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भारतीय किसान यूनियन के नेता युधवीर सिंह ने कहा, ‘मंत्री चाहते हैं कि हम क़ानून पर बिंदुवार चर्चा करें. हमने ऐसा करने से इनकार कर दिया और कहा कि क़ानूनों पर चर्चा करने का कोई मतलब नहीं बनता, क्योंकि हम चाहते हैं कि क़ानून पूरी तरह से वापस हों. सरकार हमें संशोधनों की ओर ले जाना चाहती है, लेकिन हम इसे स्वीकार नहीं करेंगे.’
दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर किसानों का प्रदर्शन जारी है. (फोटो: पीटीआई)
नई दिल्ली: नए कृषि कानूनों के खिलाफ एक महीने से ज्यादा समय से चल रहे गतिरोध को दूर करने के लिए किसान संगठनों और तीन केंद्रीय मंत्रियों के बीच सोमवार को हुई सातवें दौर की वार्ता बेनतीजा रही.
बैठक में किसान संगठनों के प्रतिनिधि शुरू से ही इन कानूनों को निरस्त करने की अपनी मांग पर अड़े रहे, वहीं सरकार ने कानूनों के फायदे गिनाए.
किसान संगठनों के नेताओं ने कहा कि अगली बैठक 8 जनवरी को होगी.
भारतीय किसान यूनियन के नेता युधवीर सिंह ने कहा, ‘मंत्री चाहते हैं कि हम कानून पर बिंदुवार चर्चा करें. हमने ऐसा करने से इनकार कर दिया और कहा कि कानूनों पर चर्चा करने का कोई मतलब नहीं बनता, क्योंकि हम चाहते हैं कि कानून पूरी तरह से वापस हों. सरकार हमें संशोधनों की ओर ले जाना चाहती है, लेकिन हम इसे स्वीकार नहीं करेंगे.’
वहीं कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया, ‘आज की बैठक में कोई निर्णय नहीं हो पाया, सरकार और किसान संगठनों के बीच आठ जून को फिर से वार्ता होगी.’
उन्होंने बताया कि बातचीत बेनतीजा रही क्योंकि यूनियन के नेता तीनों कानूनों को निरस्त करने की अपनी मांग पर अड़े रहे. कृषि मंत्री ने आगे कहा, ‘आज की बातचीत देखते हुए मुझे उम्मीद है कि हम अगली मीटिंग में हमारे बीच एक अर्थपूर्ण बातचीत होगी और हम एक निष्कर्ष पर पहुंच जाएंगे.’
ऑल इंडिया किसान सभा के महासचिव हन्नान मोल्ला ने कहा, ‘सरकार भयानक दबाव में है. हम सभी ने कह दिया कि यह हमारी मांग है. कानून वापस लेने के अलावा हम किसी अन्य मुद्दे पर बातचीत करना नहीं चाहते. कानून वापस लेने तक प्रदर्शन खत्म नहीं होगा.’
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा, ‘कानून वापसी नहीं तो घर वापसी नहीं.’
हालांकि 30 दिसंबर की तरह आज केंद्रीय नेता लंगर में शामिल नहीं हुए और भोजनावकाश के दौरान अलग से चर्चा करते रहे जो करीब दो घंटे तक चली.
दोनों पक्षों ने दोबारा सवा पांच बजे फिर से चर्चा शुरू की, लेकिन किसानों के कानूनों को निरस्त करने की मांग पर अड़े होने के कारण इसमें कोई प्रगति नहीं हो सकी.
किसान संगठनों के नेताओं ने कहा कि सरकार को आंतरिक रूप से और विचार विमर्श करने की जरूरत है और इसके बाद वे (सरकार) किसान संघों के पास आएंगे.
किसान नेताओं ने कहा कि वे आगे के कदम के बारे में चर्चा के लिए मंगलवार को अपनी बैठक करेंगे.
बैठक के दौरान दोनों पक्षों के बीच अनाज खरीद से जुड़ी न्यूनतम समर्थन मूल्य की प्रणाली को कानूनी गारंटी देने की किसानों की महत्वपूर्ण मांग के बारे में चर्चा नहीं हुई.
पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश से हजारों की संख्या में किसान कृषि संबंधी तीन कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर पिछले एक महीने से अधिक समय से दिल्ली की सीमा पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के आसपास प्रदर्शन स्थल पर भारी बारिश और जलजमाव एवं जबर्दस्त ठंड के बावजूद किसान डटे हुए हैं.
बैठक के दौरान सरकार ने तीनों कृषि कानूनों के फायदे गिनाए जबकि किसान संगठन इन कानूनों को वापस लेने पर जोर देते रहे ताकि नए कानून के बारे में उन आशंकाओं को दूर किया जा सके कि इससे एमएसपी और मंडी प्रणाली कमजोर होगी और वे (किसान) बड़े कॉरपोरेट घरानों की दया पर होंगे.
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, रेलवे, वाणिज्य और खाद्य मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्य मंत्री एवं पंजाब से सांसद सोम प्रकाश ने विज्ञान भवन में 40 किसान यूनियनों के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत की.
सूत्रों ने बताया कि मौजूदा प्रदर्शन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों को श्रद्धांजलि देने के साथ इस बैठक की शुरुआत हुई.
इससे पहले सरकार और किसान संगठनों के बीच छठे दौर की वार्ता 30 दिसंबर को हुई थी. उस दौरान पराली जलाने को अपराध की श्रेणी से बाहर रखने और बिजली पर रियायत जारी रखने की दो मांगों पर सहमति बनी थी.
हालांकि तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने और फसल की खरीद के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था को लेकर कानूनी गारंटी पर अब तक कोई सहमति नहीं बन पाई है.
सूत्रों ने बताया कि तोमर ने रविवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की और मौजूदा संकट के जल्द समाधान के लिए सरकार की रणनीति पर चर्चा की था.
उन्होंने बताया कि तोमर ने सिंह के साथ संकट का समाधान निकालने के लिए ‘बीच का कोई रास्ता’ निकालने को लेकर सभी मुमकिन विकल्पों पर चर्चा की थी.
कई विपक्षी दलों और विभिन्न क्षेत्रों के लोगों ने भी किसानों का समर्थन किया है, वहीं कुछ किसान संगठनों ने पिछले कुछ हफ्तों में कृषि मंत्री से मुलाकात कर तीनों कानूनों को अपना समर्थन दिया.
बता दें कि केंद्र द्वारा लाए गए नए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले एक महीने से भी ज्यादा समय से हजारों किसान राष्ट्रीय राजधानी की अलग-अलग सीमाओं पर बीते 26 नवंबर से प्रदर्शन कर रहे हैं. प्रदर्शन में ज्यादातर किसान पंजाब और हरियाणा के हैं.
मालूम हो कि केंद्र सरकार द्वारा लगाए गए कृषि से संबंधित तीन विधेयकों– किसान उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक, 2020, किसान (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) मूल्य आश्वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक, 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020- के विरोध में पिछले एक महीने से किसान दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं.
केंद्र सरकार इन कानूनों को कृषि क्षेत्र में ऐतिहासिक सुधार के रूप में पेश कर रही है. हालांकि, प्रदर्शनकारी किसानों ने यह आशंका व्यक्त की है कि नए कानून न्यूनतम समर्थन मूल्य की सुरक्षा और मंडी प्रणाली को खत्म करने का मार्ग प्रशस्त करेंगे तथा उन्हें बड़े कॉर्पोरेट की दया पर छोड़ देंगे.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)