एमपी: सांप्रदायिक झड़प के बाद सड़क चौड़ीकरण के नाम पर प्रशासन ने 13 घर आंशिक तौर पर ढहाए

मध्य प्रदेश में इंदौर ज़िले के मुस्लिम बाहुल्य चंदन खेड़ी गांव की घटना. बीते 29 दिसंबर को अयोध्या में राम मंदिर के लिए धन जुटाने के लिए श्रीरामजन्मभूमि निर्माण समिति के बैनर तले रैली के दौरान यहां सांप्रदायिक झड़प हो गई थी. प्रशासन का कहना है कि ये घर सरकारी ज़मीन पर अवैध रूप से अतिक्रमण कर बनाए गए थे.

(फोटो साभार: यूट्यूब वीडियोग्रैब)

मध्य प्रदेश में इंदौर ज़िले के मुस्लिम बाहुल्य चंदन खेड़ी गांव की घटना. बीते 29 दिसंबर को अयोध्या में राम मंदिर के लिए धन जुटाने के लिए श्रीरामजन्मभूमि निर्माण समिति के बैनर तले रैली के दौरान यहां सांप्रदायिक झड़प हो गई थी. प्रशासन का कहना है कि ये घर सरकारी ज़मीन पर अवैध रूप से अतिक्रमण कर बनाए गए थे.

Indore

इंदौरः मध्य प्रदेश के कुछ जिलों में दक्षिणपंथी संगठनों द्वारा की गई रैलियों के दौरान हुई सांप्रदायिक झड़प के बाद इंदौर जिला प्रशासन ने अल्पसंख्यक बाहुल्य चंदन खेड़ी गांव के 13 घरों बीते 30 दिसंबर को आंशिक तौर पर ध्वस्त कर दिया.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रशासन का कहना था कि ये घर सरकारी जमीन पर अवैध रूप से अतिक्रमण कर बनाए गए थे.

बता दे कि 29 दिसंबर को अयोध्या में राम मंदिर के लिए धन जुटाने के लिए निकाली गई रैली के दौरान हुई झड़प के एक दिन बाद 30 दिसंबर को इन घरों को ढहाया गया.

ये रैली उन गलियों से गुजरी थी, जहां चंदन खेड़ी गांव में ये घर बने हुए थे. इसके साथ ही स्थानीय लोगों द्वारा पथराव की भी खबरें थीं, जिसमें दोनों पक्षों के कई लोग घायल हुए थे.

देपालपुर तहसील के सब डिविजनल मजिस्ट्रेट प्रतुल सिन्हा का कहना है कि शुरुआती योजना सड़क को चौड़ा करने की नहीं बल्कि इसके निर्माण की थी. चंदन खेड़ी इसी तहसील के अंतर्गत आता है.

उन्होंने कहा, ‘झड़प के बाद महसूस किया गया कि सड़क इतनी चौड़ी भी नहीं है कि वहां से दमकल विभाग की गाड़ी गुजर सके. फिर ग्रामीणों को घरों को ध्वस्त करने के बारे में बताया गया, क्योंकि ये घर अवैध रूप से मध्य प्रदेश सरकार की जमीन पर अतिक्रमण कर बनाए गए थे.’

सिन्हा के मुताबिक, ‘ग्रामीणों को बताया गया था कि या तो प्रशासन इन घरों को ध्वस्त करेगा, जिससे व्यापक नुकसान हो सकता है या फिर लोग खुद ही अपने घर का एक निश्चित हिस्सा ध्वस्त कर दें.’

उन्होंने बताया कि घरों को ध्वस्त करने का काम बिना डेमोलिशन नोटिस के सिर्फ मौखिक सहमति के ही किया गया.

सिन्हा ने कहा, ‘हमने स्थानीय लोगों को अपना सामान हटाने का पर्याप्त समय दिया था और इसमें किसी का नुकसान भी नहीं हुआ था. गांव से होकर गुजरने वाली 30 फीट सड़क अब लगभग तैयार है. सड़क को चौड़ा करने के लिए 10 घरों की लगभग चार फीट जगह को नष्ट किया गया और तीन अन्य घरों के सात से आठ फीट जगह को तोड़ा गया.’

रिपोर्ट के अनुसार, ग्रामीणों ने प्रशासन के इस कदम की आलोचना की है. 29 दिसंबर की झड़प की घटना के तुरंत बाद 27 लोगों को रैली पर पथराव करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.

पंचायत के एक सदस्य मोहम्मद रफीक का घर भी उस सूची में शामिल था, जिनका घर ध्वस्त किया गया. झड़प के संबंध में गिरफ्तार किए गए रफीक की पत्नी परवीन बी ने कहा कि जिला प्रशासन के अधिकारी आए थे और अगले दिन घर खाली करने को कहा था.

उन्होंने कहा, ‘मैंने उन्हें बताया कि सामने की दीवार ध्वस्त करने के बाद एक महिला जिसके पति को गिरफ्तार कर लिया गया है, वह कैसे सुरक्षित रह सकती है. उन्होंने बिना नोटिस के अचानक हमारे घरों को ध्वस्त करने का फैसला क्यों किया?’

इंदौर से 40 किलोमीटर दूर स्थित चंदन खेड़ी गांव में 400 मुस्लिम परिवार और लगभग पंद्रह हिंदू परिवार रहते हैं.

दिसंबर के आखिरी हफ्ते में दक्षिणपंथी संगठनों द्वारा निकाली गईं रैलियों के दौरान उज्जैन के बेगम बाग और मंदसौर में भी इसी तरह की झड़प की घटनाएं हुई थीं.

इंदौर के डीआईजी हरिनारायण चारी मिश्रा ने बताया कि भारत पटेल नाम के एक व्यक्ति द्वारा रैली का आयोजन किया गया था. पहली झड़प ग्रामीणों द्वारा रैली के गुजरने के दौरान उसका वीडियो बनाने को लेकर हुई.

उन्होंने कहा, ‘बहस के दौरान कुछ गांववालों ने पथराव कर दिया, जिसमें तीन लोग घायल हो गए, जिसके बाद झड़प शुरू हो गई.’

भारत सिंह ने श्रीरामजन्मभूमि निर्माण समिति के बैनर तले रैली आयोजित की थी. उनका आरोप है कि बिना किसी उकसावे के ग्रामीणों ने काफिले पर हमला किया.

उन्होंने कहा, ‘गांव के पास रैली धीमी पड़ गई, क्योंकि गांव से होकर गुजरने वाली 12 फीट की पीसीसी सड़क कुछ हिस्सों पर संकरी थी, जिस वजह से रैली में शामिल लगभग 70 मोटरसाइकिलें एक जगह फंस गईं. यह कोई पहली बार नहीं है, जब हमारे काफिले पर हमला हुआ. पूर्व में भी ऐसे तीन उदाहरण हैं, जब कोई भी हनुमान मंदिर के पास गया तब उस पर हमला किया गया.’

वहीं ग्रामीणों का कहना है कि दिक्कत उस समय शुरू हुई, जब रैली में शामिल लोगों का एक हिस्सा गांव की मस्जिद के पास रुककर हनुमान चालीसा का पढ़ने लगा.

ग्रामीण शाकिर पटेल ने आरोप लगाया कि रैली में शामिल कुछ लोगों ने अपशब्द भी कहे, जब ग्रामीणों ने इसका विरोध किया तो झड़प शुरू हो गई. तब रैली को हिस्सा रहे ये लोग उससे अलग पड़ गए और पथराव होने के चलते भाग निकले, लेकिन वे दो घंटे बाद वे और लोगों के साथ वापस लौटे.

ग्रामीणों का कहना है कि गांव लौटी भीड़ के हाथों में डंडे, तलवारें और बंदूकें थी. जैसे ही झड़प तेज हुई, तीन लोग मस्जिद की मीनार को तोड़ने की कोशिश में उस पर चढ़ने लगे. इस बीच पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश करती रही.

पुलिस अधिकारियों ने प्रभावी ढंग से मामले में हस्तक्षेप नहीं किया, ग्रामीणों के इस आरोप पर इंदौर के आईजीपी योगेश देशमुख ने कहा, ‘हम इस घटना के लिए जिम्मेदार लोगों को पहचानने की कोशिश कर रहे हैं और उनके खिलाफ जल्द मामला दर्ज किया जाएगा. मैं उन सभी से आगे आने का आग्रह करूंगा, जिनके पास सबूत हैं और इस घटना के लिए जिम्मेदार सभी लोगों (पुलिसकर्मियों समेत) के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.’

रिपोर्ट के अनुसार, स्थिति पर नियंत्रण रखने में असफल रहने पर दो पुलिसकर्मियों- डीएसपी पंकज दीक्षित और गौतमपुरा पुलिस थाने के एसएचओ आरएस भास्कर को निलंबित कर दिया गया है.

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