जेल में ठंड से बचने के लिए जीएन साईबाबा को ऊनी टोपी और अन्य चीजें नहीं लेने दी गईं: वकील

वर्ष 2017 में महाराष्ट्र में गढ़चिरौली की एक अदालत ने माओवादियों के साथ संबंध रखने और देश के खिलाफ लड़ाई छेड़ने जैसी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफसेर जीएन साईबाबा और चार अन्य को दोषी ठहराया था. तब से उन्हें नागपुर जेल में रखा गया है.

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जीएन साईबाबा. (फाइल फोटो: पीटीआई)

वर्ष 2017 में महाराष्ट्र में गढ़चिरौली की एक अदालत ने माओवादियों के साथ संबंध रखने और देश के खिलाफ लड़ाई छेड़ने जैसी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफसेर जीएन साईबाबा और चार अन्य को दोषी ठहराया था. तब से उन्हें नागपुर जेल में रखा गया है.

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दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. जीएन साईबाबा. (फोटो: पीटीआई)

नागपुर: माओवादियों के साथ संबंधों के आरोप में उम्रकैद की सजा काट रहे दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा के वकील ने रविवार को आरोप लगाया कि जेल प्रशासन ने ठंड से बचने के लिए ऊनी टोपी और कई अन्य चीजें नहीं स्वीकार कीं, जो उनके परिवार ने उनके लिए भेजी थीं.

हालांकि, जेल के एक अधिकारी ने कहा कि जेल प्रशासन ने सारी जरूरी चीजें प्राप्त कर ली थीं, लेकिन वह हर चीज (जेल के) अंदर नहीं जाने दे सकता.

बता दें कि साईबाबा 90 प्रतिशत दिव्यांग हैं और व्हीलचेयर के सहारे हैं.

वर्ष 2017 में महाराष्ट्र में गढ़चिरौली की एक अदालत ने माओवादियों के साथ संबंध रखने और देश के खिलाफ लड़ाई छेड़ने जैसी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में उन्हें और चार अन्य को दोषी ठहराया था. तब से उन्हें नागपुर जेल में रखा गया है.

साईबाबा के वकील आकाश सरोदे ने कहा कि साईबाबा को जिन 34 अलग-अलग सामान की जरूरत थी, उन्हें पहुंचाने के लिए तीन दिन पहले जब वह जेल गए थे, तब जेल अधिकारियों ने उनमें से बस 13 चीजें स्वीकार कीं.

सरोदे ने कहा, ‘एक महीने पहले प्रो. साईबाबा ने उन जरूरी चीजों के बारे में जेल अधिकारियों से संपर्क किया था, जिनकी उन्हें जरूरत थी तथा जिन्हें बाहर से लाया जा सकता था. बाद में उन्होंने सामान की सूची बनाई और उसे जेल अधिकारियों को सौंप दिया, ताकि उनका परिवार ये सामान भेज सके.’

उन्होंने कहा, ‘उनके परिवार ने ये चीजें मेरे पास भेजीं. 24 दिसंबर को मैं सूची और सारा सामान लेकर जेल पहुंचा. मैंने ये चीजें जेल अधिकारियों को सौंपने की कोशिश की, लेकिन जेलकर्मियों ने कई चीजें लेने से मना कर दिया, जबकि ये न तो सुरक्षा की दृष्टि से और न ही कोविड-19 संक्रमण के प्रसार की दृष्टि से खतरनाक थीं.’

वकील ने बताया कि जेल अधिकारियों ने जिन चीजों को साईबाबा को देने से इनकार कर दिया उनमें तीन किताबें, 200 सफेद पन्ने, एक नोटपैड, इंडिया टुडे मैगजीन व आदि चीजें शामिल थीं.

सरोदे ने कहा, ‘इसी तरह, शैंपू की बोतल, ऊनी टोपी, नैपकिन, रूमाल, तौलिया, एक सफेद टी-शर्ट भी जेल अधिकारियों ने लेने से मना कर दिया.’

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, साईबाबा को जो चीजें नहीं दी गईं उनमें नियमित फिजियोथेरेपी के लिए जरूरी रिस्ट वेट कफ भी शामिल था.

सरोदे ने जेल अधीक्षक को लिखे पत्र में जब वे साईबाबा के लिए सूचीबद्ध सामानों सौंपने गए थे, तब उन्हें मना करने के दौरान जेल अधिकारियों पर रुखा, असम्मानजनक और पूरी तरह से असंवेदनशील व्यवहार करने का आरोप लगाया.

उन्होंने आगे कहा कि आपने केवल अंडरवीयर और लोइन क्लोथ (लंगोटी) को मंजूरी दी. पूरे नागपुर द्वारा महसूस किए जाने वाले इस ठंड के मौसम में मैं यह समझ पाने में नाकाम हूं कि मेरे मुवक्किल आखिर किस तरह से ठंड से खुद को बचाएंगे.

उन्होंने कहा कि उन्हें इस संबंध में जेल अधीक्षक को भेजे गए जवाब का इंतजार है.

इस संबंध में नागपुर के जेल अधीक्षक अनूप कुमार ने कहा कि जेल नियमावली के अनुसार साईबाबा या किसी अन्य कैदी की जरूरत की सभी चीजों की अनुमति दी जाती है और वे कैदी को दे दी जाती हैं.

उन्होंने कहा, ‘हमने सभी जरूरत की चीजें और अन्य जरूरी चीजें भी स्वीकार कीं क्योंकि उन्हें स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां हैं. हम हमेशा वे चीजें ग्रहण करते हैं जो जरूरी हैं और जिनकी उन्हें जरूरत हैं. लेकिन हम हर चीज अंदर नहीं ले जाने दे सकते.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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