उत्तर प्रदेश: जान से मारने की धमकी के बाद दलित परिवार ने कथित तौर पर गांव का घर छोड़ा

उत्तर प्रदेश के बांदा ज़िले का मामला. आरोप है कि उन्हें जान से मारने की धमकी दी गई थी. कथित रूप से सरकारी हैंडपंप छू लेने के आरोप में बीते 25 दिसंबर को दबंगों ने दलित परिवार के कुछ सदस्यों की पिटाई की थी. पीड़ित परिवार ने आरोप लगाया कि पुलिस ने वास्तविक घटना छिपाकर मामूली धाराओं में केस दर्ज किया है.

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(प्रतीकात्मक फोटोः नेविल जावेरी/फ्लिकर)

उत्तर प्रदेश के बांदा ज़िले का मामला. आरोप है कि उन्हें जान से मारने की धमकी दी गई थी. कथित रूप से सरकारी हैंडपंप छू लेने के आरोप में बीते 25 दिसंबर को दबंगों ने दलित परिवार के कुछ सदस्यों की पिटाई की थी. पीड़ित परिवार ने आरोप लगाया कि पुलिस ने वास्तविक घटना छिपाकर मामूली धाराओं में केस दर्ज किया है.

(फोटो साभार: indiarailinfo)
(फोटो साभार: indiarailinfo)

बांदा: बांदा जिले के बिसंडा क्षेत्र के एक गांव में कथित रूप से सरकारी हैंडपंप छू लेने के मामले में दबंगों द्वारा पिटाई से डरे एक दलित परिवार ने अपना घर छोड़ दिया है और खेत में झोपड़ी बनाकर रह रहा है.

बिसंडा थाना क्षेत्र के तेंदुरा गांव के मजरा शंकरपुरवा के दलित परिवार के मुखिया रामचंद्र रैदास ने सोमवार को बताया कि दबंगों के भय से उन्होंने सपरिवार अपना घर छोड़ दिया है और खेत में झोपड़ी बनाकर रह रहे हैं.

रामचंद्र ने बताया कि 25 दिसंबर को पीने का पानी भरने के दौरान सरकारी हैंडपंप छू लेने का आरोप लगाकर पड़ोस में रहने वाले दबंगों ने उन्हें और उनके बुजुर्ग पिता चुनकाई (80) को लाठियों से पीटकर घायल कर दिया था. इसकी शिकायत उन्होंने पुलिस से की थी.

रामचंद्र ने बताया, ‘दबंगों ने घर में आग लगाकर जिंदा जलाने की धमकी दी है, जिसके डर से हम लोगों ने घर छोड़ दिया है.’

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, बिसंडा थाने में दर्ज प्राथमिकी में रामचंद्र रैदास ने आरोप लगाया था कि राम दयाल यादव के परिवार के सदस्यों ने उन पर तब लाठियों से हमला किया, जब वह तेंदुरा गांव में हैंडपंप से पानी लेने गए थे.

बिसंडा थाना के प्रभारी निरीक्षक (एसएचओ) नरेंद्र प्रताप सिंह ने बताया था कि रामचंद्र के शरीर पर हमले से चोटें आई थीं, उन्हें प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया था.

एसएचओ ने यह भी बताया था कि कि रामचंद्र ने यह भी आरोप लगाया है कि दो महीने पहले आरोपियों ने यादवों के इलाके में स्थापित हैंडपंप से पानी लेने पर प्रतिबंध लगा दिया था, लेकिन अतर्रा के उप-मंडल मजिस्ट्रेट के हस्तक्षेप के बाद मामला सुलझ गया था.

पीड़ित ने बताया, ‘घटना के बाद से अब तक कोई पुलिसकर्मी नहीं आया और न ही मामले की जांच शुरू की गई है. आरोपी खुलेआम घूम रहे हैं और जान से मारने की धमकी दे रहे हैं.’

रामचंद्र ने आरोप लगाया कि स्थानीय पुलिस ने वास्तविक घटना छिपाकर मामूली धाराओं में केस दर्ज किया है और प्राथमिकी में घायल पिता का उल्लेख नहीं किया है.

बिसंडा थाना के प्रभारी निरीक्षक (एसएचओ) नरेंद्र प्रताप सिंह ने बताया, ‘यह मारपीट का साधारण मामला है, जिसकी जांच बबेरू के पुलिस क्षेत्राधिकारी कर रहे हैं. गिरफ्तारी या आगे की कार्रवाई भी वही करेंगे.’

उन्होंने कहा कि पीड़ित ने घटना के समय जो शिकायत थाने में दी थी, उसके आधार पर तीन आरोपियों के खिलाफ संबंधित धाराओं में मामला दर्ज किया गया है. पीड़ित परिवार के घर छोड़कर खेत में रहने की जानकारी पुलिस को नहीं है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)