डीडीसीए से नाराज़ बिशन सिंह बेदी बोले, फिरोजशाह कोटला से तुरंत नाम हटाएं, वरना क़ानूनी कार्रवाई

डीडीसीए ने पिछले दिनों इसके पूर्व अध्यक्ष अरुण जेटली की प्रतिमा फिरोजशाह कोटला स्टेडियम में लगाने का निर्णय लिया था, जिसकी आलोचना करते हुए पूर्व क्रिकेटर बिशन सिंह बेदी ने संघ की सदस्यता छोड़ दी थी. साथ ही उन्होंने स्टेडियम के एक स्टैंड से उनका नाम हटाने के लिए भी कहा था.

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बिशन सिंह बेदी (फोटोः पीटीआई)

डीडीसीए ने पिछले दिनों इसके पूर्व अध्यक्ष अरुण जेटली की प्रतिमा फिरोजशाह कोटला स्टेडियम में लगाने का निर्णय लिया था, जिसकी आलोचना करते हुए पूर्व क्रिकेटर बिशन सिंह बेदी ने संघ की सदस्यता छोड़ दी थी. साथ ही उन्होंने स्टेडियम के एक स्टैंड से उनका नाम हटाने के लिए भी कहा था.

बिशन सिंह बेदी (फोटोः पीटीआई)
बिशन सिंह बेदी (फोटोः पीटीआई)

नई दिल्लीः भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान बिशन सिंह बेदी ने दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) के अध्यक्ष को लिखे अपने दूसरे पत्र में कहा है कि अगर उनका नाम फौरन फिरोजशाह कोटला स्टैंड से नहीं हटाया गया तो वे कानूनी कार्रवाई करेंगे.

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, इससे पहले भी बेदी ने डीडीसीए के अध्यक्ष रोहन जेटली को पत्र लिखकर डीडीसीए के पूर्व अध्यक्ष दिवंगत अरुण जेटली की प्रतिमा फिरोजशाह कोटला स्टेडियम में लगाने की आलोचना की थी.

हालांकि, इस पर डीडीसीए की ओर से बेदी को कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली थी. उन्होंने शनिवार को एक और पत्र लिखकर कोटला स्टैंड से अपना नाम तत्काल प्रभाव से हटाने की मांग की है.

बता दें कि अरुण जेटली 1999 से 2013 तक डीडीसीए के अध्यक्ष रहे थे. डीडीसीए ने उनकी याद में कोटला में छह फुट की प्रतिमा लगाने का फैसला किया है. जेटली का अगस्त 2019 में निधन हो गया था.

बेदी ने डीडीसीए के अध्यक्ष रोहन जेटली को पत्र लिखते हुए कहा, ‘मैंने आपको कुछ दिन पहले पत्र लिखा था, जबकि मेरे पत्र को सार्वजनिक होने के कुछ मिनटों के भीतर ही मुझे दुनियाभर से क्रिकेट बिरादरी से समर्थन मिला, लेकिन मुझे दुख है कि मुझे आपकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली.’

उन्होंने कहा, ‘मुझे उम्मीद है कि हमारे देश में अब भी लोगों को यह फैसला करने का अधिकार है वे किन लोगों के साथ जुड़ना चाहते हैं और कहां उनके नाम की पट्टिका पूरी गरिमा के साथ लगाए जा सकती है. कृपया मुझे कानूनी कार्रवाई करने के लिए मजबूर न करें.’

बीते दिनों डीडीसीए की सदस्यता त्यागने वाले बेदी ने पत्र में डीडीसीए अध्यक्ष की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए कहा, ‘खेल स्थलों से नेताओं को दूर करने को लेकर सार्वजनिक बहस शुरू करने वाले मेरे पत्र पर आपकी ऐसी चुप्पी, जिसका कोई कारण साफ नहीं है, उससे आपकी नादानी का पता चलता है. आपकी बेवजह की चुप्पी भी इस अपराधबोध को रेखांकित करती है कि आप इस पद पर केवल अपने परिवार के नाम के कारण हैं, जिसे आप साफतौर पर बढ़ावा देना चाहते हैं.’

बेदी ने कहा, ‘आखिर में मुझे उम्मीद है कि आप एक पूर्व क्रिकेटर को जवाब देने का बुनियादी शिष्टाचार निभाएंगे जो आपसे समर्थन नहीं चाह रहा बल्कि चाहता है कि उसकी क्रिकेट की अखंडता पर कोई आंच नहीं आए.’

बेदी ने कहा, ‘मैं जानता हूं कि डीडीसीए में क्रिकेटरों की आवाज नजरअंदाज करने की परंपरा रही है और यह मेरे अनुरोध का एक कारण है. यदि मैं उस क्रिकेट स्टेडियम का हिस्सा बनता हूं, जिसमें ऐसे व्यक्ति की प्रतिमा लगी हो, जिसके बारे में मेरा मानना है कि उन्होंने क्रिकेट मूल्यों को कम किया है तो मैं एक दिन तो क्या, एक मिनट के लिए भी बेहतर महसूस नहीं कर पाऊंगा.’

डीडीसीए ने नवंबर 2017 में अपने एक स्टैंड का नाम बेदी और पूर्व क्रिकेटर मोहिंदर अमरनाथ के नाम पर रखा था.

बता दें कि बेदी ने इससे पहले मंगलवार को डीडीसीए को लिखे अपने पहले पत्र में कहा था कि उनका नाम फिरोजशाह कोटला स्टेडियम के स्टैंड से हटा लिया जाए.

तब 74 साल के बेदी ने डीडीसीए पर बरसते हुए भाई-भतीजावाद और ‘क्रिकेटरों से ऊपर प्रशासकों को रखने’ का आरोप लगाते हुए संघ की सदस्यता भी छोड़ दी थी.

रोहन जेटली को लिखे पत्र में बेदी ने कहा था, ‘मुझे अपने आप पर गर्व है कि मैं काफी सहनशील और धैर्यवान हूं, लेकिन डीडीसीए जिस तरह से चल रहा है, उसने मेरी परीक्षा ली है और इसी ने मुझे यह फैसला लेने को मजबूर किया है. इसलिए अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे अपील करता हूं कि आप मेरा नाम स्टैंड पर से तत्काल प्रभाव से हटा दें. साथ ही मैं अपनी डीडीसीए की सदस्यता त्याग रहा हूं.’

उन्होंने आगे लिखा था, ‘मुझे बताया गया है कि दिवंगत अरुण जेटली शानदार राजनेता थे. ऐसे में भावी पीढ़ी के लिए संसद को उन्हें याद रखना चाहिए न कि क्रिकेट स्टेडियम को. वह हो सकता है कि बहुत बड़े क्रिकेट प्रशंसक रहे हों, लेकिन क्रिकेट प्रशासन में उनका जुड़ाव संदिग्ध रहा है और काम काफी कुछ बचा रह गया है. यह एक ऐसे ही दिया गया बयान नहीं है, बल्कि डीडीसीए में उनके समय का तथ्यात्मक विश्लेषण है. मेरे शब्द याद रखिए, असफलताओं का ढिंढोरा नहीं पीटा जाता, उन्हें भुला दिया जाता है.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)   

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