दिल्ली दंगा: अदालत ने तीन आरोपियों को ज़मानत देते हुए कहा- लापरवाही से की गई जांच

फरवरी 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा के दौरान जाफ़राबाद में फलों के गोदाम में लूट और आगजनी के मामले में तीन आरोपियों को ज़मानत देते हुए अदालत ने कहा कि जांच और चार्जशीट दाखिल करने में असावधानी बरती गई.

(फाइल फोटो: पीटीआई)

फरवरी 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा के दौरान जाफ़राबाद में फलों के गोदाम में लूट और आगजनी के मामले में तीन आरोपियों को ज़मानत देते हुए अदालत ने कहा कि जांच और चार्जशीट दाखिल करने में असावधानी बरती गई.

(फोटो: पीटीआई)
(फाइल फोटो: पीटीआई)

नई दिल्लीः दिल्ली की एक अदालत ने दंगा मामले में तीन आरोपियों को यह कहते हुए जमानत दे दी कि जांच लापरवाही से की गई थी और बहुत ढीले-ढाले तरीके से चार्जशीट दाखिल की गई.

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने 25 फरवरी 2020 को जाफराबाद इलाके में दंगों के दौरान फलों के गोदाम में लूट और आगजनी के मामले में ओसामा, आतिर और गुलफाम नाम के तीन आरोपियों को 10,000-10,000 रुपये की जमानत राशि और समान राशि के मुचलके पर जमानत दे दी.

अदालत ने कहा कि जमानत याचिकाओं पर पुलिस के जवाब में कुछ गवाहों की सूची दी गई, लेकिन पिछले साल मई में दाखिल चार्जशीट में कुछ गवाहों के बयान नहीं थे.

वहीं, जमानत याचिकाओं पर जवाब में कहा गया कि दो कथित गवाहों के बयान पुलिस द्वारा दर्ज किए गए, जो सप्लीमेंट्री चार्जशीट के साथ दर्ज किए जाएंगे.

जज ने आदेश में कहा, ‘जमानत याचिकाओं, इसके जवाब में दाखिल हलफनामे और विशेष रूप से चार्जशीट पर गौर करने के बाद पता चलता है कि बड़ी ही लापरवाही से चार्जशीट तैयार की गई और फिर दर्ज की गई. जो जांच की गई, वह भी लापरवाही से की गई जबकि गवाहों की जो सूची दाखिल की गई है, उसमें कुछ गवाहों का उल्लेख है.’

उन्होंने कहा, ‘सीआरपीसी की धारा 161 (पुलिस द्वारा जांच) के तहत किसी भी गवाह के बयान को चार्जशीट में शामिल नहीं किया गया. इसके बाद 22 मई 2020 को बहुत ही ढीले-ढाले तरीके से चार्जशीट दायर की गई.’

अदालत ने आदेश में तीनों आरोपियों को सबूतों से छेड़छाड़ नहीं करने और बिना मंजूरी दिल्ली से बाहर न जाने के निर्देश दिए.

आदेश में कहा गया कि चार्जशीट के अनुसार, ‘उन्हें (आरोपियों) अप्रैल महीने में उस समय गिरफ्तार किया गया, जब उन्होंने दंगों से जुड़े अन्य मामलों में गिरफ्तारी के दौरान इस मामले में अपनी कथित भूमिका उजागर की.’

वहीं, मामले में सुनवाई के दौरान आरोपियों की ओर से पेश अधिवक्ता अब्दुल गफ्फार ने कहा कि उन्हें मामले में गलत तरीके से फंसाया गया है.

पुलिस की ओर से पेश विशेष लोक अभियोजक उत्तम दत्त ने आरोपियों की जमानत याचिकाओं का विरोध करते हुए कहा कि वे कथित तौर पर दंगे में शामिल थे.

गौरतलब है कि नागरिकता संशोधन कानून के समर्थकों और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसा के बाद 24 फरवरी को उत्तर-पूर्वी दिल्ली में भड़की सांप्रदायिक हिंसा में कम से कम 53 लोगों की मौत हो गई थी और लगभग 200 अन्य घायल हो गए थे.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25