बिहार सूचना आयोग की वेबसाइट 2017 से ख़स्ताहाल, चार साल से कोई रिपोर्ट पेश नहीं की

बिहार राज्य सूचना आयोग के सचिव ने कहा कि वेबसाइट से जुड़ीं समस्याओं को सुलझाने की कोशिश की जा रही है. यह भी सुनिश्चित करने की कोशिश की जा रही है कि वार्षिक रिपोर्ट तैयार हो.

(फोटो साभार: फेसबुक)

बिहार राज्य सूचना आयोग के सचिव ने कहा कि वेबसाइट से जुड़ीं समस्याओं को सुलझाने की कोशिश की जा रही है. यह भी सुनिश्चित करने की कोशिश की जा रही है कि वार्षिक रिपोर्ट तैयार हो.

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पटनाः सूचना के अधिकार को सुनिश्चित करने की दिशा में कार्यरत बिहार राज्य सूचना आयोग (बीएसआईसी) बीते कुछ सालों से अपने कामकाज को लेकर ही सजग नहीं है.

आयोग की वेबसाइट 2017 से सही से काम नहीं कर रही है. इतना ही नहीं, समिति ने 2015-2016 से एक भी वार्षिक रिपोर्ट पेश नहीं की है. यह सब तब है जब विधानसभा की एक समिति यह कहते हुए चिंता जता चुकी है कि आयोग, कॉरपोरेशन या बोर्ड की वार्षिक रिपोर्टों को हर वित्तीय वर्ष की शुरुआत में विधानसभा के समक्ष पेश किया जाना जरूरी है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इस संबंध में आरटीआई कार्यकर्ताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने बीते चार जनवरी को बीएसआईसी के शीर्ष अधिकारियों से मुलाकात की और इन पर चर्चा की.

इस प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा रहे एसपी राय ने कहा, ‘यहां 20,000 से अधिक लंबित मामले हैं, जिनमें 6,000 से अधिक दूसरी बाद दाखिल अपीलें हैं. हमने ऑनलाइन ट्रैकिंग सिस्टम की गैरमौजूदगी के मामले को उठाया क्योंकि इसकी आधिकारिक वेबसाइट 2017 से काम नहीं कर रही है.’

गूगल सर्च में किसी तरह के आधिकारिक लिंक का पता नहीं चलता और यह सीधे केंद्रीय सूचना आयोग की आधिकारिक वेबसाइट तक ले जाता है, जो एक निजी वेबसाइट लिंक का सुझाव देता है.

इस प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा रहे एक अन्य आरटीआई कार्यकर्ता अजय चौरसिया ने कहा, ‘समिति ने कहा है कि वह एक आवेदक के सिर्फ 20 सवालों का ही जवाब दे सकते हैं, जबकि आरटीआई एक्ट में ऐसी कोई सीमा नहीं है.’

औरंगाबाद के आरटीआई कार्यकर्ता संतल सिंह का आरोप है, ‘समिति छोटे-मोटे कारण बताकर दूसरी अपील के लिए आवेदन लौटा रही हैं जैसे कि शपथपत्र का सत्यापित नहीं होना आदि.’

कार्यकर्ताओं का कहना है कि 2015 से कई आवेदन लंबित हैं.

मधुबनी से आरटीआई आवेदक विश्वनाथ साहनी का कहना है, ‘मैंने बेनीपट्टी ब्लॉक के शिक्षा अधिकारी से स्कूलों में छात्रवृत्ति के धन वितरण की स्थिति के बारे में जानकारी मांगी थी, लेकिन 2015 में दायर की गई मेरी दूसरी अपील को अभी तक स्वीकार नहीं किया गया.’

बिहार विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने कहा, ‘यह गंभीर चिंता का विषय है कि राज्य सूचना आयोग की वार्षिक रिपोर्ट अभी तक पेश नहीं की गई है. मेरे कार्यकाल के दौरान मैंने यह सुनिश्चित किया कि अधिकतम बोर्ड और आयोग ने ऐसा किया हो. अगर सूचना समिति जानकारी साझा करने को तैयार नहीं है तो सरकारी विभागों से कैसे उम्मीद की जा सकती है.’

विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष और अब जेडीयू के मंत्री विजय कुमार चौधरी ने 2019 में कहा था कि विधानसभा की सार्वजनिक उपक्रम समिति इस तरह के मामलों को देखेगी.

बिहार राज्य सूचना आयोग के सचिव सुरेश पासवान ने कहा, ‘हम हमारी वेबसाइट से जुड़ीं समस्याओं को सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं. हमने अब चीजों को सही करने के लिए एक आईटी मैनेजर रखा है. हम यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं कि हमारी वार्षिक रिपोर्ट तैयार हो.’

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