तक मांग पूरी नहीं होगी तब तक उनका आंदोलन चलता रहेगा.’ पाठक भी अनशन पर बैठी हैं.

इस संदर्भ में जिलाधिकारी राजेंद्र प्रसाद ने रविवार को बताया कि जिले में सफाईकर्मियों की कमी है और शासन को पत्र भेजकर निर्देश मांगा गया है. जिलाधिकारी ने कहा, ‘वह खुद अनशन स्‍थल पर गए थे और आंदोलनकारियों से अनशन समाप्‍त करने का अनुरोध किया है.’

प्रसाद ने कहा कि शासन को वर्तमान स्थिति से अवगत कराया गया है और जैसा आदेश मिलेगा उसी अनुरूप कार्रवाई की जाएगी. उन्‍होंने कहा कि सफाईकर्मियों की भर्ती पर रोक शासन स्‍तर से ही लगी है. सफाईकर्मी संघर्ष समिति का मांग पत्र भी शासन को भेजा गया है.

आंदोलनकारियों का कहना है कि अब तक 30 कार्यकर्ता आंदोलन के दौरान बीमार होकर अस्‍पताल जा चुके हैं, लेकिन किसी का हौसला टूटा नहीं है.

जिला पंचायत राज अधिकारी बालेश्वर धर द्विवेदी ने बताया कि साल 2008 में प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में सफाईकर्मी की भर्ती शुरू हुई. भदोही जिले के लिए तत्कालीन जिलाधिकारी दीपिका दुग्गल ने 1,264 पद के लिए आवेदन मांगे थे, जिसमें तेरह लाख से ज़्यादा लोगों ने आवेदन कर दिया.

द्विवेदी ने बताया कि 5,678 लोगों का टेस्‍ट लेने के साथ साइकिल चलाना और कई गांव के नालों की सफाई करवाई गई. उसी बीच चयन प्रक्रिया में गड़बड़ी करने के आरोप में तत्कालीन जिला पंचायत राज अधिकारी एनके सिंह और आरडी राम को निलंबित कर दिया गया और चयन प्रक्रिया रुक गई.

अभ्यर्थियों द्वारा हाईकोर्ट की शरण लिए जाने के बाद साल 2014 में शासन ने इस प्रक्रिया को निरस्त कर चयन पर रोक लगा दी है.

मामले को लेकर लोग सोशल मीडिया पर अभियान भी चला रहे हैं. सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए अभ्यर्थियों द्वारा 2 दिसंबर को ट्विटर पर एक के बाद एक कई ट्वीट किए गए.

ट्विटर पर बीते दो दिसंबर को विजय शंकर सिंह ने नाम के एक यूजर ने लिखा है, ‘वर्ष 2008 मे स्थायी ग्रामीण सफाईकर्मी की भर्ती उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा निकाला गया था, जिसमें से 74 जिले में नियुक्ति की गई, लेकिन भदोही में अभी तक कोई नियुक्ति नहीं हुई. भदोही में 12 साल से धरना और अब तो 41 दिन से लोग आमरण अनशन पर बैठे हैं. उत्तर प्रदेश सरकार अविलंब मामले को संज्ञान मे लेकर नियुक्ति करे.’

बीते दो दिसंबर को एक अभियान के तौर पर इसी तरह ट्वीट कई सारे लोगों ने ट्वीट किया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)