जम्मू कश्मीर पुलिस का दावा- मुठभेड़ में मारे गए तीन आतंकी, परिवारों ने कहा- आम नागरिक थे

बीते जुलाई महीने में भी सेना ने शोपियां ज़िले में तीन आतंकियों को मार गिराने के दावा किया था. तब भी तीनों के परिजनों ने उन्हें आम नागरिक बताया था. मामले की जांच के बाद सेना ने स्वीकार किया कि तीनों युवक राजौरी के रहने वाले थे और मुठभेड़ के दौरान सशस्त्र बल विशेषाधिकार क़ानून के तहत मिलीं शक्तियों का उल्लंघन हुआ था.

(प्रतीकात्मक फाइल फोटो: पीटीआई)

बीते जुलाई महीने में भी सेना ने शोपियां ज़िले में तीन आतंकियों को मार गिराने के दावा किया था. तब भी तीनों के परिजनों ने उन्हें आम नागरिक बताया था. मामले की जांच के बाद सेना ने स्वीकार किया कि तीनों युवक राजौरी के रहने वाले थे और मुठभेड़ के दौरान सशस्त्र बल विशेषाधिकार क़ानून के तहत मिलीं शक्तियों का उल्लंघन हुआ था.

Srinagar: Security personnel leave after an encounter with militants, at Lawaypora on the outskirts of Srinagar, Wednesday, Dec. 30, 2020. Three militants were killed in the encounter. (PTI Photo/S. Irfan)(PTI30-12-2020 000131B)
बुधवार को श्रीनगर बाहरी इलाके लवयपुरा में एक मुठभेड़ के दौरान तैनात जवान. इस मुठभेड़ में तीन आतंकियों के मारे जाने का दावा किया गया है. (फोटो: पीटीआई)

श्रीनगर: जम्मू कश्मीर पुलिस ने बीते बुधवार को दावा किया कि श्रीनगर के परिम्पोरा इलाके में हुई मुठभेड़ में तीन आतंकवादी मारे गए हैं. लेकिन मारे गए युवकों के परिवारों का कहना है कि उन लोगों का आतंकवाद से कोई संबंध नहीं था और उनमें से दो छात्र थे.

इस घटना के विरोध में दक्षिण कश्मीर के पुलवामा और शोपियां जिलों के परिवारों ने श्रीनगर में पुलिस नियंत्रण कक्ष के बाहर धरना दिया. उन्होंने दावा किया कि मारे गए युवकों में से एक कक्षा 11 का छात्र, दूसरा एक विश्वविद्यालय का छात्र था और तीसरा बढ़ई का काम करता था.

पुलिस के एक प्रवक्ता ने कहा कि एक आतंकवादी बुधवार को तड़के मारा गया, जबकि दो अन्य कुछ घंटे बाद मारे गए. आतंकवादियों ने मंगलवार शाम को तलाशी अभियान के दौरान सुरक्षा बलों पर गोलियां चलाई थीं.

परिवारों द्वारा किए गए दावों के संदर्भ में उन्होंने कहा, ‘आमतौर पर अभिभावकों को अपने बच्चों की गतिविधियों के बारे में पता नहीं होता है. कई सदस्य हथगोला फेंकने और गोलीबारी जैसे आतंकी अपराधों को अंजाम देने के बाद सामान्य रूप से अपने परिवार के साथ रहते हैं.’

प्रवक्ता ने कहा कि हालांकि मारे गए तीनों आतंकवादियों का जिक्र आतंकवादियों की हमारी सूची में नहीं किया गया था, लेकिन उनमें से दो आतंकवादियों के कट्टर सहयोगी थे. उन्होंने कहा कि दोनों में से एक शीर्ष हिजबुल मुजाहिदीन कमांडर रईस कचरू का रिश्तेदार था, जिसे 2017 में मारा गया था.

उन्होंने कहा कि संदेह है कि तीसरा भी शायद हाल ही में आतंकवाद से जुड़ गया था. प्रवक्ता ने कहा कि पुलिस मामले की जांच कर रही है और गहन जांच के बाद किसी निष्कर्ष पर पहुंचेगी.

पुलिस ने मारे गए युवकों की पहचान या उम्र के बारे में अभी कोई जानकारी नहीं दी है. लेकिन प्रदर्शनकारी परिवारों ने दावा किया कि युवक उनके परिजन थे और उनका आतंकवाद से कोई संबंध नहीं था.

परिवारों ने कहा कि मारे गए युवकों में अतहर मुश्ताक और ऐजाज मकबूल दोनों छात्र थे, वहीं जुबैर अहमद बढ़ई का काम करते थे. परिवारों ने तीनों लोगों की उम्र के बारे में नहीं बताया.

मकबूल की बहन ने संवाददाताओं से कहा, ‘मेरा भाई कल (मंगलवार) सुबह 11 बजे विश्वविद्यालय गया था, क्योंकि उसे वहां कुछ फॉर्म भरना था. उसने मुझे यह बताने के लिए दोपहर बाद 3:01 बजे फोन किया कि उसे विश्वविद्यालय में ठहरना पड़ सकता है. आज हमारे पास फोन आया कि वह मारा गया. वह आतंकवादी नहीं था.’

मकबूल गांदरबल जिले में तैनात एक पुलिसकर्मी के बेटे थे.

मुश्ताक के एक रिश्तेदार ने भी ऐसा ही दावा किया और कहा कि वह 11वीं कक्षा के छात्र थे.

पुलिस अधिकारियों ने परिवारों द्वारा किए गए दावों के बारे में पूछे गए सवालों पर कोई जवाब नहीं दिया. हालांकि, सेना के एक अधिकारी मेजर जनरल एचएस साही ने कहा कि मारे गए युवक ‘कट्टर आतंकवादी’ थे, जिन्होंने मुठभेड़ में सुरक्षा बलों के खिलाफ भारी मात्रा में गोला-बारूद और हथगोलों का इस्तेमाल किया.

बुधवार को उन्होंने कहा, ‘हमें इलाके में आतंकिया द्वारा कोई बड़ा हमला करने का इनपुट मिला हुआ था. हमने राष्ट्रीय राजमार्ग के पास एक इमारत की घेराबंदी कर आतंकियों से आत्मसमर्पण करने के लिए कहा था. उनमें से एक ने बाहर आने की कोशिश की, लेकिन अंदर छिपे दो आतंकियों ने सुरक्षा बलों पर ग्रेनेड से हमला कर दिया.’

अधिकारी ने कहा, ‘सुबह, हमने फिर उनसे आत्मसमर्पण करने की अपील की लेकिन हमें महसूस हुआ कि वे आत्मसमर्पण नहीं करने वाले हैं.’

सैन्य अधिकारी साही ने कहा, ‘उन लोगों ने जितनी मात्रा में गोला-बारूद का उपयोग किया, उससे स्पष्ट होता है कि वे राष्ट्रीय राजमार्ग के पास एक बड़े आतंकी हमले की फिराक में थे.’

पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने बुधवार को मांग की कि परिम्पोरा मुठभेड़ के कथित तौर पर फर्जी होने के आरोपों के संबंध में जम्मू-कश्मीर प्रशासन को अपना रुख साफ करना चाहिए. वहीं, नेशनल कॉन्फ्रेंस ने पूरे मामले की समयबद्ध जांच की मांग की.

इस मुठभेड़ को लेकर मुफ्ती ने ट्वीट किया, ‘इस बात को लेकर दुखी हूं कि शोपियां फर्जी मुठभेड़ के बाद पिछले कुछ महीनों में जम्मू कश्मीर के अन्य परिवारों ने भी आरोप लगाया है कि उनके बेटे निर्दोष थे और उन्हें मुठभेड़ में मार गिराया गया. प्रशासन को इस पर अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए.’

इस बीच, नेशनल कॉन्फ्रेंस की अतिरिक्त प्रवक्ता सराह शाह ने कहा कि मुठभेड़ में मारे गए युवकों के परिवारों और लोगों के बयान विरोधाभासी हैं. ऐसे में सच सामने लाने के लिए फैक्ट फाइंडिंग कमेटी गठित करने की आवश्यकता है.

मालूम हो कि इससे पहले सेना ने जम्मू कश्मीर के शोपियां इलाके में 18 जुलाई को तीन आतंकियों के मुठभेड़ में मारे जाने का दावा किया था. हालांकि 18 सितंबर को सेना ने स्वीकार किया कि तीनों युवक राजौरी के रहने वाले थे और ऑपरेशन के दौरान आफस्पा, 1990 के तहत मिलीं शक्तियों का उल्लंघन हुआ था.

इस मामले को लेकर जम्मू कश्मीर पुलिस ने सेना के एक अधिकारी (कैप्टन) समेत तीन लोगों के खिलाफ आरोप-पत्र दायर किया है. वहीं सेना ने इस केस में साक्ष्य जुटाने का कार्य पूरा कर लिया है और औपचारिकताएं पूरी होने के बाद आरोपियों के खिलाफ कोर्ट मार्शल की कार्रवाई हो सकती है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq